सरकारी काम के लिए जमीन अधिग्रहण में हुई गड़बड़ी, अब आदिम जनजाति पहाड़िया से उसकी भरपाई की कोशिश

सरकारी काम के लिए जमीन अधिग्रहण में हुई गड़बड़ी, अब आदिम जनजाति पहाड़िया से उसकी भरपाई की कोशिश

दुमका से गौतम चटर्जी की रिपोर्ट

दुमका : सरकारी कामकाज में हुई गड़बड़ी कई बार गरीबों पर ही आफत बन कर आती है। ऐसी ही परिस्थिति दुमका जिले के रानिश्वर प्रखंड में बन गयी है। यहां एक स्टेडियम निर्माण के लिए हुए जमीन अधिग्रहण में त्रुटि का खामियाजा उक्त रैयत को पहाड़िया समुदाय की जमीन पर कब्जा दिला कर दूर करने की कोशिश की जा रही है।

दुमका जिले के रानिश्वर प्रखंड के गोविंदपुर पंचायत अंगर्तत पड़ने वाले दिगुली मौजा में एक बेआबादी जमीन की 1076 में पहाड़िया समुदाय के लिए बंदोबस्ती कर दी गयी थी। इस जमीन पर पहाड़िया समुदाय के लोग रहते हैं और 14 बिरसा आवास व 10 इंदिरा आवास बने हुए हैं। यह जमीन पहाड़िाय समुदाय के कब्जे में है और उन्हीं का इसमें दखल है।

पर, अब इस जमीन की बंदोबस्ती परिहारपुर गांव के दो रैयत के नाम करने की कोशिश की जा रही है। ये रैयत दूसरे मौजा के हैं। एसपीटी एक्ट के अनुसार, अगर जमीन की बंदोबस्ती करनी भी है तो एक ही मौजा के अंतर्गत हो सकती है, अन्य मौजा के शख्स को नहीं किया जा सकती है।

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जिन लोगों को इस जमीन को बंदोबस्त करने की कोशिश की जा रही है, वे ओबीसी समुदाय के हैं। रविवार, 12 सितंबर 2021 को दिगुली में पहाड़िया समुदाय की एक बैठक हुई जिसमें इस तरह की किसी भी बंदोबस्ती की कोशिश का जोरदार विरोध करने का निर्णय लिया गया। ये माल पहाड़िया समुदाय के हैं।

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बैठक में शामिल हुए कई गांव के पहाड़िया

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उक्त बैठक में जिले के विभिन्न प्रखंड के साथ पश्चिम बंगाल के माल पहाड़िया प्रतिनिधि ने शामिल हुए और उन्होंने अपने अधिकारों की रक्षा का संकल्प लिया। बैठक में जामा प्रखंड के भाजपा के पूर्व प्रखंड अध्यक्ष सह एसटी मोर्चा के उपाध्यक्ष राजू पुजहर, झामुमो रानीश्वर प्रखंड समिति के अध्यक्ष बिनोद राणा, दिगुली के ग्राम सभा अध्यक्ष श्याम राय, तरनी के सुबोध पुजहर, दुमका प्रखंड के मनु पहाड़िया, सुभाष पहाड़िया,आनंद माझी, दिलीप रौनियार आदि शामिल थे। इस बैठक में ग्यारह सदस्यीय पहाड़िया ग्राम सभा का गठन कर एसटी मोर्चा के जिला उपाध्यक्ष राजू पुुजहर को संयोजक बनाया गया है ।साथ ही सजन पहाड़िया को अध्यक्ष सुभाष पहाड़िया को सचिव बैशाखी पहाड़िया को कोषाध्यक्ष बनाया गया है।

