दुमका माॅब लिंचिंग पर बाबूलाल ने सीएम हेमंत को लिखा पत्र, एसआइटी जांच की मांग

चुनाव पूर्व आपने डंके की चोट पर वादा किया था कि अगर आपकी सरकार बनी तो कानून को अपने हाथ में लेने की इजाजत किसी को नहीं दी जाएगी. बावजूद कानून हाथ में लिया गया, यह तो अपने.आप में गंभीर मामला है ही. इससे भी घोर आश्चर्य आपकी पार्टी और आपके सहयोगी दल कांग्रेस की इस मामले में चुप्पी साधने से हो रही है. इस गंभीर मामले पर सरकार ने वह गंभीरता नहीं दिखाई जो दिखानी चाहिए थी. वहीं कांग्रेस ने भी मामले से पूरी तरह कन्नी काटकर यह जता दिया है कि उसके लिए ऐसे मुद्दे गैर.कांग्रेस शासित राज्यों में ही अहम होते हैं. कांग्रेस शासित राज्य में रिम्स डायरेक्टर को बेवजह हटाना, अपनी महत्वकांक्षा पूरी नहीं होने पर स्वास्थ्य सचिव से तनातनी करना, थाने में बेवजह मामलों को लेकर हल्ला करना आदि जैसे मुद्दे से उसे फुरसत ही नहीं मिलती कि वह दूसरे जनहित के मुद्दे पर ध्यान दे पाएं. कहने का अर्थ है कि किसी की मौत को राजनीतिक चश्मे से नहीं देखनी चाहिए. राज्य में सहूलियत की राजनीति पर पूर्णविराम लगनी चाहिए. सोशल मीडिया में एक छोटी-सी टिप्पणी पर सरकार और सरकार में शामिल सहयोगी दल के द्वारा विरोधियों पर पुलिसिया कार्रवाई को लेकर सक्रियता किसी से छिपी नहीं है. वहीं ऐसे गंभीर मामलों में आपलोगों की चुप्पी से सवाल पैदा होना तो लाजिमी है. राज्य सरकार को उक्त मामले में एसआइटी गठित कर जांच करानी चाहिए.
बाबूलाल मरांडी ने मुख्यमंत्री से आग्रह किया है कि वे तत्काल इस मामले में हस्तक्षेप करें. उन्होंने लिखा है कि एक तो आप सरकार के मुखिया हैं और दूसरा यह आपके राजनीतिक कर्मभूमि क्षेत्र से जुड़ा हुआ मामला है. आपकी सहयोगी दल को वहां की जनता से भला क्या मतलब, उसके लिए सत्ता अहम हो सकती है. परंतु आप तो वहां के लोगों के दर्द को अपना दर्द समझने की बात कहते रहे हैं. इस मामले में पीड़ित को न्याय दिलाईए. इससे कानून की जीत तो होगी ही, साथ ही सहूलियत की राजनीति करने वालों के लिए भी यह एक सबक होगा.
