रांची: झांसा देना भाजपा का धंधा: सुबोधकांत

रांची: झांसा देना भाजपा का धंधा: सुबोधकांत

रांची: पूर्व केंद्रीय मंत्री व कांग्रेस से चुनाव लड़ रहे प्रत्याशी सुबोधकांत सहाय ने कहा कि भाजपा का घोषणापत्र महज झूठ का पिटारा है। इसमें कोई भी विजन नही है। सहाय ने कहा कि यह सरकार भविष्य के कोरे सपने दिखाकर वर्तमान में जनता का वोट लेना चाहती है। सच तो यह है कि सत्ता में आने के बाद केंद्र की मोदी सरकार ने जनता को झांसा देने के सिवा कुछ नहीं किया।

श्री सहाय ने कहा कि चुनाव जीतने के पहले नरेंद्र मोदी कहते थे बहुत हुई महंगाई की मार अबकी बार भाजपा सरकार। लेकिन सत्ता में आने के बाद भाजपा ने पेट्रोल- डीजल के साथ रसोई गैस को इतना महंगा किया कि जनता त्राहिमाम कर उठी। रेल का सफर महंगा हुआ। मॉब लिंचिंग की घटनाएं बढ़ीं। देश की सामाजिक समरसता को मोदी सरकार ने सत्ता में आने के बाद तार- तार कर दिया। आज हालत यह है कि पांच साल में मोदी सरकार ने 27 लाख बारह हजार करोड़ से अधिक का कर्ज लिया है। हर महीने मोदी जी 45 हजार करोड़ का कर्ज लेते हैं।

सच तो यह है कि मोदी सरकार का पांच साल का सफरनामा जुमलों से झांसों तक का है। इसके विपरीत कांग्रेस ने देश की जनता का भरोसा जीता है। कांग्रेस ने तीन राज्यों में सत्ता में वापसी करने के बाद किसानों के कर्जे माफ किए। छत्तीसगढ़ में टाटा कंपनी के लिए छीनी गयी किसानों की जमीन वापस की। और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की न्याय योजना तो देश के गरीबों को ध्यान में रख कर बनायी ही गयी है। कांग्रेस ने देश के सरकारी महकमों में खाली पड़े सभी पदों को भरने का वादा किया है और दुनिया जानती है कि कांग्रेस सिर्फ वादे नहीं करती, उसे निभाती भी है।
श्री सहाय ने कहा कि भाजपा के झूठ से जनता तंग हो चुकी है और अब वह दुबारा भाजपा के झांसे में नहीं आयेगी। सहाय ने कहा कि भाजपा यह क्यों नहीं बताती कि दो करोड़ रोजगार देने का वादा करनेवाली सरकार के कार्यकाल में बेरोजगारी की दर 45 साल में सबसे अधिक कैसे हो गयी। किसान को लागत पर पचास प्रतिशत मुनाफे देने के वादे का क्या हुआ। 80 लाख करोड़ का कालाधन 100 दिन में लाने के वादे और हर व्यक्ति के खाते में पंद्रह लाख देने के वादे हवा- हवाई क्यों साबित हुए। इस सरकार ने दलितों और आदिवासियों को न्याय दिलाने का वादा किया था लेकिन आज देश में हर 12 मिनट पर एक दलित के साथ अत्याचार क्यों होता है।
सरहुल में हुये शामिल:
सुबोधकांत सहाय आज सरहुल की शोभायात्रा का हिस्सा भी बने। उन्होंने लोगों को इस बाबत बधाइ्र दी। पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि ग्लोबलाइजेशन के कारण संपूर्ण विश्व सिमटकर एक गांव तो हुआ है पर इसने देशज संस्कृति को खत्म करने का काम किया है। औद्योगिकीकरण के कारण प्रदूषण बढ़ा है और पेड़- पौधों तथा जंगलों के कटने की रफ्तार तेज हुई है। सरहुल पर्व हमें प्रकृति के अनुकूल विकास का संदेश देता है। प्रकृति के साथ मिलकर चलने से ही मनुष्य जाति का अस्तित्व सुरक्षित रह सकता है। हमें इसे समझने की जरुरत है। हमारे पूर्वजों ने जंगलों और पहाड़ों में देवता का वास माना। उनकी रक्षा की और यह सत्य है कि आज भी जहां कहीं भी जंगल बचे हैं वे आदिवासियों के कारण ही बचे हैं। ऐसे में सरहुल प्रकृति की रक्षा का भी संदेश देता है।
Edited By: Samridh Jharkhand

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