हजारीबाग में कांग्रेस के दूल्हे का बेसब्री से इंतजार !

हजारीबाग में कांग्रेस के दूल्हे का बेसब्री से इंतजार !

– संशय बरकरार, हाॅफ रहे दिग्गज
– आलोक कुमार
कब ओओगे…कब आओगे….देर न हो जाय कहीं देर न हो जाय…….आ जा वै माही तेरा रस्ता वो टेक दिया……. 1991 की मशहुर फिल्म हिना का ये गीत व धुन लोगों के दिलो दिमाग में छा गया था। फर्क सिर्फ इतना भर है, कि वहां पाकिस्तानी अभिनेत्री जेबा बख्तियार और अभिनेता ऋषि कपूर के लिए ये गीत गा रहीं थी और आज 28 सालों बाद गीत का ये तर्ज हजारीबाग लोकसभा क्षेत्र का राजनीतिक महकमा पर चरितार्थ हो रहा है जो बेसब्री से कांग्रेसी प्रत्याशी का इंजतार कर रहे हैं। इस बाबत विभिन्न प्रकार के कयास राजनीतिक गलियारों में लगाये जा रहे हैं।
कोई कह रहा है कि दावेदारों की तादाद बढ़ती जा रही है तो कोई माकपा प्रत्याशी भुवनेश्वर महतो को कांग्रेस द्वारा चुप्पी साधते हुये वाक ओवर देने की बात कह रहा है। लाख टके का सवाल यह है कि आखिर कौन होगा कांग्रेस प्रत्याषी? होगा भी कि नही।
कांग्रेस की चुप्पी का राज क्या ?
कांग्रेस ने आखिर क्यों अब तक हजारीबाग संसदीय सीट से अपने उम्मीद्वार का नाम तय नही किया है, ये सवाल राजनीतिक दलों व लोगों के लिये संशय का वातावरण बना रहा है। यहां 6 मई को मतदान होना है व ऐसे में अब केवल 19 दिन बाकी हैं। दिलचस्प मामला ये है कि 10 अप्रैल से नामांकन का आगाज हो चुका है व इसकी आखिरी तिथि है 18 अप्रैल। ऐसे में आखिरी वक्त पर यदि कांग्रेस का कोई प्रत्याशी पर्चा भरता भी है तो उसे लोगों से संवाद करने के लिए काफी कम दिन मिलेगें। जाहिर है ऐसे में नुकसान तय है व पार्टी के लिये मुसीबत का सबब बन सकती है।
उम्मीदवार तय करने के लिए कांग्रेस में पिछले दो महीने से रांची से लेकर दिल्ली तक दमखमक के साथ मंथन किया गया है, लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात वाली कहावत को चरितार्थ कर रहा है। प्रदीप प्रसाद व शिवलाल महतो के नाम जमकर उछाले गये। बिगत 18 दिनों से यहां उम्मीदवारी निर्धारित करने की चर्चा हो रही है। कांग्रेस के विश्वस्त सूत्रों के अनुसार अब तक एक दर्जन नामों पर मंथन केंद्रीय चुनाव संचालन समिति के सदस्यों द्वारा की जा चुकी है, बावजूद नाम फाइनल नही हो सका है। जिन नामों पर चर्चा की गई है, उनमें जय शंकर पाठक, पूर्व मंत्री योगेंद्र साव, बड़कागांव विधायक निर्मला देवी की पुत्री अंबा प्रसाद के अलावे पूर्व सदर विधायक सौरभ नारायण सिंह का नाम शामिल है।
आलम ये है कि कांग्रेसी भी यहां से अलग- अलग नामों का कयास लगाते चौक- चौराहों पर देखे जाते हैं। पूछने पर कहते हैं कि उम्मीद्वार तय तो आलाकमान ही करेगा। इंतजार में हो रही देरी की वजह से कई दावेदारों किनारा काट चुके हैं। फिलहाल सभी आतुर हैं कि आखिर हजारीबाग लोकसभा सीट के लिए प्रत्याशी कौन होगा जो भाजपा के केंद्रीय नागरिक उड्डयन राज्यमंत्री जयंत सिन्हा को कड़ी टक्कर देने में सक्षम होगा। कांग्रेस ने जिस तरह से प्रत्याशी की घोषणा को लेकर मामले को लटका रखा है उससे दावेदार भी हांफ रहे हैं, वहीं आज भी कई दिग्गज दिल्ली में जमे हैं। जाहिर है कि ये इस बाबत को साफ करता है कि महागठबंधन में जिस तरीके से वामदलों को तरजीह देने की बात होते आ रही थी, उस तरह की सीट शेयरिंग महागठबंधन में नहीं दिखी है।
