जदयू से निकाले गए प्रशांत किशोर ने अपने राजनीतिक एजेंडे का किया एलान

जदयू से निकाले गए प्रशांत किशोर ने अपने राजनीतिक एजेंडे का किया एलान

पटना : जनता दल यूनाइटेड से बाहर निकाले गए चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने आज पटना में एक प्रेस कान्फ्रेंस कर अपने भावी राजनीतिक कार्यक्रम का सलान किया. उन्होंने कहा कि बात बिहार की कार्यक्रम के जरिए वे लाखों युवाओं को जोड़ेंगे. उन्होंने दावा किया कि उनके पास सवा लाख सक्रिय सदस्य हैं. उन्होंने फिलहाल किसी राजनीतिक पार्टी बनाने का एलान नहीं किया, लेकिन पंचायत स्तर पर युवाओं को सक्रिय करने और चुनाव लड़वाने की रणनीति का एलान किया. उन्होंने कहा कि वह बिहार को देश के अग्रणी राज्य में देखना चाहते हैं और इसके लिए वह मिशन पर निकलेंगे और युवाओं की फौज तैयार करेंगे.


प्रशांत किशोर ने नीतीश कुमार के प्रति सम्मान प्रकट करते हुए कहा कि उन्हें बहुत स्नेह से बेटे की तरह मुझे अपने साथ रखा. जब उनके दल में मैं था तब भी और दल में शामिल होने से पहले उनके लिए काम करता था तब भी. उन्होंने कहा कि मैं भी उनका कई मायने में अपने पिता की तरह सम्मान करता था. उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार से उनके कुछ मुद्दे पर मतभेद उभरे. उन्होंने कहा कि गांधी व गोडसे एक साथ नहीं चल सकते. पार्टी के लीडर के रूप में उन्हें बताना होगा कि हम किस तरफ खड़े हैं.


प्रशांत किशोर ने कहा कि मैं मीडियम टू लांग टर्म के तहत युवाओं की फौज खड़ी करना चाहता हूं. उन्होंने कहा कि 20 फरवरी को वे बात बिहार की कार्यक्रम शुरू करेंगे. राज्य की 8800 पंचायतों में युवाओं की टीम तैयार करेंगे. उन्होंने कहा कि बिहार के गांव-गांव में लड़कों को जोड़ कर टीम बनाएंगे और चाहेंगे कि अच्छे लोग चुन कर मुखिया बनें. प्रशांत किशोर ने कहा कि राज्य के लोगों ने ही दूसरे राज्यों के लोगों को ट्विटर व फेसबुक चलाना सिखाया है. ऐसे में यह कहना कि हम इंटलैक्चुअल नहीं है, सही नहीं होगा. उन्होंने कहा कि जीवन भर बिहार के प्रति समर्पित रहेंगे.

उन्होंने बिना मोदी-शाह का नाम लिए कहा कि गुजरात के आदमी को यह तय करने का अधिकार नहीं है कि बिहार का चुनाव किसके नेतृत्व में लड़ा जाएगा.

जदयू का प्रशांत किशोर पर कटाक्ष

उधर जदयू नेता अजय आलोक ने प्रशांत किशोर पर कटाक्ष किया. उन्होंने कहा कि ये गांधी और गोडसे की बात करते हैं, 2014 में किसके लिए लोकसभा चुनाव में काम किया था, 2012 में गुजरात चुनाव के लिए किसने काम किया था. उन्होंने कहा कि इन्हें सिर्फ माल पैसा चाहिए. उन्होंने कहा कि ये 10 हजार मुखिया बनाने की बात करते हैं और यह पता नहीं है कि यहा 8800 के आसपास पंचायतें हैं. उन्होंने कहा कि इनका अस्तित्व सिर्फ फेसबुक-ट्विटर के जरिए था और आज वह भी खत्म हो गया.

Edited By: Samridh Jharkhand

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