डेथ वैली में दर्ज हुआ अब तक का अधिकतम तापमान, 2030 तक 60 डिग्री पहुंचने का खतरा
Death Valley maximum temperature recorded 54 Degree

अमेरिका में, कैलिफोर्निया के मोहवे रेगिस्तान की डेथ वैली में, 16 अगस्त को दुनिया का सबसे ज़्यादा तापमान दर्ज किया गया है।
बीते रविवार (16 August 2020), यानी हमारे स्वतंत्रता दिवस के अगले दिन, दोपहर 3.41 पर कैलिफोर्निया की डेथ वैली में लगभग 54° यानी 130° फोरेनहाइट (Death Valley maximum temperature) का तापमान दर्ज किया गया। लास वेगास की नैशनल वेदर सर्विस ने इस तापमान की घोषणा करते हुए कहा है कि क्योंकि यह तापमान एक स्वचालित प्रणाली से दर्ज किया गया है इसलिए इसके सत्यापन की प्रक्रिया जारी है। डेथ वैली दुनिया की सबसे गर्म जगह है। यहां सामान्य तापमान भी 50° सेल्सियस से ऊपर रहता है।
इस घटना से पर्यावरण वैज्ञानिक चिंतित हैं। वजह है कि एक बार फिर यह सिद्ध हुआ है कि जलवायु परिवर्तन एक ऐसी हक़ीक़त है जिसे नकारा नहीं जा सकता का। इसका असर दुनियाभर में अब दिखाई दे रहा है।
कैलिफोर्निया की हीटवेव के लिए वैज्ञानिकों ने जलवायु परिवर्तन को सीधे तौर पर ज़िम्मेदार ठहराया है। वह इस अत्यधिक गर्मी को ग्लोबल वार्मिंग से जोड़ कर देख रहे हैं। उनकी मानें तो इस तरह की अत्यधिक गर्मी सीधे तौर पर मानवीय गतिविधियों का परिणाम है। यही नहीं, वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर कार्बन उत्सर्जन इसी रफ्तार से बढ़ता रहा तो 2030 तक इस घाटी का तापमान 60° सेल्सियस तक पहुंचने की सम्भावना है।
2017 के स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के नेतृत्व में किए गए अध्ययन के अनुसार जलवायु परिवर्तन पहले से ही कम से कम 82 प्रतिशत गर्मी के रिकॉर्ड का कारक है। अलग-अलग विश्लेषणों ने पुष्टि की है कि उच्चतम दैनिक तापमान लगभग पूरी दुनिया में, एक सदी पहले की तुलना में, अधिक है। रिकॉर्ड ब्रेकिंग गर्मी अब रिकॉर्ड ब्रेकिंग ठंड से लगभग दुगनी बार होती है, बिना मानव जनित गर्मी के यह अनुपात बराबर रहता।
अपनी प्रतिक्रिया देते हुए अमेरिका के पेंसिल्वेनिया स्टेट यूनिवर्सिटी के अर्थ सिस्टम साइंस सेंटर के निदेशक प्रोफेसर माइकल मान कहते हैं, जिस रफ़्तार से पृथ्वी का गर्म होना जारी है, हम ऐसे रिकॉर्ड बनते और टूटते देखते रहेंगे। अब तो यह लगता है कि हमने एक और चिंताजनक सीमा पार कर ली है। लेकिन अगर हम अन्य मानवीय गतिविधियों और जीवाश्म ईंधन प्रयोग कर वातावरण को प्रदूषित करते रहे तो यह ताज़ा रिकॉर्ड भी जल्द ही टूट जाएगा।
इस ताज़ा हीटवेव पर प्रतिक्रिया देते हुए लॉरेंस बर्कले नेशनल लेबोरेटरी के वरिष्ठ स्टाफ वैज्ञानिक डॉ माइकल वेनर ने कहा, हीटवेव के कारणों पर मानव प्रभाव स्पष्ट है। अधिकांश कैलिफ़ोर्निया के लिए, जलवायु परिवर्तन के कारण यह हीटवेव 3 से 4 डिग्री फ़ारेनहाइट अधिक गर्म हो गई हैं।
वहीँ ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के पर्यावरण परिवर्तन संस्थान के कार्यवाहक निदेशक डॉ फ्रेडेरिक ओटो ने इस घटना पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा, इसमें कोई दो राय नहीं कि जलवायु परिवर्तन और हीटवेव के बीच निश्चित संबंध है। लेकिन यह रिकॉर्ड सिर्फ़ एक हैडलाइन बन कर नहीं रहना चाहिए। इस बात का एहसास ज़रूरी है कि हीटवेव चिंता का विषय हैं। यह दुनिया भर में हत्यारे की शक्ल लेते जा रहे हैं। लेकिन हमारी जागरूकता बिल्कुल भी वैसी नहीं जैसी होनी चाहिए इस गर्म होती धरती पर।
सही कहा डॉ ओटो ने, जागरूकता ज़रूरी है। जब सर्द साइबेरिया में गर्मी का रिकोर्ड टूट रहा है तब ये तो फिर भी रेगिस्तान है। लेकिन जो हक़ीक़त हमें सायबेरिया और कैलिफोर्निया से मुंह चिढ़ा रही हैं, वो यह है कि एक एक पल अब भारी है और हमें जल्द से जल्द कदम उठाने होंगे, अपने स्तर पर, जलवायु परिवर्तन के असर को कम करने के लिए।
