केशवानंद भारती का 79 साल की उम्र में निधन, जानिए क्यों वे हर किसी के लिए इतने अहम थे
तिरुवनंतरपुरम : संविधान के मूल संरचना के सिद्धांत को निर्धारित करने वाले ऐतिहासिक फैसले के प्रमुख याचिकाकर्ता केशवानंद भारती का रविवार को 79 साल की उम्र में निधन हो गया. छह सितंबर को उनका निधन केरल के उत्तरी जिले कासरगोड के इडनीर स्थित उनके आश्रम में हुआ. उनके निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित देश की प्रमुख हस्तियों ने दुःख व्यक्त किया है. प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा है कि वे आने वाली पीढियों को प्रेरित करते रहेंगे.
We will always remember Pujya Kesavananda Bharati Ji for his contributions towards community service and empowering the downtrodden. He was deeply attached to India’s rich culture and our great Constitution. He will continue to inspire generations. Om Shanti.
— Narendra Modi (@narendramodi) September 6, 2020
केशवानंद भारती को सुप्रीम कोर्ट के 1973 के फैसले जिसमें कहा गया था संविधान की प्रस्तावना के मूल ढांचे को बदला नहीं जा सकता है, के प्रमुख याचिकाकर्ता के रूप में जाना जाता है. इस फैसले के कारण केशवानंद भारती को भारतीय संविधान का रक्षक कहा जाता है. उन्होंने एक अलग विषय के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया था, जिसमें यह फैसला आया था.
केशवानंद भारती की अगले सप्ताह हार्ट वाल्व रिप्लेसमेंट की सर्जरी होने वाली थी. केशवानंद भारती केरल के इडनीर मठ के प्रमुख थे. इस मठ ने सरकारी भूमि सुधार कानून को चुनौती देते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया था. उन्हंें केरल का शंकराचार्य भी कहा जाता है.
उन्होंने जो याचिका दायर की उसके आधार पर जो केस चला उसे केशवानंद भारती बनाम स्टेट आफ केरल कहते हैं. इसमें आए फैसले से संसद की संविधान में संशोधन करने की शक्ति सीमित हो गयी. मामले की 68 दिनों की सुनवाई के बाद तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश एसएम सिकरी की अध्यक्षता वाली 13 जजों की बेंच में से सात जजों के बहुमत ने फैसला दिया था. इसके अनुसार, संविधान में कोई भी संशोधन उसकी प्रस्तावना की भावना के खिलाफ नहीं हो सकता है.