21वीं सदी में भी अंधविश्वास तले 3 महिलाओं को डायन बता की गई बर्बरता, 32 वर्षीय युवक के साथ भी बेरहमी

21वीं सदी में भी अंधविश्वास तले 3 महिलाओं को डायन बता की गई बर्बरता, 32 वर्षीय युवक के साथ भी बेरहमी

समृद्ध डेस्क : जहां 21वीं सदी में लोग चाँद पर जा रहें। वहां आज भी इस सदी में महिलाओं को अंधविश्वास (Superstition) के आधार पर उनके साथ दुर्व्यवहार (Misbehave )किया जा रहा है. डायन-बिसाही का एक ऐसा ही मामला गढ़वा जिले के नारायणपुर गाँव से सामने आया है. जहां 3 महिलाओं को डायन और एक युवक को ओझागुनी बता उन्हें बेरहमी से मारा-पीटा गया. वहीं महिलाओं को अर्द्धनग्न हो कर भीड़ के बीच नाचने के लिए कहा गया. महिलाओं द्वारा मना किये जाने पर उनकी पिटाई शुरू कर दी गयी. वहीँ एक महिला की आँख फोड़ने की कोशिश भी गयी.

बता दें इस मामले में 70 से भी अधिक लोग शामिल थे और सभी नशे में धुत थे. पीड़ितों ने बताया कि नारायणपुर गाँव में बलि रजवार की 2 बेटियां बीमार थी. बलि रजवार ने ही तीनों महिला पर डायन और एक युवक पर ओझागुनि का आरोप लगाया। लोगों ने गाँव में पंचायत बुलाई. जिसके बाद को अर्द्धनग्न हो कर नाचने के लिए कहा गया. इंकार करने पर महिलाओं को पीटना शुरू कर दिया गया. बता दें पीड़ित महिलाओं में एक 60 साल, दूसरी 55 साल और तीसरी महिला 50 साल की है. जबकि एक पीड़ित युवक 32 वर्ष का है. मिली सुचना के आधार पर पुलिस मौके पर पहुंची और पीड़ितों को उन ग्रामीणों से बचाया. जिसके बाद पुलिस सबको थाने ले गयी.

मामले पर गढ़वा उपायुक्त (District Magistrate) राजेश कुमार पाठक ने पीड़ितों (Victims) के साथ हुई इस बर्बरता को काफी गंभीर बताया. साथ ही कहा कि पुलिस-प्रशासन द्वारा दोषियों पर सख्त करवाई की जाएगी. जांच के लिए महिला पदाधिकारी के नेतृत्व में 10 अक्टूबर शनिवार को टीम भेजी जाएगी. रिपोर्ट्स सौपी जाने के बाद और उसके अनुसार करवाई होगी.

वहीं मानविधाकर संगठन के जिला महासचिव सुरेश मानस ने पुलिस को मामले पर कठोर करवाई करने की बात कही. वहीं पीड़ितों को क़ानूनी सहायता देने की बात बात कही. उन्होंने कहा कि इसी तरह कमज़ोर लोगों पर डायन-बिसाही का आरोप लगा कर उन्हें समाज से निकाल दिया जाता है और उनकी संपत्ति को हड़पने की साज़िश की जाती है.

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सवाल यह है कि हर मामलों पर महिलाएं कैसे शामिल हो जाती है. कभी दुष्कर्म, कभी सती-प्रथा कभी डायन-बिसाही. हम यह नहीं कहते कि महिलाओं का नाम न आये तो पुरुषों के साथ दुर्व्यवहार होना चाहिए. हमारा उद्देश्य केवल यह जानना है कि समाज में किसी भी व्यक्ति के साथ दुर्व्यवहार करने का हमे क्या अधिकार है? बिना-किसी जांच पड़ताल के किसी पर भी आरोप लगाने का क्या अधिकार है? उसके लिए हमारे देश में सरकार है , क़ानून है, प्रशासन है . मगर कुछ लोग इन सबसे भी खुद को ऊँचा समझते है. सवाल यह उठता है कि क्या समाज महिलाओं को यह एहसास दिलाना चाहता है कि महिला होना एक अभिशाप है.

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Edited By: Samridh Jharkhand

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