विश्व के प्रथम पैरानार्मल वास्तुविद की कहानी

विश्व के प्रथम पैरानार्मल वास्तुविद की कहानी

एम्बेसडर डॉ. केतन तलसानिया की यात्रा निश्चय और दृढ संकल्प सहित विश्वास और बुलंद होसले की कथा है। उनका नाम किस प्रकार से मर्यादित माध्यमों और लोकहित कार्यों से वैश्विक मीडिया की सुर्खियों में छाया रहा यह अजब दास्तान है। उनका जन्म गुजरात के प्रसिद्ध शहर अहमदाबाद के धंधुका तहसील के एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ था। उनके पिता सरकारी कर्मचारी थे। उनके माता- पिता चाहते थे कि वे पढ़े और अच्छी नौकरी प्राप्त करें। माता-पिता की इच्छापूर्ति हेतु डॉ. केतन तलसानिया ने इलेक्ट्रोनिक इन्जीनियर बन खूब नाम कमाया। कहते हैं न कि “पुस्तक की एक पंक्ति आपका जीवन बदल सकती है।” यह कहावत उनके जीवन में भी सच सिद्ध हुई।

वे आठ वर्ष के थे तब एक प्रसंग ने उनके जीवन पर विशेष छाप छोड़ी। वह होली के पावन त्योहार का दिन था। वे होलिका दहन का उत्सव मना रहे थे। एक वृद्धा बर्तन में से खाद्य पदार्थ बाँट रही थी। वहां बच्चे जिसमें डॉ. केतन भी वे महिला के पास पहुँचे और कुछ खाना मांगा। भारतीय संस्कृति हमेशा बाँटने में विश्वास करती है। हम बच्चों को भगवान के प्रतिनिधि के रूप में देखते हैं। यद्यपि उस महिला के दिमाग में एसी उदार मान्यता के सिवा कुछ अलग सा था। उसने बच्चों को असभ्य टिप्पणीयों से अपमानित किया और उनको ठेस पहुँचाई। डॉ. केतन जो एक सभ्य और दयालु हृदय थे और वह यह सब सह न सके। क्योंकि उनके साथ भी उस महिला ने ऐसा ही घृणित वर्ताव किया था। उसी वक्त केतन तलसानिया ने ठान लिया की मुझे वो बनना है जिसका कोई तिरस्कार न कर सके।

हम वह बन सके जो विश्व कल्याण का काम करें। उन्होंने अपनी विशेष पहचान बनाने का संकल्प किया। अब वह सोच रहे थे कि शुरूआत कहां से की जाये। तो उनको याद आया कि नेपोलियन हिल्स ने कहा है कि “इच्छा वह सभी सिद्धियों का प्रारंभ-बिंदु है, आशा नहीं, परंतु आतुरता धड़कने में हैं।” डॉ केतन ने बहुत से महान लोगों की जीवनी पढ़ना शुरू किया और अपने दृढ़ संकल्प की कुलाद लेकर मंजिल के शिखरों पर अपना विजय ध्वज लहराने चल दिये। हां वह मानते थे कि इंजीनियर के गुणों में भी एक विश्लेषणात्मक मन भी होता है जिस मन के सहारे डॉ. केतन के सम्पर्क में एक व्यक्ति मानो प्रकट हो गये। जोकि ज्योतिष एवं वास्तु की पुस्तकप्रेमी थे।

केतन तलसानिया की भी वास्तु में रूचि बढ़ने लगी जबकि उनके परिवार में से कभी भी कोई को ज्योतिष विज्ञान के फील्ड में नहीं था। फिर वैज्ञानिक इंजीनियर सोच वाले केतन तलसानिया ने ज्योतिष शास्त्र और वास्तु की दृष्टि से अपने स्वंय के जीवन की दैनिक घटनाओं का विश्लेषण करना आरम्भ किया। कुछ समय बीतने के बाद वह इस वास्तु और ज्योतिष की दुनिया के सिरमोर कहलाने लगे। फिर जब वे किसी के घर मुलाकात करने जाते तब उनके दिमाग में अन्य प्रश्न खडे होते कि आखिर! इस परिवार को आर्थिक अथवा स्वास्थ्य समस्याए क्यों है ? उन्होंने ज्योतिषशास्त्र और वास्तु में इन सभी जटिल प्रश्नों के उत्तर खोजे । उन्हें ऐसा महसूस होता था कि कोई सुपरपावर अथवा मार्गदर्शक शक्ति है जो उसके लिए मुझे सूचित किया करती है।

इसके बाद केतन तलसानिया ने अपना शोध केवल इस विषय पर केन्द्रित किया कि आखिर! ऐसा क्यों होता कि जब घर, बंगला, या कोई भी ईमारत जब संपत्ति वास्तु से सुसंगत होने पर भी यहाँ रहनेवालों को आर्थिक, निजी अथवा स्वास्थ्य समस्याओं सेे क्यों तोड़ रही है । इन्हीं सब रहस्मयी घटनाओं के बारे में उन्होंने शोध करना प्रारंभ किया । कि अच्छी भली सुुन्दर दिखने वाली इमारतों में आखिर! गल्ती कहां पर है और इसका सही इलाज क्या है? उन्होंने अपने अनुभवों से यह ज्ञात किया कि अधिकृत घरों के स्पंदन विविध कारणों से नकारात्मक होते है | प्रभावित घर अथवा वास्तु की शुद्धि के लिए क्या किया जा सकता है ? ये नकारात्मक शक्तियांं आखिर! घर को प्रभावित क्यों करतीं है। घर को प्रभावित करने वाली अनिष्ट शक्तियां घर में रहने वाले को निरंतर कस्ट देते रहते है। इसलिए यह आवश्यक है की घर के लक्षणों को पहचान के जो समस्या है उसका उपाय कर सकें। उन्होंने अपनी थीसिस मैं नकारात्मक शक्तियों के होने के कुछ लक्षणों को विस्तार मेंं वैज्ञानिक कारणों के साथ दर्शाया है।

