संथाल परगना जिला के स्थापना दिवस पर विशेष : कितना सफल हुआ अबुआ दिसोम, अबुआ राज का सपना?
गौतम चटर्जी

वर्तमान में दुमका झारखंड की उप राजधानी एवं संथाल परगना प्रमंडल का मुख्यालय है। राज्य गठन के पश्चात बांग्ला, संताली, मालतो, खोरठा को जिला वार क्षेत्रीय एवं जनजातीय भाषा की स्वीकृति दी गयी है। संथाली भाषा को संविधान की अष्टम सूची में शामिल किया गया है। केंद्र सरकार का भारतीय भाषा संस्थान, मैसूर 2009 से सरकार निर्गत अधिसूचना अलचिकि लिपि में व संथाली भाषा मे प्रकाशित करता है। पर संथाल परगना प्रमंडल क्षेत्र के आदिवासियों का एक वर्ग उस भाषा की विकास को लेकर उदासीन बना हुआ है।
संथाल परगना स्वतंत्र जिला बनने के 167 साल के बाद भी यहां जल, जंगल, जमीन का संथाल परगना काश्तकारी क़ानून को धता बता कर अवैध अतिक्रमण जारी है। राज्य के आम आदमी के साथ सिधो कान्हू के वंशज की भी सुरक्षा आज खतरे में है। रुबिका पाहाड़िया की नृशंस हत्या, रूपा तिर्की एवं मंगल मुर्मू की संदेहास्पद मौत की घटना अबुआ दिसोम, अबुआ राज के संथाल परगना जिला के गठन के इतिहास को लेकर शोध करने के लिए बाध्य करता है।
