दर्जनों झूठे केस में 11 बार जाना पड़ा जेल, चार बार सीसीए लगाकर किया तड़ीपार: जॉन मिरन मुण्डा
सीसीए हटाने व मामले की जांच कराने को लेकर राष्ट्रपति को लिखा पत्र

जॉन मिरन मुंडा ने यह भी कहा कि मैं आदिवासी होने और टाटा रूंगटा जैसे कंपनियों से मजदूर हित में आंदोलन करने का सजा भुगत रहा हूँ। आज भी जिला के आदिवासी लकड़ी पत्ता बेचने को मजबूर हैं।
चाईबासा: जॉन मिरन मुंडा जिला परिषद सदस्य झींकपानी ने पिछले करीब 3 माह से सीसीए से तड़ीपार में हैं ने देश के महामहिम राष्ट्रपति, माननीय मुख्य न्यायाधीश नई दिल्ली, मुख्य न्यायधीश रांची, अध्यक्ष मानाव अधिकार आयोग राँची, अध्यक्ष अनुसूचित जनजाति आयोग दिल्ली को सीसीए से मुक्त करने और सभी केस को जांच करने का मांग किया है। जॉन मिरन मुंडा ने पत्र में लिखा है कि मैं मजदूर का बेटा हूँ और एलएलबी तक पढ़ाई किया हूँ। मैंने नेलशन मंडेला, महात्मा गांधी और बिरसा मुंडा को आदर्श मानकर हमेशा देश का संविधान और लोकतंत्र के तहत आंदोलन किया है।

मैने माननीय उच्च न्यायालय रांची में अपील किया और 2 साल सजा में बारी होकर उड़ीसा के क्योंझर से चुनाओ लड़ा और जनता ने 32000 वोट देकर मेरे विचार को समर्थन दिया। चुनावों के बाद उपायुक्त चाईबासा से कई बार सीसीए से मुक्त करने का आवेदन दिया लेकिन इसपर कोई कार्यवाही नहीं हुई। जॉन मिरन मुंडा ने यह भी कहा कि मैं आदिवासी होने और टाटा रूंगटा जैसे कंपनियों से मजदूर हित में आंदोलन करने का सजा भुगत रहा हूँ। आज भी जिला के आदिवासी लकड़ी पत्ता बेचने को मजबूर हैं।
जनप्रतिनिधि टाटा कंपनी के पैसो पर राजनीति कर रहे हैं और अपना सिर्फ बैंक बैलेंस बढ़ा रहे हैं। एक तरफ आदिवासी बंदूक के दम पर मुक्ति के लिए पुलिस और सीआरपीएफ के बीच खून के प्यासा बने हुए हैं और संविधान और लोकतंत्र को मानने वाला को तड़ीपार किया जा रहा है। आगामी विधानसभा चुनाव में मैं चाईबासा सदर से चुनाव लडूंगा और पूरे झारखंड में 40 जगहों से उम्मीदवार उतारूंगा। इसलिए सभी महामहिम और माननीय से नम्र निवेदन है कि सीसीए से मुक्त कराया जाए और सभी केस को जांच किया जाए।