नर्मदा घाटी के लोगों ने लिया जल सत्याग्रह का संकल्प, सरकारी अधिकारियों को जलस्तर बढने को लेकर दी चेतावनी
पिछले साल आयी बाढ के बाद इस साल भी घाटी को लोग हैं चिंतित

वर्ष 2023 में नर्मदा घाटी में आयी बाढ के बाद इस साल फिर घाटी के लोग बाढ को लेकर आशंकित है। सरकार और अधिकारियों का ध्यान आकृष्ट करने के लिए नर्मदा घाटी के लोगों ने जल सत्याग्रह का संकल्प लिया है। मध्यप्रदेश के बड़वानी जिले के बड़वानी तहसील के कुकरा राजघाट गांव में 13 अगस्त को धरना सत्याग्रह किया और जल सत्याग्रह का संकल्प लिया गया।
बड़वानी : वर्ष 2023 में नर्मदा घाटी में आयी बाढ के बाद इस साल फिर घाटी के लोग बाढ को लेकर आशंकित है। सरकार और अधिकारियों का ध्यान आकृष्ट करने के लिए नर्मदा घाटी के लोगों ने जल सत्याग्रह का संकल्प लिया है। मध्यप्रदेश के बड़वानी जिले के बड़वानी तहसील के कुकरा राजघाट गांव में 13 अगस्त को धरना सत्याग्रह किया और जल सत्याग्रह का संकल्प लिया गया। ग्रामीणों ने सरदार सरोवर के बढते जलस्तर 135 मीटर पर पहुंचने का उल्लेख करते हुए कहा कि अभी कुछ गांव टापू बनना शुरू हुए हैं। ऐसे में हम जलस्तर अधिक बढने पर बिना पुनर्वास, डूब नामंजूर नारे के साथ जल सत्याग्रह करेंगे।

मेधा पाटकर ने कार्यपालक यंत्री के उस बयान का उल्लेख करते हुए सवाल उठाया, जिसमें कहा गया है कि कुकरा राजघाट के सभी विस्थापितों का पुनर्वास गुजरात में हो चुका है। उन्होंने सवाल उठाया कि यह बयान आखिर किस आधार पर दिया गया है। उन्होंने कहा कि सांसद रामजीलाल सुमन के सवालों के जवाब में भी जल शक्ति मंत्रालय में सभी विस्थापितों का पुनर्वास पूरा होने व पुनरीक्षित बैकवाटर लेवल सही साबित होने का दावा किया गया है। मेधा पाटकर ने ऐसे दावों की गड़बड़ियों को सामने रखा। राज्यसभा सांसद सुमेर सिंह सोलंकी के आरोपों का भी इस दौरान जवाब दिया गया। नर्मदा बचाओ आंदोलन की ओर से कहा गया कि वे नर्मदा का जल सबसे स्वच्छ होने के दावों को प्रमाणित करें। इसे वैज्ञानिक आधार पर साबित करने व इस संबंध में रिपोर्ट दिखाने को कहा गया। आंदोलन की ओर से बताया गया कि जल जनित बीमारियां किस तरह बढ रही हैं।
सभी सत्याग्रहियों ने नर्मदा नदी में उतर कर घाटी को बचाने का संकल्प व्यक्त किया गया।