वायु प्रदूषण से धनबाद के लोग जीवन के 7.3 साल गंवा देते हैं : स्टडी
रांची : एक नयी स्टडी के अनुसार भारत की कोल कैपिटल कहा जाने वाला धनबाद के लोग वायु प्रदूषण की वजह से अपने जीवन का 7.3 साल गंवा देते हैं। लीगल इनिटिऐटिव फॉर फॉरेस्ट एंड एनवायरमेंट, लाइफ के द्वारा तैयार नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम के तहत तैयार रिपोर्ट के अनुसार, इस रिपोर्ट में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार देश के 132 नॉन एटेनमेंट/10 लाख से अधिक आबादी के शहरों का उल्लेख किया है। ये शहर 10 लाख से अधिक की आबादी के हैं और नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम के तहत आते हैं।

10 लाख से अधिक की आबादी वायु खराब वायु गुणवत्ता शहरों की सूची में झारखंड से धनबाद के अलावा, रांची और जमशेदपुर व पड़ोस के बिहार से पटना, गया व मुजफ्फरपुर का नाम है। हालांकि इसमें धनबाद ही एक शहर है जो नॉन एटेनमेंट सिटी का हिस्सा नहीं है।
What is fouling the air in the #coal capital of #India. A critical review of the Action Plan for Improving #AirQuality in #Dhanbad City.#NCAP #AirPollution https://t.co/XFY9WgK0Oz pic.twitter.com/WyG76Jj7Cq
— Legal Initiative for Forest and Environment (@lifeindia2016) April 19, 2022
शिकागो यूनिवर्सिटी में ऊर्जा नीति संस्थान द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार, झारखंड में वायु गुणवत्ता को 10µg/m3 के विश्व स्वास्थ्य संगठन के दिशा निर्देश के अनुसार सुधार करने से यहां के लोगों की जीवन प्रत्याशा 7.3 से आठ वर्ष तक बढ सकती है।
वायु प्रदूषण की वजह से पुरानी स्वास्थ्य समस्याएं, अवरोधित विकास, श्वांस प्रणाली में संक्रमण, कैंसर आदि की समस्यां बनी रहती है और यह जीवन की गुणवत्ता को गंभीर रूप से प्रभावित करता है।
वायु प्रदूषण के मानव स्वास्थ्य प्रभावों कारण आर्थिक नुकसान के संबंध में लैसेंट के ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज का अनुमान है कि इससे झारखंड प्रदेश को अकेले 2019 में 543 मिलियन अमेरिकी डॉलर का नुकसान हुआ है। ऐसे में इसके लिए एक एक्शन प्लान की जरूरत बतायी गयी है।
धनबाद में 125 सालों से कोयला खनन हो रहा है और यह जिला देश के कुल कोयला उत्पादन में 16 प्रतिशत का योगदान करता है। धनबाद जिले में 112 कोयला खदानें हैं और 27.5 मिलियन टन वार्षिक कोयला उत्पादन इन खदानों से होता है व सात हजार करोड़ की आय होती है। इसके अलावा धनबाद में दर्जनों कोयला आधारित व कोयला के सहायक उद्योग हैं। यहां आठ कोल वाशरी, तीन कैपटिव थर्मल पॉवर प्लांट, 126 कोक ओवर प्लांट, 118 ईंट चिमनियां, 72 रिफेक्टरी प्लांट व 25 शॉफ्ट कोक प्लांट भी यहां हैं।
जानकारों का यह भी कहना है कि यहां वैध के अलावा दर्जनों अवैध कोयला आधारित उद्योग हैं, जिनका कागज पर जिक्र नहीं होता और वे प्रदूषण के लिए अपेक्षाकृत अधिक जिम्मेवार होते हैं।
रिपोर्ट में ऐसी विकट परिस्थिति में धनबाद में हवा की स्वच्छता बढाने के लिए कुछ अहम सुझाव दिए गए हैं। पुराने वाहनों को बंद करने और जागरूकता बढाने व ट्रैफिक मैनेजमेंट की बात कही गयी है। धूल वाले प्रदूषण को पानी का छिड़काव, गड्ढों का रखरखाव व सड़कों का चौड़ीकरण कर नियंत्रित करने को कहा गया है। उत्सर्जन को नियंत्रित करने, नगरपालिका के कचरे को खुले में जलाने से रोकने, प्रदूषणकारी उत्सर्जन को नियंत्रित करने, उत्सर्जन मानकों और स्वच्छ प्रौद्योगिकियों में स्थानांतरण और परिवेशी वायु गुणवत्ता निगरानी को सुदृढ करने जैसे सुझाव दिए गए हैं।
