स्वच्छ भारत : केवल 43% लोगों का मानना है कि पिछले 8 वर्षों में सार्वजनिक शौचालयों में सुधार हुआ है
नई दिल्ली : केंद्र के प्रमुख मिशन स्वच्छ भारत ने अपने कार्यान्वयन के आठ साल पूरे कर लिए हैं। ऑनलाइन कॉम्यूनिटी के एक सर्वे में केवल 43 प्रतिशत लोगों ने माना है कि सार्वजनिक शौचालयों की उपलब्धता में सुधार हुआ है।

यह पूछे जाने पर कि पिछले 8 वर्षों में आपके क्षेत्र/जिले/शहर में सार्वजनिक शौचालयों की उपलब्धता में क्या सुधार हुआ है? 41 प्रतिशत ने कहा कि कोई सुधार नहीं हुआ है। वहीं 43 फीसदी ने महसूस किया कि सुविधाओं में सुधार हुआ है। इनमें से 16 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने प्रगति को महत्वपूर्ण सुधार के रूप में वर्णित किया।
वहीं 27 प्रतिशत ने कहा कि मामूली सुधार हुआ है। कुल मिलाकर, 52 प्रतिशत उत्तरदाता मिशन शुरू होने के 8 साल बाद भी अपने क्षेत्र में सार्वजनिक शौचालय उपलब्ध कराने के सरकार के प्रयासों से संतुष्ट नहीं थे।
सर्वे में क्या आप मानते हैं कि स्वच्छ भारत पर सरकार के प्रयासों को देखते हुए पिछले 8 वर्षों में नागरिक भावना में सुधार हुआ है? इस पर 12,397 प्रतिक्रियाएं मिलीं, जिनमें से 56 प्रतिशत नागरिकों ने महसूस किया कि कुछ सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। 42 फीसदी लोगों का मानना है कि नागरिकों के बीच ‘थोड़ा सुधार’ हुआ है, जबकि 14 फीसदी का मानना है कि चीजें ‘काफी बेहतर’ हुई हैं।
शेष उत्तरदाताओं में से, 12 प्रतिशत को लगता है कि चीजें पहले से भी खराब हो गई है। 29 फीसदी का मानना है कि चीजें अभी भी वैसी ही हैं और 3 फीसदी ने अपना मत देने से इंकार कर दिया।
मिशन के शुरूआती दौर में तेज गति देखी गई, जो समय के साथ धूमिल होती चली गई। स्वच्छ भारत में सार्वजनिक जुड़ाव अब शून्य के करीब है, शीर्ष 15-20 स्वच्छ शहरों को छोड़कर, जहां नागरिक और नगर पालिकाएं स्वच्छ शहर के लिए काम कर रही हैं।
एक नए सिरे से नागरिक भावना जागरूकता अभियान नियमित रूप से स्थानीय स्तर पर सही प्रोत्साहन के साथ आयोजित किया जाना चाहिए, ताकि नागरिक और निकाय एक स्वच्छ शहर की दिशा में मिलकर काम करें।