जैसे- वास्तु की दीवारों में दरारे पड़नाा या वास्तु की कम्पाउंड की दीवारें नीचे से लेकर ऊपर तक अलग हो जाना। कभी-कभी घर में अपरिचित वस्तु का मिलना। घर के चारों और अनाकलनीय चित्रों का उभरना ,जैसे दीवार पर खरोच के निशान या अलमारियां व दीवारों पर भयानक चहरे की आकृति आदि। सात्विक पौधे जैसे तुलसी का अचानक सूख जाना और कभी भी पुष्पित और पल्लवित न होना नियमित कुत्ते अथवा बिल्ली का रोना या बिना कारण भौकना। अनायास ही घर के पालतू प्राणी की मृत्यु होना जाना। घर में अचानक कीड़े-मकोड़े , लाल-चींटिया तथा चूहों का अचानक आक्रमण करना। घर में हमेशा अकारण रोग अथवा आर्थिक समस्या बनी रहना। अकारण घर में लगातार मृत्यु होना। कोई निगरानी कर रहा है ऐसा अहसास होना। कपड़े वास्तु या फर्श पर अकारण रक्त के धब्बे दिखना। वास्तव में अनिष्ट शक्ति दिखना। असामान्य पेड़ अचानक निकलना। लाइट के बल्ब नीचे गिरना, और अपने आप टीवी – रेडियो,बाद्ययंत्र आदि बंद या चालू होना।

घर की चीज अस्त – व्यस्त हो जाना, या मनुष्य द्वारा ठीक से रखने का मन नहीं होना। स्वप्न में नाग, जल या डरावनी चीजें दिखना। भिन्न-भिन्न प्रकार की आवाजें सुनाई देना। रात को सोते समय कोई आपको जगाता हो ऐसा अनुभव होना। बिस्तर – तकिये से आवाज आनाा। घर की कोई वस्तु, टाइल्स अपने आप टूटना या दरार हो जाना। एक ही रूम की कुछ टाइल्स गरम तो कुछ टाइल्स ठंडी लगना – कलर बदल जाना। वास्तुयुक्त घर के शीशे टूटना। घरों में कबूतरों का आवागमन बढ़ जाना या घोसला बनाना। यह सब देखने और विश्लेषण करने बाद केतन तलसानिया ने सोचाा कि वास्तुयुक्त घर हैै फिर यह दिक्कतें क्यों है? और यह दिक्कतें है तो आखिर! इनका सही वैज्ञानिक रीति से क्या इलाज है? अब उन्होंने अपना मजबूत कदम पेरानोर्मल वास्तु की ओर बढ़ाया।

अब वे औद्योगिक और आवासीय संपत्ति पर विस्तृत संशोधन कार्य करने लगे । उन्होंने इस पर एक थिसिस लिखी और पैरानार्मल वास्तु से डॉक्टरेट पूर्ण करने वाले वह विश्व में एक मात्र व्यक्ति घोषित हुए। पेरानोर्मल प्रवृत्ति में वास्तु विज्ञान में ड़ॉक्टरेट प्राप्त करनेवाले प्रथम भारतीय के रूप में भगवान विश्वकर्मा के पुत्र समान बन गये है । जिनकी सोच ने सैकड़ों वीरान पड़े घरों को आबाद कर दिया। डॉ केतन तलसानिया अब पैरानॉर्मल वास्तु के शोधकर्ता बन सारी दुनिया में छा गये।इसके बाद उन्हें कोई रोकनेवाला नहीं था। डॉ. केतन तलसानिया के नाम कई तरह के राष्ट्रीय वअंतरराष्ट्रीय वर्ल्ड रिकार्ड व सम्मान हैं और इन सम्मानों का आलम यह है कि आज डॉ केतन तलसानिया का घर सम्मान पत्रों, सील्ड, सर्टिफिकेट से भरा पड़ा है क्योंकि यह उनके प्रति लोगों का प्यार है और विश्वास है क्योंकि जिस मकानों को बंगलों को लोगों ने अपनी जीवनपूंजी लगाकर बनाया हो और कोई उसके भुतवा होने का दावा कर दे तो इसमें मकान मालिक के साथ उस देश की गवर्नमेंट तक का भारी नुकसान होता है।

चूँकि मैं एक लेखक हूं एक सम्मानित पत्रकार हूं इस लिहाज से मैने डॉ केतन तलसानिया से पूछा कि आखिर! आपने इतना पैरानार्मल वास्तु का कठिन मार्ग ही क्यों चुना? तो उन्होंने बताया कि मेरी सोच विश्व शांति और मानवताहित में हैं कि भगवान के बनाये इस सुन्दर संसार के किसी भी घर में किसी भी बिल्डिंग में विरानी, उदासी और नकारात्मकता का माहौल न हो। हर घर मैं खुशियों के उजालें हों और हर घर में मंगल कार्यों की शहनाईयां बजें। सभी स्वस्थ हों और सभी निरोगी हो। सभी के घर और अपने सदा सुरक्षित रहें।

Edited By: Samridh Jharkhand

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