सरकार ने एयर इंडिया को टाटा समूह को बेचने की खबरों का किया खंडन, बोली – जब ऐसा होगा तब बताया जाएगा
नई दिल्ली : सार्वजनिक क्षेत्र की एयरलाइन कंपनी एयर इंडिया के टाटा समूह के नियंत्रण में जाने से संबंधित मीडिया में चल रही खबरों का केंद्र सरकार ने खंडन किया है। वित्त मंत्रालय के निवेश एवं लोक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) के सचिव ने शुक्रवार को ट्वीट कर यह जानकारी दी।

घाटे में चल रही सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी एयर इंडिया के टाटा ग्रुप और स्पाइसजेट के अजय सिंह ने बोली लगाई थी। यह दूसरा मौका है जब एयर इंडिया को बेचने की कोशिश की जा रही है। इससे पहले साल 2018 में सरकार ने कंपनी में 76 फीसदी हिस्सेदारी बेचने की कोशिश की थी, लेकिन उसे कोई रिस्पांस नहीं मिला था।
उल्लेखनीय है कि 68 साल बाद फिर टाटा समूह की होगी एयर इंडिया, सरकार ने टाटा समूह की बोली को स्वीकार कर लिया है। सरकार ने पूरी 100 फीसदी हिस्सेदारी बेचने के लिए टेंडर मंगाई थी। सूत्रों के मुताबिक एयर इंडिया का रिजर्व प्राइस 15 से 20 हजार करोड़ रुपये तय किया गया था। इस तरह की खबरें मीडिया में चल रही थीं। इन खबरों का खंडन करते हुए दीपम के सचिव ने सफाई दी है। उन्होंने कह कि अभी इस पर फैसला नहीं हुआ है। इस पर जब फैसला होगा तो इसकी जानकारी दी जाएगी।
पहले क्या खबर मीडिया में आयी थी?
पहले मीडिया में यह खबर आयी कि 68 साल बाद फिर से टाटा समूह के नियंत्रण में एयर इंडिया पहुंच जाएगी। खबरों में कहा गया कि सरकार ने टाटा संस की बोली को स्वीकार कर लिया है। सरकार ने इसमें सौ फीसदी हिस्सेदारी बेचने के लिए टेंडर मंगवाया था। खबर में कहा गया था कि इसके साथ ही एयर इंडिया की दूसरी कंपनी एयर इंडिया सैट्स में सरकार 50 फीसदी हिस्सेदारी बेचेगी।
इस खबर में सूत्रों के मुताबिक लिखा गया एयर इंडिया का रिजर्व प्राइस 15 से 20 हजार करोड़ रुपये तय किया गया था। टाटा समूह ने एयर इंडिया के लिए स्पाइस जेट के चेयरमैन अजय सिंह से ज्यादा की बोली लगाई थी। इस तरह लगभग 68 साल बाद एयर इंडिया की घर वापसी हो गई है। एयर इंडिया के लिए बोली लगाने की अंतिम तिथि 15 सितंबर 2021 थी। उसके बाद से ही यह अनुमान लगाया जा रहा था कि टाटा समूह एयर इंडिया को खरीद सकता है।
टाटा ने 1932 में शुरू की थी एयर इंडिया
टाटा समूह ने एयर इंडिया को 1932 में शुरू किया था। टाटा समूह के जेआरडी टाटा इसके फाउंडर थे। जेआरडी टाटा खुद पायलट थे। उस वक्त इसका नाम टाटा एयर सर्विस रखा गया। साल 1938 तक कंपनी ने अपनी घरेलू उड़ानें शुरू कर दी थी। दूसरे विश्वयुद्ध के बाद इसे सरकारी कंपनी बना दिया गया। आजादी के बाद सरकार ने इसमें 49 फीसदी हिस्सेदारी खरीदी।
उल्लेखनीय है कि एयर इंडिया के विनिवेश के लिए जो कमेटी बनी है, उसमें वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और सिविल एविएशन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया शामिल हैं।
