दुमका में छात्र समन्वय समिति ने निकाली रैली, एक अप्रैल को संताल परगना बंद की दी चेतावनी

दुमका में छात्र समन्वय समिति ने निकाली रैली, एक अप्रैल को संताल परगना बंद की दी चेतावनी

स्थानीय नीति, रोजगार नीति को फिर से परिभाषित करने की हेमंत सोरेन सरकार से रखी मांग

दुमका : संताल परगना महाविद्यालय दुमका, छात्र समन्वय समिति दुमका के बैनर तले छात्र अधिकार महारैली कार्यक्रम का शुक्रवार को आयोजन किया गया। इस अवसर पर छात्र-छात्राओं ने झारखंड के हेमंत सरकार एवं उनके सहयोगी कांग्रेस के तमाम विधायकों का विरोध, पुतला दहन कार्यक्रम आयोजित किया। छात्र समन्वय के कहा कि हेमंत सरकार एवं उनके सहयोगी कांग्रेस के द्वारा बनाई गई कई गलत नीतियों के कारण जनमानस की भावनाओं को ठेस पहुंचा है।

छात्र-छात्राओं ने सवाल उठाया कि क्या झारखंड इसी दिन के लिए बना था कि यहां के युवा रोजगार के लिए दर-दर भटकें। उन्हें अपने ही राज्य में हक-अधिकार के लिए सड़कों पर आंदोलन के लिए बाध्य होना पड़े। आज हालात यह है कि छात्रों को अधिकार और न्याय की मांग के क्रम में पुलिस से लाठी खानी पड़ रही है। उन्हें बेवजह झूठे केस का शिकार होना पड़ रहा है। जहां उन्हें रोजगार मिलना चाहिए वहां केस और पुलिस की लाठी मिल रही है।

छात्र नेता श्यामदेव हेम्ब्रम ने कहा कि झारखंड के हेमंत सरकार को यह बात समझ में आना चाहिए कि 1951 के बाद केंद्र के विभिन्न सरकारी उपक्रमों में झारखंड में आए विभिन्न राज्यों के लोग एवं अनके परिवार बस गए हैं। सवाल उठता है कि झारखंड के स्थानीय खतियान धारियों का क्या होगा, इस हालात में क्या हेमंत सोरेन ने झारखंड के आदिवासियों और मूल वासियों के साथ धोखा नहीं किया है।

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उन्होंने कहा कि झारखंड सरकार ने 1932 के आधार पर स्थानीय नीति क्यों नहीं बनाया? 1932 शब्द के साथ अंतिम सर्वे सेटेलमेंट शब्द को क्यों नहीं जोडा गया है? क्या झारखंड में बाहर से आए लोगों की जनसंख्या अधिक हो गई है या फिर बाहर के लोगों का झारखंड की राजनीति में प्रभाव बढ़ गया? अगर बाहर के लोगों का झारखंड के राजनीति में प्रभाव है तो क्यों है यह बात हेमंत सरकार को समझने की जरूरत है।

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आज बाहरी लोग जो यहां रोजगार की तलाश में आए, उन्होंने अपना वोटर कार्ड यहां बनवाया और वोट भी देते हैं, जो लोग दो जगह का वोटर कार्ड उपयोग करते हैं, उन पर कार्रवाई क्यों नहीं होती। आज पीजीटी में बहाली के लिए रिक्तियों के लिए आवेदन मांगा जा रहा है, जिसमें आवेदन में साफ लिखा हुआ है कि पात्रता भारत की नागरिक हो। क्या ऐसे में झारखंड के युवाओं का हक नहीं मारा जा रहा है बिहार बिहारियों के लिए, बंगाल बंगालियों के लिएए तो क्या झारखंड झारखंडियों के लिए नहीं हो सकता है?

