वास्तुविद डाॅ केतन तलसानिया से समृद्ध झारखण्ड की विशेष बातचीत, स्वाभिमान पर नौकरी छोड़ शुरू किया नया सफर

वास्तुविद डाॅ केतन तलसानिया से समृद्ध झारखण्ड की विशेष बातचीत, स्वाभिमान पर नौकरी छोड़ शुरू किया नया सफर

नमस्कार दोस्तों ! आप सभी जानते हैं कि हमारी भारतभूमि पावन देवी- देवताओं, ऋषियों, मुनियों की जननी मानी गयी है। यहाँ की पावन भूमि से न जाने कितने ही शूरवीरों व समाजसुधारकों ने जन्म लेकर अपने सुकर्मों से देश-दुनियां को उन्नत सोच के साथ उन्नत दिशारूपी श्रेष्ठ मार्गदर्शन और सर्वहित की उन्नतमानसिकता का परिचय देकर हमारी भारतभूमि को धन्य किया है। इसी कड़ी में हम नाम जोड़ना चाहेगें : ऐतिहासिक शहर गुजरात के गौरव व देश के महान वास्तुशास्त्री व ज्योतिषरत्न व बहुमुखी प्रतिभा के धनी सर्वसम्माननीय बेहतरीन शख्शियत आदरणीय श्री केतन तलसानिया जी का जो किसी परिचय के मोहताज नहीं जो अद्भुद ज्ञान के भण्डार पैरानार्मल एक्सपर्ट के नाम से विश्वविख्यात है। आज पूरा देश जानना चाहता है कि आपकी यह आम से खास बनने की यात्रा शुरू कैसे हुई? समृद्ध झारखंड के  सुमित कुमार व ब्लॉगर आकांक्षा सक्सेना से डॉ. केतन तलसानिया की बातचीत के अंश-

सवाल: डा. केतन जी आपका जन्म स्थान कहाँ है?

जवाब: मेरा जन्म तहसील धांधुका में हुआ जो कि गुजरात के अहमदाबाद ज़िले में स्थित है और मेरे पिताजी एक सरकारी नौकरी सामान्य पोस्ट पर करते थे। माताजी एक गृहिणी थीं और मैं 1 भाई और 2 बहन के एक मध्यम वर्गीय परिवार से हूँ।

सवाल: आपने वास्तुशास्त्र को ही करियर के रूप में क्यों चुना?

जवाब: वास्तुशास्त्र को मैंने कैरियर के रूप में नहीं चुना था लेकिन कुदरत को शायद ये मंज़ूर था कि मैं साधारण इंसान इस ज्ञान के द्वारा लोगों का मार्ग दर्शन करूं और इसके लिए मुझे लायक समझा और अपने दिव्य ज्ञान की अद्भुद धारा मुझ पर बरसाई।

मैंने तो पढ़ाई इलेक्ट्रॉनिक क्षेत्र में कि थी लेकिन २००६ तक में वास्तु और ज्योतिष को शौक बतौर और सेवा के रूप में ले रहा था क्योंकि मेरी जीवन निर्वाह नौकरी से चल रही थी लेकिन मेरा स्वाभिमान और आत्म सम्मान से जीने वाला स्वभाव के कारण नौकरी में कुछ अनबन हुई और इस्तीफा देकर घर पर बैठ गया। दो-तीन महीने बीतने के बाद आय का कोई साधन ना रहा तो इस वास्तुशास्त्र को ही अपना व्यवसाय चुन लिया।

सवाल: एक पैरानॉर्मल एक्सपर्ट, वास्तुशास्त्र, ज्योतिषशास्त्र विशेषज्ञ के तौर पर आपको आपके परिवार का कितना सपोर्ट मिला ?

जवाब: परिवार के सपोर्ट की बात करें तो मेरा परिवार कुछ ज्यादा पढ़ा लिखा नहीं था और ज्योतिष वास्तु क्या है, ये सब लोग सामान्य रूप से ही समझते थे,में भी ज्योतिष वास्तु को १९९९ तक कुछ नहीं समझता था। मैं तो यह मानता था कि नौकरी करने वालों की यह मान्यता होती है कि पूरा महीना नौकरी करो और तनख्वाह आये उसमें घर चलाओ, ज़िन्दगी पूरी हो जाती है और निवृत्ति आ जाती है, में भी यही मानता था। इसलिए पिताजी को तो काफी समय के बाद पता चला कि मैं इस विषय में काम कर रहा हूं। माताजी तो २००५ में ही स्वर्गस्थ हो चुके थे। पत्नी को बताया था और उसने मुझे बहुत सपोर्ट किया बाकी दोस्तों और रिश्तेदारों किसी को मैंने इस विषय के काम के बारे मैं नहीं बताया था। हां, जब मुझे बहुत सारे सम्मान,अवॉर्ड्स, रेकॉर्ड्स जैसे राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सम्मान मिला तब उनको मालूम हुआ।इतना जरूर कहूंगा कि मेरी मित्र जैसी सहृदय पत्नी ने मुझे बहुत सपोर्ट किया और आज में जिस मुकाम पर खड़ा हूं वो सिर्फ़ मेरी पत्नी और मेरे परिवार के साथ सहकार से ही मुझे इतने सारे सम्मान प्राप्त हुए हैं।

सवाल: आपके इस क्षेत्र में सबसे ज्यादा सहयोग किसका रहा?

जवाब: सहयोग की बात है तो इस जमाने में कौन किसी को सहयोग करता है, आने लाने में मदद करता है, मैंने तो अपनी इस यात्रा में खुद ने ही खोदा और खुद ही रास्ता बनाया और चल रहा हूं। एकलव्य की तरह मैंने कुलदेवी और परमात्मा को गुरु मानकर विद्या प्राप्त की है। हां, परिवार में पत्नी का अचूक और ज्यादा सहयोग रहा। इसलिए में मेरी पत्नी का तहेदिल से शुक्रिया अदा करता हूं।

सवाल: इस राह में आपका क्या जीवन संघर्ष रहा?

