कांग्रेस की भागीदारी वाली झारखंड सरकार ने किसानों का 50 हजार तक का कर्ज ही माफ करने का फैसला क्यों लिया?

कांग्रेस की भागीदारी वाली झारखंड सरकार ने किसानों का 50 हजार तक का कर्ज ही माफ करने का फैसला क्यों लिया?

रांची : झारखंड की नयी हेमंत सोरेन सरकार ने आज वित्त वर्ष 2020-21 के लिए अपना पहला बजट विधानसभा में पेश किया. आइपीएस अधिकारी से राजनेता बने डाॅ रामेश्वर उरांव ने बतौर वित्तमंत्री सदन में अपना बजट भाषण पढा. उन्होंने कहा कि किसान कर्ज माफी के लिए दो हजार करोड़ रुपये का बजटीय प्रावधान किया गया है. राज्य सरकार ने अल्पकालीन कृषि ऋण राहत योजना शुरू करने का एलान किया. बजट भाषण के बाद न्यूज एजेंसी एएनआइ ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के हवाले से खबर दी कि झारखंड सरकार ने किसानों का 50 रुपये तक का कर्ज माफ करने का निर्णय लिया है.

मालूम हो कि झारखंड सरकार में कांग्रेस साझेदार है और उसके बिना झामुमो सरकार नहीं चला सकती. 81 सदस्यीय झारखंड विधानसभा में झामुमो के पास 30 तो कांग्रेस के पास 18 विधायक हैं. कांग्रेस ने पिछले साल के आखिरी में हुए झारखंड विधानसभा चुनाव में सरकार में आने पर किसानों का दो लाख रुपये तक कर्ज माफ करने का एलान किया था. यह घोषणा खुद आज के वित्तमंत्री रामेश्वर उरांव ने तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में प्रभारी आरपीएन सिंह के साथ किया था. आज वित्तमंत्री के रूप में ऐसा कोई एलान नहीं किया.


इससे पहले कांग्रेस ने मध्यप्रदेश, राजस्थान एवं छत्तीसगढ में सत्ता में आने पर किसानों के दो लाख रुपये तक के कर्ज काफ करने को पूरा करने की दिशा में कदम बढाया. दरअसल, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने चुनाव में मोटे तौर पर दो लाख रुपये किसान कर्ज माफी का वादा एक सिद्धांत बना लिया. इससे सूबों में उन्हें राजनीतिक फायदा भी हुआ. भाजपा एक के बाद एक कई सूबों से सत्ता से बाहर हो गयी. माना गया कि किसानों ने कांग्रेस के प्रति झुकाव का प्रदर्शन किया.

लेकिन, झारख्ंाड में अब ऐसा होता नहीं दिख रहा है. दरअसल, सरकार में आने के कुछ दिनों के बाद ही झामुमो-कांग्रेस ने यह कहना आरंभ कर दिया कि राज्य की वित्तीय स्थिति ठीक नहीं है. भाजपा के बागी सरयू राय ने यह कहा कि राज्य की आर्थिक स्थिति पर श्वेत पत्र लाया जाए. सरयू राय जिस रघुवर सरकार में शामिल थे उसे ही चुनाव पूर्व व चुनाव बाद कई मोर्चाें पर घेरा. वे एक गंभीर राजनेता हैं और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी यह एलान किया कि हम सूबे की आर्थिक स्थिति पर श्वेत पत्र लाएंगे. उन्होंने यह भी कहा था कि राज्य वासियों को यह जानने का हक है कि हमें पिछली सरकार ने क्या सौंपा है.

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आखिरकार वित्तमंत्री रामेश्वर उरांव ने बजट से एक दिन पहले सदन में आर्थिक सर्वे के साथ श्वेत पत्र पेश किया. श्वेत पत्र में कहा गया कि सूबे को केंद्र से पर्याप्त राशि मिलती रही, लेकिन आंतरिक स्रोतों से कम क्षमता से कम राजस्व मिला. बिना अच्छे से अध्ययन किए अनुपयोगी योजनाओं में पैसे का अपव्यय किया गया. श्वेत पत्र में यह भी कहा गया कि राजस्व घाटे के कारण कर्ज बढता गया. एक रुपये में महिलाओं को 50 लाख तक की संपत्ति रजिस्ट्री और पेट्रोल व डीजल मूल्य में ढाई रुपये की छूट, शराब की बिक्री अपने हाथ में लेने से उत्पाद कर में आयी गिरावट, ऐसी वजहें रहीं जिससे वित्तीय सेहत खराब हुई.

सरकार, ने चुनावी वादों को दरकिनार कर लोकलुभावन फैसले लेने से कदम पीछे खींचे हैं. यह सरकार का एक समझदारी भरा कदम है. किसानों की चिंता जायज है, लेकिन राज्य की वित्तीय सेहत की कीमत पर लुभावने फैसले से स्थिति और बिगड़ी सकती है, जिसका खामियाजा हर राज्यवासी को भुगतना पड़ेगा.

Edited By: Samridh Jharkhand

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