राष्ट्रपति चुनाव: झामुमो का द्रौपदी मुर्मू की ओर बढता झुकाव, भविष्य पर भी असर पड़ने की संभावना

रांची: राजनीतिक हालात की वजह से सिकुड़ चुके यूपीए के कुनबे का एक और मुश्किल का सामना आने वाले दिनों में झारखंड में करना पड़ सकता है, जहां वह फिलहाल सत्ता में है। राज्यसभा चुनाव के बाद राष्ट्रपति चुनाव से झामुमो एवं कांग्रेस के बीच दूरियां बढने के संकेत मिल रहे हैं। झामुमो ने अबतक यह स्पष्ट नहीं किया है कि वह राष्ट्रपति चुनाव के लिए अपने सहयोगी कांग्रेस के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को समर्थन देगा या प्रतिद्वंद्वी भाजपा की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को। पर, वह यह बहुत ठोस संकेत दे रहा है कि उसका झुकाव द्रौपदी मुर्मू की ओर है।

एनडीए से राष्ट्रपति उम्मीदवार आदरणीय श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी आज झारखण्ड आ रही हैं।
भगवान बिरसा की पावन धरती पर उनका हार्दिक स्वागत है।
आदरणीय द्रौपदी जी को हमारी ओर से अनेक-अनेक शुभकामनाएं और जोहार।— Hemant Soren (@HemantSorenJMM) July 4, 2022
द्रौपदी मुर्मू के झारखंड आगमन से पूर्व मुख्यमंत्री व झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन ने उनके स्वागत के लिए ट्वीट किया। झामुमो या उसके बड़े नेता यशवंत सिन्हा के लिए अबतक ऐसा बड़ा हृदय नहीं दिखा सके हैं।
झामुमो लगातार अपने झुकाव का संकेत दे रहा है। हेमंत सोरेन के द्रौपदी मुर्मू से रिश्ते अच्छे रहे हैं। कल द्रौपदी मुर्मू की शिबू सोरेन व हेंमंत सोरेन से मुलाकात भी हुई है।
झामुमो अपने नए स्टैंड के जरिए जदयू का स्वरूप लेता दिख रहा है, जो किसी मुद्दे पर एनडीए तो किसी मुद्दे पर यूपीए के साथ दिखता है और अपना स्वतंत्र अस्तित्व होने का मजबूत संकेत देता है। भाजपा के विरोध के बावजूद जदयू ने जातीय जनगणना का समर्थन किया। कई मुद्दों पर वह असहमति प्रकट करता है। जदयू को किसी दल के साथ गठजोड़ व सरकार बनाने में आपत्ति न रही है और झामुमो तो पहले से ही भाजपा और कांग्रेस दोनों के साथ सरकार चला चुका है।