चारा घोटाला में 16 अभियुक्तों को 3-4 साल की सजा, 7 लाख तक जुर्माना
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-मामला चाईबासा कोषागार से अवैध निकासी का
स्टेट ब्यूरो: अविभाजित बिहार के सर्वाधिक बड़े व बहुचर्चित चारा घोटाला आरसी20/96 चाईबासा कोषागार से अवैध निकासी प्रकरण में सीबीआई के विशेष न्यायाधीश एसएन मिश्र ने बुधवार को 18 में से 16 अभियुक्तों को दोषी करार देते हुए 3 से 4 साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई। जबकि ट्रायल फेस कर रहे एक आरोपी शेरुन निशां की तबीयत खराब होने की वजह से उनके मामले में सुनवाई नहीं हो सकी, वहीं एक आरोपी की सुनवाई के दौरान मौत हो चुकी है। गौरतलब है कि फर्जी कागजात के आधार पर 37.70 करोड़ रुपये की निकासी की गई थी। मामले में 11 लोगों को 3-3 साल की सजा सुनायी गई, जबकि पांच अन्य को 4-4 साल की सजा सुनायी गयी। अभियुक्तों पर अधिकतम 7 लाख व न्यूनतम 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है।
आज जिन दोषियों को सजा के अलावे जुर्माना लगाया गया है, उनमें उमेश दुबे – 4 साल व 3 लाख 50 हजार जुर्माना, महेंद्र कुमार कुंदन – 4 साल व 7 लाख, आदित्य जोरदार – 3 साल की सजा, विमल कुमार अग्रवाल – 3 साल व 25 हजार, बृज किशोर अग्रवाल: 3 साल व एक लाख 60 हजार, राम अवतार शर्मा – 4 साल व 4 लाख ,राजेंद्र कुमार हरित – 3 साल व 8 हजार, संजीव कुमार बासुदेव – 3 साल की सजा, किशोर कुमार झा – 4 साल व 5 लाख, बसंत कुमार सिन्हा – 4 साल व 6 लाख, मधु – 3 साल की सजा, अपर्णीता कुंडू – 3 साल व एक लाख 70 हजार, सहदेव प्रसाद – 3 साल व 30 हजार, लालमोहन गोप – 3 साल व 30 हजार, भरतेश्वर नारायण लाल – 3 साल की सजा और अनिल कुमार को 3 साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई है।
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चाईबासा कोषागार से अवैध निकासी के मूल अभिलेख में लालू प्रसाद यादव व डॉक्टर जगन्नाथ मिश्रा समेत 46 आरोपी को सीबीआई के विशेष न्यायाधीश द्वारा सजा सुनायी जा चुकी है। मामले से जुड़े 18 आरोपियों के खिलाफ सीबीआई ने कोर्ट में बाद में चार्जशीट दाखिल की थी। विशेष लोक अभियोजक बीएमसी ने सभी आरोपियों के खिलाफ लगे आरोपों को साबित करने के लिए कोर्ट में 79 गवाहों का बयान दर्ज कराया, जबकि 18 आरोपियों की ओर से बचाव पक्ष में 5 गवाहों के बयान दर्ज कराया गया। इनमें से 15 आपूर्तिकर्ता हैं। जबकि दो कारागार करनी व एक चाईबासा पशुपालन कार्यालय में संदेश वाहक है। लालू यादव पहली बार 30 जुलाई, 1997 को जेल गये थे, बाद में उन्हें 12 दिसंबर, 1997 को रिहा कर दिया गया। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री पर 5 अप्रैल, 2000 को आरोप तय किया गया था। 2017 में रांची सीबीआइ की विशेष अदालत ने उन्हें सजा सुनायी व तभी से जेल में बंद हैं, लेकिन तबीयत खराब होने की वजह से वे रिम्स में भर्ती हैं। गौरतलब है कि 18 फरवरी, 2019 को दिल्ली में पदस्थापित प्रशासनिक अधिकारी अमित खरे की गवाही पूरी होने के बाद अदालत ने आरोपियों के बयान दर्ज किये थे।
Edited By: Samridh Jharkhand
