वोट के लिये हर हथकंडा, फिर 5 साल नहीं पहचानते नेता
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मांडर से लौटकर आलोक/सुमित
मौजूदा राजनीतिक व्यवस्था में नेताओं के बोल व आश्वासन को ग्रामीण जनता भी भांप चुकी है। मांडर के ब्लाॅक मैदान में आहूत कांग्रेस प्रत्याशी सुखदेव भगत के चुनावी सभा के दौरान हमने कई ग्रामीणों के मन को टटोला। इसमें चौकानेवाले तथ्य उभरकर सामने आयें हैं। अब गरीब व निरीह ग्रामीण भी सब कुछ समझते हैं। इनका कहना है कि कोई नेता हमारा नहीं है। हमारे बारे में कोई कुछ नही सोंचता। चुनाव का समय है, तो वोट मांगने आये हैं और फिर वोट लेकर पांच साल के लिये भूल जाएंगे।
ग्रामीणों का कहना है, कि हमारे पास विकल्प नहीं है। सब नेता केवल वोट लेने में माहिर हैं, इसके बाद कोई नही पुछता। प्रधानमंत्री के झारखंड आगमन को लेकर भी ये कहते हैं, कि कोई आये या जाय। हमारे जीवन पर कोई फर्क नही पड़ता। हम तो दो वक्त की रोटी के लिये जूझ रहे हैं। बेरोजगारी, पेयजल संकट और आवास नहीं होने का दर्द हमें दिन- रात सताता है। ग्रामीणों का कहना है कि किसी न किसी को वोट तो देना ही होगा। कुछ ने कहा, कि हमें बुलाया गया है, इसलिये आये हैं।
किसी को विधवा पेंशन नहीं मिल रहा है तो कोई वन रैंक वन पेंशन के स्कीम पर सवाल उठा रहा है। किसी को इंदिरा आवास का लाभ नहीं मिला है तो किसी को शौचालय नहीं मिला। इन तमाम बातों से इतना तो साफ है कि जनता गांव की हो या शहर की आज इन्हें बेवकूफ कोई नहीं बना सकता। ये नेताओं की फितरत भांप चुके हैं व दो टूक कहते हैं, कि भाषण देकर वोट लेने आये हैं और इसके बाद पांच साल बाद आयेंगे। ग्रामीणों ने साफ कहा कि कोई भी मांडर के विधायक बने हो या फिर लोहरदगा के सांसद यहां झांकने नहीं आये हैं, सिवाय पूर्व विधायक बंधु तिर्की को छोड़कर। इनके बारे में लोगों का कहना है कि इनका मिलना- जुलना रहता है।
जोसेफ एक्का, रिटायर आर्मी मैन: गया से ट्रेनिंग लेकर लद्दाख, मेरठ, झांसी व असम में देश के लिये अपनी सेवा दे चुके जोसेफ मोदी सरकार के वन रैंक वन पे सिस्टम से नाखुश हैं। इनका कहना है कोई नेता विधायक व सांसद बनने के बाद गांव में देखने नहीं आते हैं। इनको सिर्फ हमारे वोट से मतलब है। जनता के किसी काम से इनका कोई सरकार नहीं है।
सुमित्रा कुजूर, मरियाटोली: इनका आरोप है कि उज्वला योजना के तहत इन्हें गैस नहीं मिला और जिन्हें मिला है तो अगली बार पैसा देकर भरवाना पड़ता है। सुमित्रा कहती हैं, कि एक ओर से सरकार दे रही है और दूसरी ओर से पैसे ले रही है। मकान नही मिला है, लेकिन शौचालय मिला है। मुझे मिला है, लेकिन कई को नहीं मिला है। कोई अधिकारी व नेता हमारा हाल पूछने नहीं आते हैं। लोकसभा से कांग्रेस प्रत्याशी सुखदेव भगत के बारे में पूछे गये सवाल के जवाब में इसने कहा कि नहीं जानते हैं और न देखे हैं। भाजपा से निवर्तमान सांसद सुदर्शन भगत के बारे में भी कहा, कि वे कभी हमारे गांव नहीं आये।
सिमन टोप्पो: इसका कहना है कि पेयजल की सुविधा गांव में नहीं है। हमें अच्छा पानी पीने को नहीं मिलता है। बिजली पर पूछे गये सवाल के जवाब में सिमन ने कहा कि बिजली की व्यवस्था है, लेकिन कुछ जगहों पर दिक्कत है।
जुनस लकड़ा, सामाजिक कार्यकर्ता: 1946 में जन्मे लकड़ा भाजपा शासन को जमकर कोसते हैं। इनका कहना है, कि सीएनटी और एसपीटी एक्ट के साथ खिलवाड़ करके रघुवर सरकार ने जनता के साथ विश्वासघात किया है। इन्होंने लाॅड मैकाले की बात को कोट किया कि उन्होंने कहा था कि 100 साल बाद भी भारत को गुलाम बनायेंगे। आज यही चरितार्थ हो रहा है व देश में काॅरपोरेट घरानों का राज हो गया है। जुनस कहते हैं, कि मौजूदा समय में व्यवस्था परिवर्तन की जरुरत है। कहते हैं, कि वे इलेक्शन नहीं सलेक्शन करने के लिये गांव- गांव घूमकर लोगों को जागरुक करने का काम कर रहे हैं। वे इस बात से सहमत हैं, कि कोई भी नेता आम व्यक्ति के बारे में आज के दिन नहीं सोचता। केवल निजी स्वार्थ नेताओं की फितरत हो चुकी है।
Edited By: Samridh Jharkhand
