Jharkhand के coal mines में दफन हैं कितनी लाशें, जिम्मेदार कौन
Dhanbad: पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल (Babulal Marandi) धनबाद में हुए कोयला खदान (coal mines) हादसे की जिम्मेवारी सीधे तौर पर सरकार पर मढ़ रहे हैं। उन्होंने धनबाद जाकर मौके का जायजा लिया, स्थानीय लोगों से मुलाकात की और फिर रांची में प्रेस वार्ता के माध्यम से अपनी बात रखी। बाबूलाल ने प्रेस वार्ता में तीन मुख्य बातें रखीं।
सरकार, प्रशासन और स्थानीय गिरोह मिलकर कोयले का अवैध खनन कर रह हैं।
हादसे में पांच से अधिक मौतें हुई हैं, एक मृत महिला की वे डीटेल भी दे रहे हैं।
खदानों (coal mines) की सुरक्षा की कोई व्यवस्था नहीं की गयी है, जिस वजह से अकसर हादसे होते हैं।
धनबाद के निरसा में अवैध उत्खनन को से हुए हादसे को प्रशासन लीपापोती में जुटी हैं। प्रशासन के संरक्षण में खुलेआम कोयले की लूट मची हैं।
हमने कल गोपिनाथपुर, कापासरा और दहीबाड़ी खदान का निरीक्षण किया, उसमें स्पष्ट दिखता है कि कैसे संगठित रूप में कोयले का अवैध उत्खनन और तस्करी होती है। pic.twitter.com/dAucuIQ0Iu— Babulal Marandi (@yourBabulal) February 4, 2022
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Coal mine accident में मृतकों की वास्तविक तस्वीर उजागर नहीं
बाबूलाल ने प्रेस वार्ता में प्रमुखता से इस बात को उठाया है कि मौत के आंकड़ों को छुपाया जा रहा हैं। एक नीजी चैनल को इंटरव्यू देते हुए उन्होंने कहा कि पुलिस 12-14 घंटे बाद घटनास्थल पर पहुंची, उनके पहुंचने के पहले ही लोगों ने वहां से कई लाशें हटा ली थी। बाबूलाल इसी इंटरव्यू में एक व्यक्ति का भी जिक्र करते हैं, कहते हैं कि उसकी पत्नी भी पिछले मंगलवार को उसी खदान में दबकर मर गयी थी, जिसकी लाश अभी तक नहीं मिली हैं। पूर्व मुख्यमंत्री ने इस बात की सूचना प्रशासन को भी दी है।
पंचेत स्थित दहीबाड़ी खदान हादसे में पुलिस किसी की भी मौत से इनकार करती है।
लेकिन कल एक मृतका का पति हमारे सामने आकर बताया कि मंगलवार की सुबह 6:30 बजे हुए हादसे में उसकी पत्नी की मौत हो गई।
पुलिस अबतक कुल 5 मौत की बात कहती है अब उसे कम से कम 1 संख्या उसमें जोड़ लेनी चाहिए।#Nirsa pic.twitter.com/yP2WpRHoaR— Babulal Marandi (@yourBabulal) February 4, 2022
अवैध खनन के सबूत हैं मौजूद
बकौल मरांडी, बंद पड़े खदान (coal mines) के पास भी टोकरियां, फावड़े आदि पड़े हैं, जिससे साबित होता है कि ऐसे प्रतिबंधित खदानों में भी अवैध रूप से खनन हो रहा है। इसमें पुलिस और प्रशासन के लोग भी मिले हुए हैं। उन्होंने कहा कि यो तो सरकार उन गिरोहों से डरती है, या फिर उनसे मिली हुई हैं। इसी मिली भगत की कारण खदानों की सुरक्षा में कोताही बरती जा रही है।
पंचेत स्थित दहीबाड़ी खदान हादसे में पुलिस किसी की भी मौत से इनकार करती है।
लेकिन कल एक मृतका का पति हमारे सामने आकर बताया कि मंगलवार की सुबह 6:30 बजे हुए हादसे में उसकी पत्नी की मौत हो गई।
पुलिस अबतक कुल 5 मौत की बात कहती है अब उसे कम से कम 1 संख्या उसमें जोड़ लेनी चाहिए।#Nirsa pic.twitter.com/yP2WpRHoaR— Babulal Marandi (@yourBabulal) February 4, 2022
खदानों (coal mines) में दफन हैं कितनी लाशें
यह सच है कि झारखंड के प्रतिबंधित पड़े खदानों में खनन जारी है, चाहे वो कोयला की खदानें हों या अबरक की। इस बीच हादसों के बाद जब लोगों की मौत हो जाती है तो लोग खुद ही मौतों का आंकड़ा छुपा लेते हैं, क्योंकि वे डरते हैं। इस तरह की कई मीडिया रिपोर्ट सामने आयी हैं। ऐसे में यह बता पाना मुश्किल है कि दरअसल इन खदानों (coal mines) में कितनी लाशें दफन हैं, क्योंकि कई मौतें सरकारी आंकड़े में आती ही नहीं हैं। लेकिन इसके लिए जिम्मेवार किसी एक को ठहराया नहीं जा सकता। पूर्व की सरकारों में भी खदानों की यही स्थिति थी। खदानों की सुरक्षा और अवैध खनन पर कोई लगाम नहीं लगा सका है।