पशुपति पारस ने बताया, चिराग पासवान को अध्यक्ष व संसदीय दल के नेता के पद से हटाने की वजह
नयी दिल्ली : दिवंगत रामविलास पासवान के निधन के बाद उनकी लोक जनशक्ति पार्टी में वर्चस्व की जंग तेज हो गयी है। पासवान के पुत्र चिराग पासवान को परिवार के ही अन्य सदस्यों ने पार्टी से बेदखल कर दिया है। चिराग पासवान के चाचा व सांसद पशुपति कुमार पारस के नेतृत्व में पार्टी के सांसदों ने चिराग के खिलाफ बगावत का बिगुल फूंका हुआ है और पशुपति ने अब इसकी वजह बतायी है।
पार्टी के संविधान के खिलाफ एक व्यक्ति 3 पद पर रहा, इसलिए पार्टी ने फैसला लिया कि इन्हें (चिराग पासवान) संसदीय दल के नेता और राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से मुक्त किया जाए: पशुपति कुमार पारस, लोजपा https://t.co/dlrg5zX5yW
— ANI_HindiNews (@AHindinews) June 16, 2021
पशुपति कुमार पारस ने कहा है कि हमारी पार्टी के संविधान में यह लिखा हुआ है कि एक व्यक्ति एक ही पद पर रहेगा। चिराग पासवान 2013 से संसदीय बोर्ड के चेयरमैन बने हुए हैं और इसके बाद 2019 में उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया और इसके लिए चुनाव नहीं हुआ और न ही नामांकन हुआ। इसके बाद वे संसदीय दल के नेता भी बने।
पशुपति कुमार पारस ने कहा कि पार्टी के संविधान के खिलाफ एक व्यक्ति तीन पद पर रहा, इसलिए पार्टी ने फैसला लिया कि चिराग पासवान को संसदीय दल के नेता और राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से मुक्त किया जाए।
पशुपति कुमार पारस ने पत्रकारों से कहा कि आप चिराग पासवान से यह पूछें कि उन्होंने मुझे प्रदेश अध्यक्ष पद से क्यों हटाया। उन्होंने कहा कि जबकि वे इसके लिए पाॅवर नहीं रखते थे। पारस के अनुसार, उनकी निगरानी में पार्टी ने लोकसभा चुनाव लड़ा और छह सांसद जीते। चुनाव आयोग के डाटा के अनुसार हमें सबसे अधिक वोट प्रतिशत हासिल हुआ था।
You must ask Chirag Paswan why did he remove me from State President’s post. He did it even when he doesn’t hold power. We contested Bihar elections under my supervision&all 6 MP won. We received highest percentage of vote as per election commission’s report:Pashupati K Paras,LJP pic.twitter.com/6YqK36OCsZ
— ANI (@ANI) June 16, 2021
मालूम हो कि केंद्रीय मंत्री परिषद में फेरबदल के बीच लोजपा में चिराग के खिलाफ सांसदों ने बगावत कर दी है और कहा है कि वे एनडीए में ही रहेंगे। यह भी कहा गया है कि इस गुट का जदयू में विलय नहीं होगा। इस बगावत के बाद बागी खेमे के प्रतिनिधियों को केंद्रीय मंत्री परिषद में जगह मिलने की भी उम्मीद जतायी जा रही है।