झारखंड हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने सुप्रीम कोर्ट पहुंची हेमंत सरकार
रांची: राज्य की नियोजन नीति (Planning policy) को रद्द करने के झारखंड हाईकोर्ट के आदेश को हेमंत सरकार (Hemant Sarkar) ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) में चुनौती दी है. राज्य सरकार की ओर से एसएलपी दायर कर झारखंड हाईकोर्ट को आदेश को निरस्त करने का आग्रह किया गया है. सरकार ने अनुसूचित जिलों में शिक्षकों की बहाली रद्द करने का आदेश को भी निरस्त करने का आग्रह किया गया है.

आपको बता दें कि झारखंड हाईकोर्ट (Jharkhand High Court) के लॉर्जर बेंच ने नियोजन नीति’ को अवैध व असंवैधानिक करार देते हुए निरस्त कर दिया था. और साथ ही 13 अनुसूचित जिलों के हाइस्कूलों में हुई शिक्षकों की सभी नियुक्तियों को भी निरस्त करने का आदेश दिया था. जबकि गैर अनुसूचित 11 जिलों में हुई शिक्षकों की नियुक्तियों को सुरक्षित रखा था. लार्जर बेंच (Large bench) में जस्टिस एचसी मिश्र (Justice HC Mishra) , जस्टिस एस चंद्रशेखर और जस्टिस दीपक रोशन शामिल थे.
उन्होंने कहा कि बहाल हुए शिक्षकों की नियुक्ति रद्द कर फिर से नियुक्ति की प्रकिया किया जाए. सरकार के नियोजन नीति में राज्य के अनुसूचित जिलों में तीसरे और चतुर्थ वर्ग की नौकरियां स्थानीय लोगों के लिए सुरक्षित रखा गया है. इसके तहत गैर अनुसूची जिले (Non schedule district) के लोग नौकरी आवेदन नहीं दे सकते हैं. मगर गैर अनुसूची जिले में नौकरी के आवेदन अनुसूचित जिलों के लोग दे सकते है. इसी के तहत शिक्षकों की नियुक्ति की गई है.
राज्यपाल के पास अधिकार है
आपको बता दें कि अनुसूचित जिलों में रांची, खूंटी, गुमला, सिमडेगा, लोहरदगा, पश्चिम सिंहभूम, पूर्वी सिंहभूम, सरायकेला, लातेहार, दुमका, जामताड़ा, पाकुड़, साहिबगंज शामिल है. इन जिलों में बहाल हाई शिक्षकों की नियुक्ति हाईकोर्ट ने रद्द कर दी है. वहीं गैर अनुसूची जिलों पलामू, गढ़वा, चतरा, हजारीबाग, रामगढ़, कोडरमा, गिरिडीह, बोकारो, धनबाद, गोड्डा और देवघर में हुई शिक्षकों की नियुक्तियों को सुरक्षित रखा था. राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि पंचवी अनुसूची के तहत राज्यपाल (Governor) को इस प्रकार की नीति बनाने का अधिकार है. राज्य की स्थिती को देखते हुए इस प्रकार की नीति पहले भी बनाया जा चुका है.
