Jharkhand vidhansabha: लगातार तीसरी बार बिना नेता प्रतिपक्ष के होगा बजट सत्र
Ranchi: नई सरकार में झारखंड विधानसभा (Jharkhand vidhansabha) का तीसरा बजट सत्र (budget session) 25 फरवरी से शुरू हो रहा है। हेमंत सरकार का तीसरा बजट सत्र भी बिना नेता प्रतिपक्ष (leader of opposition) के होगा। इस बार भी विपक्ष का प्रतिनिधित्व करने वाला कोई नहीं होगा, इस बार भी कुर्सी खाली रहेगी। भाजपा ने बाबूलाल मरांडी को विधायक दल का नेता तो दो साल पहले ही चुन लिया था। लेकिन विधानसभा (Jharkhand vidhansabha) ने अबतक उन्हें भाजपा विधायक की मान्यता नहीं दी है। ऐसे में जबतक विधानसभा उन्हें भाजपा विधायक के रूप में स्वीकार नहीं करती या भाजपा किसी और को विधाय दल का नेता नहीं बनाती, नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी खाली ही रहेगी।
Jharkhand vidhansabha में दल बदल मामले में अब तक सुनवाई पूरी नहीं
झाविमो का भाजपा में विलय के बाद बाबूलाल भाजपा के और पहले ही पार्टी से निष्कासित बंधु तिर्की और प्रदीप यादव कांग्रेस में शामिल हो गए। तीनों पर दलबदल के तहत मुकदमा चला, जो अब तक चल ही रहा है। स्पीकर कोर्ट में कई बार सुनवाई हुई, लेकिन नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी खाली ही रही। बुधवार को मामले की सुनवाई करते के दौरान बाबूलाल मरांडी के अधिवक्ता ने स्पीकर रबीन्द्रनाथ महतो से आग्रह किया कि बाबूलाल मरांडी के खिलाफ दर्ज चारों मामलों की सुनवाई एक साथ की जाए, क्योंकि सभी मामले एक ही प्रवृत्ति के हैं। इसपर स्पीकर ने कहा कि किस मामले की कब सुनवाई करनी है, यह उनका अधिकार क्षेत्र है।
सदन में क्यों जरूरी है नेता प्रतिपक्ष
सदन में नेता प्रतिपक्ष को मुख्यमंत्री के समानांतर दर्जा व अधिकार प्राप्त है। जिस प्रकार सत्ता पक्ष के नेता मुख्यमंत्री हैं, उसी प्रकार विपक्ष के नेता नेता प्रतिपक्ष होते हैं। जिस प्रकार मुख्यमंत्री के खड़े होने के बाद सभी विधायक जाते हैं, वैसे ही नेता प्रतिपक्ष के खड़े होने पर भी सभी विधायकों के बैठ जाने की परंपरा है। इतना ही नहीं, सदन के बाहर भी नेता प्रतिपक्ष की सुरक्षा व काफिला मुख्यमंत्री के समानांतर का होता है। कई तरह की संवैधानिक कार्यवाही के दौरान नेता प्रतिपक्ष की भूमिका होती है। लेकिन दो सालों से झारखंड विधानसभा (Jharkhand vidhansabha) का सदन बगैर नेता प्रतिपक्ष के चल रहा है।