भारत के पहले कोरोना टेस्टिंग किट का परीक्षण करने वाली मीनल दखावे भोसले की कहानी
पिछले दिनों खबर आयी कि भारत ने अपना पहला कोरोना वायरस टेस्टिंग किट का सफल परीक्षण कर लिया और उसे इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च की मंजूरी भी मिल गयी. यह टेस्टिंग पुणे के एक लैब में किया गया. इसमें कई वैज्ञानिकों व एक्सपर्ट की टीम लगी थी. इस टीम का एक अहम हिस्सा थीं मीनल दखावे भोसले.

जब देश और दुनिया कोरोना से जूझ रहा है, तब इस किट की सफल टेस्टिंग ऐसे प्रोजेक्ट को लीड कर रहे किसी भी शख्स के जीवन के लिए अहम वक्त हो सकता है. ऐसा ही मिनल के साथ भी था. जब इस किट का परीक्षण अंतिम दौर में थी तो मीनल गर्भवती थीं और उनके गर्भावस्था का वह अंतिम दौर था. उन्होंने बच्चे को जन्म देने से पहले कई तरह की लगातार टेस्टिंग की. मीनल माइलैब की रिसर्च एवं डेवलपमेंट चीफ हैं.
गर्भवती होने पर भी ऐसा करने के सवाल पर मीनल कहती हैं कि वह वक्त इमरजेंसी जैसा था, सो मैंने इस चैलेंज को स्वीकार किया, मैंने अपने देश की सेवा की.
18 मार्च को इस नए व भारत के पहले कोरोना किट को उसके मूल्यांकन के लिए नेशनल इंस्टीट्यूट आॅफ वाइरोलाॅजी को सौंपा गया. जिस दिन ड्रग कंटोल आथिरिटी को यह प्रस्ताव कामर्शियल उपयोग व एफडीए के लिए सौंपा गया, उसी शाम एक घंटे के अंदर उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया और अगले दिन उन्होंने एक बेटी को जन्म दिया.
मीनल का कहना है कि उनके द्वारा तैयार किट कोरोना की जांच ढाई घंटे में कर लेता है, जबकि विदेश से आयातित किट से छह से सात घंटे लगते हैं. उन्होंने तीन सप्ताह के रिकार्ड समय में यह किट तैयार किया.