सीओ के फैसले के विरोध का निर्णय

बैठक में मौजा दिगुली के खाता संख्या 144 के दाग संख्या 1975 अनाबादी जमीन पर अन्य गांव के पिछड़ी जाति के रैयत को दखल दिलाने की अंचल अधिकारी अतुल रंजन भगत के प्रयास के विरोध में प्रस्ताव लिया गया। सुभाष ने बताया कि यहा दाग संख्या 1975 जिसका रकवा 26 24 एकड़ है, उस जमीन पर पहाड़िया समुदाय के लोगों को 1976 में बंदोबस्ती दिया गया था। पिछले 45 साल से उस जमीन पर पहाड़िया समुदाय के लोग बसोबास करते हैं। हाल में यहां 14 बिरसा अबास का निर्माण हुआ है। उसी जमीन पर पढ़ीहरपुर गांव के रैयत निमाई घोष एवं करुणामय घोष को दखल दिलाने की कोशिश हो रही है और ऐसी कोशिशों का विरोध किया जाएगा।

ऐसा है मामला

जानकारी के अनुसार पढ़ीहरपुर गांव के रैयत निमाई घोष एवं करुणामय घोष की रानीग्राम की जमीन पर प्रशासन ने बिना अधिग्रहण किए और आवश्यक प्रक्रिया पूरा किए स्टेडियम बनावा दिया, जिसके खिलाफ मूल रैयत ने झारखंड हाइकोर्ट में रीट दायर किया था। उसी के आलोक में उपायुक्त ने निमाई एवं करुणामय को जमीन देने का आदेश दिया है। वर्ष 2014 के उस आदेश के सात साल के बाद भी अंचल अधिकारी दिगुली मौजा में अन्य मौजा के दोनों रैयतों को जमीन पर दखल नहीं दिला पाए हैं। रामजीवन ने आरोप लगाया कि अंचल अधिकारी ने डीसी दुमका को तथ्य छुपा कर जो रिपोर्ट दिया है पहाड़िया उसी का विरोध कर रहे हैं। झामुमो के स्थानीय नेता विनोद ने कहा कि किसी भी सूरत में पहाड़िया समुदाय के लोगों की बंदोबस्ती जमीन पर अन्य मौजा के रैयत को दखल नहीं दिलाने दिया जाएगा।

पहाड़िया समाज के अध्यक्ष रामजीवन पहाड़िया का क्या कहना है?

आदिम जनजाति विकास समिति, दुमका के जिलाध्यक्ष रामजीवन पहाड़िया ने कहा कि उक्त जमीन की 1976 में प्रशासन के द्वारा बंदोबस्ती की गयी थी। 1982-83 में आदिम जनजाति के लिए अवहां आवास मंजूर हुआ, चार यूनिट तब मकान मिला था। एक यूनिट में दो परिवार को उस समय आवंटन मिलता था। एकीकृत बिहार के समय जल है, जान है योजना चल रही थी, जिसका यहां बसे पहाड़िया समुदाय को लाभुक बनाया गया। उन्हें जोत, आवास, जीविका सब मिला। रामजीवन पहाड़िया के अनुसार, यहां करीब 15 परिवार निवास करते हैं, जिनमें सनथ पहाड़िया, संतोष पहाड़िया, शिव पहाड़िया, झंटू पहाड़िया, मंटू पहाड़िया आदि के परिवार हैं। यहां पर 14 यूनिट बिरसा आवास बन कर तैयार है, उसकी ढलाई हो चुकी है, जिसमें सिर्फ अब लोगों का गृहप्रवेश बाकी है।

सीओ ने क्या कहा?
इस मामले में समृद्ध झारखंड ने रानिश्वर के सीओ अतुल रंजन भगत से पूछा तो उन्होंने कहा कि यह पुराना मामला है और उस समय डीसी के द्वारा उस जमीन की बदोबस्ती की गयी थी। उन्होंने सवालों को टालते हुए कहा कि अभी कोर्ट चल रहा है और इसका डिटेल है और फोन पर उतना नहीं बता सकेंगे।

 

(डेस्क इनपुट के साथ।)

Edited By: Samridh Jharkhand

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