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झारखंड सरकार को जवाब देना चाहिए कि बिहार में भी प्लस 2 विद्यालयों के लिए बहाली निकाली गई, जिसमें प्रिंट मीडिया साफ तौर पर कहती है कि 40,506 पदों पर नौकरी बिहारियों के लिए है। लेकिन झारखंड में पात्रता पूरे भारत को माना जा रहा है जबकि दोनों राज्यों का डोमिसाइल एक ही है। क्या झारखंड सरकार का नियोजन नीति 60ः40 का अनुपात उन लोगों के हित में नहीं बनाया जा रहा है जो झारखंड में बाहर से आए हैं और विभिन्न केंद्रीय उपक्रमों यथा सीसीएल, बीसीसीएल बीटीपीएस, पीटीपीएस, एवं एसएआईएल इत्यादि में काम कर रहे हैं।

सरकार को जवाब देना चाहिए कि क्या झारखंड एक चारागाह बनकर रह गया है। घर और छत तो बन गया, लेकिन इसमें खिड़की और दरवाजा नहीं लगता है। जब जो चाहे आ जाए जब जो चाहे चला जाए। छत्तीसगढ़ का पोर्टल में सरकार को खोल कर देखना चाहिए जिसमें साफ तौर पर लिखा हुआ है कि भारत का नागरिक हो एवं छत्तीसगढ़ के स्थानीय निवासी होना चाहिए। क्या झारखंड में ऐसा नहीं हो सकता है। बंगाल में 90 प्रतिशत पद बंगालियों के लिए है, पांच प्रतिशत बाहरियों के लिए है। झारखंड में क्यों नहीं ऐसा हो सकता है। इसका जवाब सरकार को देना चाहिए।

सरकार की गलत नीतियों में एक शिक्षा नीति भी है, जिसमें सरकार ने विश्वविद्यालय में सीयूईटी के तहत नामांकन अनिवार्य कर दिया है। संताल परगना के छात्र इसका विरोध करते हैं। इस संदर्भ में झारखंड सरकार को जवाब देना चाहिए।

छात्र समन्वय समिति, दुमका ने राज्य सरकार के समक्ष ये प्रमुख मांगें रखी हैं –

खातियान के आधार पर स्थानीय नीति बनाई जाए। जिसमें 1932 को आधार माना जाय।

खातियान के आधार पर नियोजन नीति बनाई जाय ।

रिक्तियों के विरुद्ध आवदेन में सिर्फ भारत के नागरिक न लिख कर के नागरिक एवं झारखंड राज्य का स्थानीय निवासी लिखा जाये।

60ः40 का अनुपात रद्द किया जाय। सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय, दुमका में सीयूईटी को वापस किया जाय।

समिति ने कहा है कि उपरोक्त मांगें पूरी नहीं किए जाने की स्थिति में छात्र समन्वय समिति, दुमका आंदोलन के कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए आगामी 1 अप्रैल 2023 को संताल परगना में एक दिवसीय बंद का आह्वान करने के लिए बाध्य होगी, जिसकी जिम्मेवारी सरकार पर होगी।

इस मौके पर विवेक हंसदाक, सोकोल हेम्ब्रोम, सुकदेव बेसरा, राली किस्कू, कोरलेलिस किस्कू, मुनिलाल हंसदाक, प्रवीण मुर्मू, बाबूराम सोरेन, लाटूवा किस्कू, अलीशा, पुस्पलता, होपोन टी, मार्टीना, बबीता मरांडी, अर्चना टुडू, सोनी सोरेन, प्रेमलता टुडू, कटरीना सोरेन, सावित्री हंसदाक, सेबस्तियान हेम्ब्रोम, फ्रांसिस सोरेन, श्याम देव हेम्ब्रम, मनोज मुर्मू, बाबूधन टुडू, नरेश सोरेन, रवीेंद्र मरांडी, सुलिश सोरेन, बिमल राजेंद्र, मनुएल, सैमुएल आदि मौजूद थे।

Edited By: Samridh Jharkhand

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