जवाब: जीवन में आर्थिक कठिनाइयों के रहते संसार के सारे शौक छोड़ दिए, किसी की शादी और कोई कार्यक्रम में जाना छोड़ दिया, और नहीं जाते तो परिवार वालों को सुनना पड़ता, ये सारा संघर्ष है बावजूद भी मन में एक संकल्प था कि दुनिया में कुछ हटकर,अलग करके दिखाना है,जो किसी ने ना किया हो मुझे वो करना है बस।

सवाल: वास्तुविद के अलावा क्या आप किसी सामाजिक कार्यों से भी जुड़ी हैं ?

जवाब: जी हां, मेरा स्वभाव ही ऐसा है कि किसी का हाथ पकड़कर ऊपर उठाना,मदद करना, मेरे मन, वचन,कर्म से किसी का भी अपमान ना हो। इसी विचार से मैंने एक संस्था बनायी जो समाज के विभिन्न क्षेत्रों के प्रतिभावान लोगों को शानदार मंच देने का और उनके टैलेंट को समाज में दिखाने का काम कर रही है। ऐसी वर्ल्ड रिकॉर्ड्स देने वाली संस्था से भी में जुड़ा हुआ हूं।तथा वर्ल्ड डायलॉग काउंसिल में भारतीय एंबेसडर के रूप में जुड़ा हूं। तथा कई सामाजिक कार्य जहां मेरा नाम ना आए और गुप्त दान के रुप से अपनी यथाशक्ति समाजसेवा करता ही रहता हूँ ।

सवाल: आज तक आपको कितने सम्मान व अवार्ड से नवाजा जा चुका है?

जवाब: आज तक मुझे २३ से ज्यादा अलग – अलग संस्थाओं से सम्मान, और ५ विश्व खिताब प्राप्त हुए हैं।

सवाल: आपका जीवन में क्या सपना हैं ?

जवाब: जीवन का मुख्य एक स्वप्न है कि लोगों को सम्मान दिलाना, उनकी प्रतिभा को समाज और देश के सामने प्रस्तुत कर उन्हें खुद की असीम शक्ति से परिचय कराना और भारत एवं अमेरिका की सरकार या संसद में मेरे निस्वार्थ कार्यों के विषय में कभी मेरा भी नाम पुकारा जाये, यहां से सम्मान मिले जिससे मैं माँ भारती भारतभूमि का मस्तक सम्पूर्ण विश्व में ऊँचा कर सकूं।

सवाल: आपका प्रेरणास्त्रोत कौन है?

जवाब: मेरा प्रेरणा स्त्रोत एक स्त्री रही जिन्होंने मेरा बचपन में अपमान किया था , मैं उनको अभी जानता नहीं हूँ की वो कौन थी, क्या नाम था ,कैसी दिखती थी । वो हैं जिन्होंने मुझे आज इस बड़े मुकाम पर बड़ा सम्मान दिलाया, उन्होंने मुझे अपमानित नहीं किया होता तो मैं आज इतना सम्मान नहीं प्राप्त कर पाता, इसलिए वे जहाँ पर है। मैं उनका आभार व्यक्त करना चाहता हूँ और उन्हें नमन करता हूँ। इस विषय का ज्ञान प्राप्त करने की प्रेरणा मुझे एक व्यक्ति से मिली जो इस विषय की पुस्तकें पढ़ते थे।

सवाल: आप स्वंय को एक लाईन में कैसे परिभाषित करेगीं?

जवाब: मैं दृढ़ संकल्प, समर्पण, ईमानदारी, पवित्रता और संघर्ष का परिणाम हूँ। मैं वह एक व्यक्ति हूँ – जिसने पीएचडी प्राप्त की जिसका असली मतलब है पी – शुद्धता, एच – ईमानदारी, डी – समर्पण।

सवाल: भारत के युवाओं को जो आप जैसा बनना चाहते हैं उनको क्या संदेश देना चाहेगें?

जवाब: आप किसी और से प्रतिस्पर्धा ना करें किन्तु स्वयं से ही प्रतिस्पर्धा करें और अपनेआप को प्रतिदिन और बेहतर बनाने का प्रयास करें। क्यूंकि किसी और से प्रतिस्पर्धा करने से कभी-कभी ईर्ष्या भाव जन्म लेता है। आप जो भी काम करें वह पूरी प्रामाणिकता , समर्पण भाव और द्वेष रहित होकर करें ताकि अवश्य ही आपको सफलता मिले। अपने बारे में ना सोचकर हमेशा दूसरों के बारे में सोचें क्यूंकी हमारे लिए सोचने के लिए कोई और भी हैं।ऐसा विश्वास रखें।

समृद्ध झारखंड टीम डा. केतन तलसानिया जी को उनके शानदार भविष्य के लिए हार्दिक शुभकामनाएं देती है। और भारत सरकार से विनम्र निवेदन करती है कि आप डा. केतन तलसानिया जी जैसे अभूतपूर्व प्रतिभा के धनी भारत के रत्न को भारतवर्ष के महान सम्मान पद्मश्री पद्मविभूषण व भारतरत्न से सम्मानित करने की कृपा करें। जिससे भारत सहित सम्पूर्ण विश्व हमारी गौरवशाली संस्कृति ज्योतिष विज्ञान व वास्तुविज्ञान की पवित्र शक्ति से परिचित हो सके।

Edited By: Samridh Jharkhand

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