संयुक्त किसान मोर्चा बीजेपी-आरएसएस के खिलाफ करेगा देशव्यापी आंदोलन
नई दिल्ली: संयुक्त किसान मोर्चा ने अपनी अगुवाई वाले किसान आंदोलन का कवर करने को लेकर न्यूज वेबसाइट न्यूजक्लिक और कई पत्रकारों पर दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल द्वारा एफआइआर दर्ज किये जाने पर हैरानी प्रकट करते हुए भाजपा व आरएसएस के खिलाफ राष्ट्र व्यापी विरोध प्रदर्शन शुरू करने का ऐलान किया है। एसकेएम ने आठ अक्टूबर को इस संबंध में बयान जारी कर किसान आंदोलन के खिलाफ एफआइआर में लगाये गये सभी आरोपों को खारिज किया है और इसे झूठ से प्रेरित बताया है।

एसकेएम ने कहा है कि देश के अन्नदाता किसानों ने भाजपा सरकार के किसान विरोधी और कॉरपोरेट समर्थक कानूनों और नीतियों के खिलाफ एसकेएम के नेतृत्व में शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन में भाग लिया। किसानों द्वारा इस दौरान कोई आपूर्ति बाधित नहीं की गई। किसानों की वजह से अर्थव्यवस्था को नुकसान नहीं हुआ।
एसकेएम ने कहा है कि बल्कि किसानों के लोकतांत्रिक तरीके से दिल्ली पहुंच कर अपना विरोध जताने से रोकने के लिए कंटीले तार के बाड़, पानी की बौछारें, लाठीचार्ज, गड्ढे करने जैसे कदम सरकार द्वारा उठाये गये। इससे किसानों को काफी दिक्कत हुई।
किसानों ने गर्मी, तेज बारिश, तेज ठंड के बीच 13 महने तक विरोेध प्रदर्शन किया। लखीमपुर खीरी में किसानों को वाहन से कुचला गया। इस मामले में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री व उनके बेटे का हाथ था, लेकिन प्रधानमंत्री ने अपने मंत्री को नहीं हटाया। एसकेएम ने कहा है कि 735 किसानों ने इस आंदोलन में अपनी कुर्बानियां दी हैं। एसकेएम ने आरोप लगाया है कि सरकार ने देश के लोगों की खाद्य सुरक्षा और अर्थव्यवस्था को नष्ट करते हुए खाद्य उत्पादन और आपूर्ति श्रृंखला पर कब्जे के लिए पंूजीपतियों के साथ साजिश रची। एसकेएम ने आरोप लगाया कि पीएम मोदी को पीएम केयर फंड में और गौतम अडानी को अपने कारोबार में चीन से फंड मिला है। जबकि किसानों का आंदोलन बलिदान के साथ सफल हुआ। इससे केंद्र सरकार का अहंकार, अज्ञानता व जनविरोधी मानसिकता उजागर हुई।
एसकेएम ने कहा है कि किसान आंदोलन भारतीय खेती को विदेशी शोषकों, बड़े कॉरपोरेट घरानों को सौंपने के सरकार के प्रयास के खिलाफ था। तीन काले कृषि कानून के माध्यम से कानून में संशोधन कर कॉरपोरेट्स का कानूनी नियंत्रण खेती पर स्थापित करने की कोशिश की जा रही थी। ये कानून जनविरोधी और राष्ट्रविरोधी थे।
एसकेएम ने कहा है कि किसान आंदोलन को बाहरी स्रोतों से वित्त पोषित होने के रूप में चित्रित करने की एक चालाक और नापाक कोशिश थी, जिसे किसान आंदोलन ने दृढता से खारिज कर दिया। भारतीय खेती न केवल 142 करोड़ लोगों को खाद्य सुरक्षा प्रदान करती है, बल्कि यह 90 करोड़ लोगों को आजीविका भी प्रदान करती है, जिसके महत्व को महामारी के दौरान सभी ने देखा।
मोर्चा ने कहा है कि दिल्ली पुलिस केंद्र सरकार के नियंत्रण में है, इसलिए यह आश्चर्य नहीं कि किसान आंदोलन के खिलाफ झूठे आरोप लगाए गए हैं। एसकेएम ने कहा है कि हमने अपने घटक संगठनों के माध्यम से पहले ही न्यूज़क्लिक जैसे स्वतंत्र मीडिया संस्थानों और ऐसे कई पत्रकारों के साथ एकजुटता व्यक्त की है जो लिखने का साहस रखते हैं।