जेएमएम की तरफ से हेमंत सोरेन ने वामदलों को सीट देने की वकालत की थी, लेकिन कांग्रेस की तरफ से उनकी वकालत को नजरअंदाज किया गया। नतीजा यह हुआ कि झारखंड में वामदलों के नाम पर धनबाद में मासस की तरफ से कांग्रेस को सिर्फ मॉरल स्पोर्ट मिल रहा है। बाकी कोडरमा में वामदल के घटक दल भाकापा (माले) की तरफ से राजकुमार यादव महागठबंधन की तरफ से बाबूलाल मरांडी के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं।
कांग्रेस-भाजपा में टाइअप: भुवनेश्वर
माकपा प्रत्याशी 16 अप्रैल को नामांकन करेंगे व उन्होंने महागठबंधन के डूबने का ठिकरा कांग्रेस के सिर फोड़ दिया है। उन्होंने दावा किया कि वे 1991 और 2004 का इतिहास दोहरायेगें। पूर्व सांसद ने आरोप लगाया कि हजारीबाग सीट को लेकर भाजपा- कांग्रेस में डील हो चुकी है। इस गठबंधन के केंद्र में पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा हैं। यशवंत सिन्हा के ही दबाव में कांग्रेस ने सीपीआई के लिए हजारीबाग सीट नहीं छोड़ा। मेहता ने कहा कि इसी कारण से कांग्रेस ने प्रत्याशी घोषित नही किया। मेहता ने कहा कि हमारी लडाई हमेशा पूंजीवादी व्यवस्था के खिलाफ रही है। हमने बूथ स्तर पर काम जारी रखा है और डोर टू डोर जाकर लोगों से मिल रहा हूं। मैं एक अभियान के तहत भाजपा के जनविरोधी कार्रवाई का पर्दाफाश करूंगा और लोगों को बताउंगा कि किस तरह भाजपा सरकार लाठी व गोली के बल पर झारखंड के किसानों की जमीन कोयला कंपनियों के लिए लूट रही है। उन्होंने कहा कि 2004 के लोकसभा चुनाव में मैंने केंद्रीय वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा को हराया था। उन्होंने कहा कि हमारे पास रुपए नहीं है, पर जनबल है। मेहनतकश हैं और यही हमारी जीत का आधार है।
मेहता का फैक्ट:
भुवनेश्वर मेहता हजारीबाग से 1991 में पहली बार सांसद बने थे। उन्होंने भाजपा नेता यदुनाथ पांडेय को हराया था। जबकि दूसरी बार 2004 में बीजेपी के दिग्गज नेता यशवंत सिन्हा को हराया था। 2014 की बात करें तो जेएमएम और कांग्रेस के गठबंधन के कारण वे पांचवे पायदान पर रहे थे। यहां से भाजपा के जयंत सिन्हा सांसद बने थे।
हजारीबाग फैक्ट:
हजारीबाग संसदीय सीट पर सीपीआइ कांग्रेस से यू हीं रार नहीं कर रही। 1984 के बाद से कांग्रेस कभी इस सीट पर नहीं जीती है। सीपीआइ ने इस सीट पर एक बार कांग्रेस के समर्थन और एक बार अपने बल पर जीत हासिल की है। 1991 व 2004 में सीपीआइ से भुवनेश्वर प्रसाद मेहता यहां से सांसद चुने गए। वहीं 1989 में पहली बार जीत हासिल करने वाली भाजपा का पिछले तीन दशक से हजारीबाग गढ़ बन चुका है। दो मौकों को छोड़ हर बार यहां भाजपा प्रत्याशी जीता है। वर्तमान में भाजपा के जयंत सिन्हा यहां से सांसद हैं।
कौन कब जीता:
1984 – दामोदर पांडेय, कांग्रेस
1989- यदुनाथ पांडेय, भाजपा
1991- भुवनेश्वर प्रसाद मेहता- सीपीआइ
1994- महावीर लाल विश्वकर्मा – भाजपा
1999- यशवंत सिन्हा – भाजपा
2004 – भुवनेश्वर प्रसाद मेहता-सीपीआइ
2009- यशवंत सिन्हा – भाजपा
2014 – जयंत सिन्हा – भाजपा
2014 में किसे कितने वोट:
जयंत सिन्हा – भाजपा- 406931
सौरभ नारायण सिंह- कांग्रेस- 247803
लोकनाथ महतो – आजसू – 156186
एके मिश्रा – झाविमो – 30,408
भुवनेश्वर प्रसाद मेहता- सीपीआइ- 30,326
Edited By: Samridh Jharkhand

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