टाइगर से शीर्ष नेतृत्व खफा, वरुण की तरह ढुल्लू भी हो सकते हैं साइड लाइनर

टाइगर से शीर्ष नेतृत्व खफा, वरुण की तरह ढुल्लू भी हो सकते हैं साइड लाइनर

अभिषेक सहाय

रांची: टाइगर की हुंकार उसके लिए खतरे की घंटी बजा सकती है। बाघमारा विधायक ढुल्लू महतो का टाइगर प्रेम भाजपा में उसे साइड लाइनर बना सकता है। दरअसल बाघमारा विधायक इन दिनों गिरिडीह लोकसभा क्षेत्र में ताल ठोक रहें हैं। लगातार लोकसभा के विभिन्न इलाकों में पहुंचकर कार्यक्रम कर रहे हैं।

गाहे बगाहे वे इस लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने की इच्छा भी जाहिर कर चुके हैं। ऐसे में ढुल्लू की हुंकार के बाद उनके समर्थक भी खासे उत्साहित हैं और जोर- शोर से उनके प्रचार- प्रसार में लगे हुए हैं। लेकिन ढुल्लू अब तक जितने भी कार्यक्रम किए हैं उसे वह भाजपा के बैनर तले ना कराकर टाइगर फोर्स के बैनर तले संम्पन्न करवाएं है, जो उनके लिए हानिकारक साबित हो सकता है। दिल्ली सूत्रों से जो खबरें आ रही है, उसके मुताबिक भाजपा को यह नागवार गुजर रहा है।

भाजपा का शीर्ष नेतृत्व किसी अन्य संगठन को अपने पैरलर में खड़ा होने का सख्त विरोधी है। यही वजह है कि वरुण गांधी जैसे कद्दावर नेता का भगवा ब्रिगेड और उमा भारती का अपना संगठन उन्हें पार्टी से हाशिए पर ला चुका है। अब बारी ढुल्लू की है। इनका टाइगर फोर्स प्रेम इन्हें भाजपा से भी किनारा भी करवा सकता है। गौरतलब है कि ढुल्लू लंबे वक्त से कोयलांचल में टाइगर फोर्स को मजबूत कर अपनी एक राजनीति में धाकड़ उपस्थिति दर्ज करवाई है।

ये मजदूरों की राजनीति टाइगर फोर्स के माध्यम से करते हैं। जबकि उनकी खुद की राजनीति फिलहाल भाजपा से चलती है। ऐसे में भाजपा का शीर्ष नेतृत्व किसी अन्य संगठन को अपने साथ फलता फूलता देखना नहीं चाहता है। यहीं वजह है कि इनका टाइगर प्रेम इन्हें लोकसभा की दावेदारी से तो वंचित करवा ही सकता है। साथ ही इनके विधानसभा टिकट पर भी ग्रहण लगा सकता है।

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असल में लोकसभा चुनाव की दस्तक के साथ ही ढुल्लू की महत्वकांक्षा कुलाचें भर रही थी। गिरिडीह लोकसभा सीट से चुनाव में उतरने की सुगबुगाहट के बाद वर्तमान संसद रविन्द्र पांडेय और इनमें ठन गई है। दोनों के बीच लगातार अभद्र टिप्पणीयां चल रही है।

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दोनों के एक ही दल से ताल्लुक रखने की वजह से झगड़े में पार्टी की किरकिरी सरेबाजार हो रही है। दोनों के बीच की तल्खियां इतनी बढ़ी है कि यह मसला भी दिल्ली दरबार तक पहुँच चुका है। चूंकि अभी देश के कुछ राज्यों में चुनाव है, इसलिए शीर्ष नेतृत्व इस मुद्दे पर पड़ना नहीं चाहता। लेकिन चुनाव की समाप्ति के बाद दिल्ली से कुछ फरमान सुनाए जाने की उम्मीद की जा रही है, …जो ढुल्लू के हक में न हो।

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Edited By: Samridh Jharkhand

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