पश्चिम बंगाल में शराबखोरी के खिलाफ महिलाओं ने किया विरोध-प्रदर्शन, रोक की मांग
कोलकाता : कोलकाता और पुरुलिया शहर में 28 सितंबर को दोपहर 1 बजे से झाडू से लैस महिलाओं ने राज्य में शराब के बड़े पैमाने पर दुरुपयोग को रोकने की मांग करते हुए आबकारी विभाग तक मार्च किया। उनके नारे इन दो शहरों की सड़कों पर गूंज रहे थे। मोद हटाओ, देश बचाओ, शराब हटाओ, देश बचाओ और मोद जुवा, फोर, झेंटिया बिदाई कोर यानी झाड़ू मारकर शरब और जुए को दूर भगाओ।
कोलकाता में भारी बारिश और दोनों जगहों पर समान रूप से भारी पुलिस उपस्थिति के बावजूद, श्रमजीवी महिला समिति और पश्चिम बंग खेत मजूर समिति के लगभग 5000 सदस्यों ने आबकारी विभाग के अधिकारियों से मुलाकात की। आबकारी विभाग ने बिना लाइसेंस वाली दुकानों के खिलाफ पूर्ण सहयोग व कार्रवाई का वादा करते हुए शराब से राजस्व को सक्रिय रूप से बढ़ाने के लिए राज्य सरकार की नीति में उलटफेर की मांग को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया।
दोनों समितियां जुए के कारण होने वाली आय के नुकसान और मजदूर वर्ग के बीच शराब और नशीली दवाओं के बढ़ते दुरुपयोग के बारे में बहुत चिंतित हैं। इसका असर मजदूर परिवारों पर पड़ रहा है। वर्तमान राज्य सरकार इन बुराइयों को लोगों की आसान पहुंच में लाकर इस प्रवृत्ति को बढ़ावा दे रही है। 2010-11 में इस सरकार के सत्ता में आने से पहले शराब से आबकारी राजस्व मात्र 1082.94 करोड़ था। शासन के 9 वर्षों के बाद 2019.20 में यह दस गुना से अधिक बढ़कर 112366 करोड़ हो गया है। 2007-2011 की अवधि में जहां उत्पाद शुल्क से आय 12ण्25 प्रतिशत बढ़ी, अगले 5 वर्षों में 54ः की वृद्धि देखी गई। 2016-2021 की अगली अवधि में दो साल के लॉकडाउन और कोविड के बावजूद आबकारी विभाग के राजस्व में 33.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
राजस्व की यह वृद्धि उन महिलाओं की कीमत पर हो रही है, जो घर के अंदर और बाहर दोनों जगह शराबियों से अधिक से अधिक हिंसा का सामना कर रही हैं। अधिकांश खुदरा काउंटर जो बिना लाइसेंस के हैं, वे स्कूलों, मंदिरों और सरकारी कार्यालयों के 100 मीटर के दायरे में हैं। राज्य में अवैध शराब से कई मौतें भी हो चुकी हैं।
इस विकट परिस्थिति ने महिलाओं को हाथों में झाडू लेकर सड़कों पर उतरने को विवश कर दिया है। आंदोलन में शामिल महिलाओं की मांगें हैं –
बिना लाइसेंस वाले काउंटरों से शराब की बिक्री तत्काल बंद की जाए।
वर्तमान समय में लाइसेंस प्राप्त दुकानों से सीमित मात्रा में ही शराब की बिक्री की जानी चाहिए, जबकि लंबी अवधि में शराब की बिक्री पूरी तरह से बंद कर दी जानी चाहिए।
धार्मिक, स्वास्थ्य और शैक्षणिक संस्थानों और सरकारी कार्यालयों के 1 किलोमीटर के भीतर शराब की बिक्री की अनुमति नहीं होनी चाहिए।
सभी प्रकार के जुए को अवैध घोषित किया जाना चाहिए।