लोकसभा में खनन विधि संशोधन विधेयक हुई पारित, जानिए झारखंड पर क्या होगा असर?
नई दिल्ली: शुक्रवार को लोकसभा में खनिज विधि संशोधन विधेयक-2020 को मंजूरी दे दी गयी। केन्द्रीय कोयला एवं खनन मंत्री प्रहलाद जोशी द्वारा प्रस्तुत विधेयक को सदन में हंगामे के बीच पारित किया गया। इससे पहले यह विधेयक गुरुवार को भी सदन में पेश की गयी लेकिन जोरदार हंगामों के चलते यह पारित नहीं हो पाया था। कल के इस सत्र के दौरान केन्द्रीय मंत्री जोशी ने कहा कि इस विधेयक से खनन एवं खनिज क्षेत्र में महत्वपूर्ण बदलाव आएगा। इसमें कोयला खदानों के पट्टे संबंधी नियमों एवं आवंटन संबंधी प्रावधानों को स्पष्ट किया गया है।

लोकसभा में पारित इस बिल तहत खदान और खनिज (विकास एवं रेगुलेशन) एक्ट 1957 (एमएमडीआर एक्ट) और कोयला खदान (विशेष प्रवाधान) एक्ट 2015 में संशोधन किया गया है। इस संशोधन से प्रोसपेक्टिंग और माइनिंग के लिए कंपोजिट लाइसेंस की व्यवस्था सुनिश्चित होगी। इस बिल से पहले दस जनवरी को इसी तरह के प्रावधान के लिए अध्यादेश लाया गया था।
पहले सरकारों को परमिट, प्रोसपेक्टिंग लाइसेंस और माइनिंग लाइसेंस के लिए एमएमडीआर एक्ट के तहत केंद्र सरकार की अनुमति लेनी पड़ती थी। लेकिन, अब नए बिल के आ जाने से केंद्र सरकार की अनुमति नहीं लेनी होगी। आपको बता दें कि एमएमडीआर कानून पूरे भारत के माइनिंग सेक्टर को रेगुलेट करता है।
इस नए विधेयक में उद्देश्यों और कारणों को बताया गया। कहा गया है कि लौह अयस्क, मैगनीज अयस्क और क्रोमाइट अयस्क की 334 खानों की बाबत खनन पट्टे 31 मार्च 2020 को समाप्त हो रहे हैं, जिससे 46 गैर प्रतिबद्ध खान कार्यरत हैं। कुछ राज्यों में इन ब्लॉकों की नीलामी की प्रक्रिया भी शुरु हो चुकी है। हालाँकि पारित विधेयक में कहा गया है कि विभिन्न सरकारी एजेंसियों से बीस से अधिक क्लीयरेंस मिलने के बाद ही नीलामी के माध्यम से खनन आवंटन के लिये कोयला खनन प्रक्रियाएं आरंभ की जा सकेंगी।
इस विधेयक के पारित हो जाने के बाद यह सम्बंधित अध्यादेश की जगह लेगा। जोशी ने सदन में बताया कि देश में कोयला की प्रचुर मात्रा होने के बावजद इसका आयात करना पड़ता है। इस विधेयक के पारित होने से कई प्रकार की बंदिशें समाप्त होंगी। उन्होंने इसके आगे आग्रह करते हुए कहा कि इस विधेयक को बिना चर्चा कराये पारित किया जाए।
