झारखण्ड में नए निवेश को बढ़ावा के साथ पुराने स्टेकहोल्डर्स की समस्याओं का भी अब सुध लेगी सरकार
रांची: राज्य सरकार द्वारा नई दिल्ली में किये गये इन्वेस्टर समिट के बाद से ही राज्य के लघु उद्योग और चैम्बर ऑफ कॉमर्स सरकार से नाराज चल रही है। उनका कहना है कि सरकार द्वारा केवल बाहरी बड़े निवेशकों को सुवीधा पहुँचाने के लिये कार्य किया जा रहा । राज्य में पहले से कार्य कर रहे उद्योगों की कोई सुध नहीं ली जा रही है। इनमें से कई तो बंद होने के कगार पर आ गए हैं। उनका कहना है कि उद्योग विभाग द्वारा झारखण्ड के कई लघु उद्योग लगाने के लिये दिये गए आवेदन को लम्बे समय से विभाग के फाइलों में क्लियरेंस के लिये अटके पडे है। वहीं 2700 फैक्ट्रियों का पॉल्यूशन सर्टिफिकेट लंबित पड़ा है।

बैठक में पूजा सिंघल को चैंबर ऑफ कॉमर्स एवं झारखंड स्मॉल स्केल इंडस्ट्रीज द्वारा राज्य के लघु उद्योगों के स्थापना और पहले से कार्य कर रहे उद्योगों की परेशानियों से अवगत कराया गया। इस बैठक में पूज सिंघल ने कहा कि झारखंड में निवेशकों को प्राथमिकता देने के उद्देश्य से राज्य में नई औद्योगिक एवं प्रोत्साहन नीति बनाई गई है । सरकार की कोशिश है कि सिंगल विंडो सिस्टम के तहत सभी निवेशकों के आवेदन को ससमय निष्पादित किया जाय। उन्होंने कहा कि राज्य में उद्योगों की स्थापना के लिये लंबित आवेदनों को खत्म करना विभाग और सरकार की प्राथमिकता है।
ने उद्यमियों को भरोसा दिलाया है कि राज्य के श्रम, उद्योग की नीतियों में व्यापक बदलाव किये गये हैं। सरकार जल्द ही रूरल इंडस्ट्रीज पॉलिसी भी तैयार करेगी, ताकि ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि आधारित उद्योगों की स्थापना की दिशा में कदम बढ़ाया जा सके। उन्होंने कहा कि राज्य में बंद पड़े अथवा कमजोर उद्योंगों को पुनर्जीवित करने के लिये जल्द ही ऐसे उद्योगों को चिह्नित कर सूची तैयार की जायेगी तथा संभावित विकल्पों पर विचार किया जायेगा।
उद्योग सचिव ने उद्यमियों को संबोधित करते हुए कहा कि ओरमांझी, देवघर और धनबाद में इंडस्ट्रीयल एरिया अधिसूचित कर लिया गया है तथा उसके लिये जमीन भी उपलब्ध है। सरकार यह सुनिश्चित करने की दिशा में कदम बढ़ा चुकी है। उद्योगों की स्थापना के लिये उद्यमियों को दफ्तरों के चक्कर नहीं काटने पड़ें।
