बारुद के ढेर पर आजसू! भाजपा के साथ सीट शेयरिंग का फार्मूला सामने आते ही बगावत के आसार
झामुमो का दामन थामने की तैयारी मे उमाकांत रजक
इसके साथ ही कई दूसरी सीटें भी जहां आग की ज्वाला धधक रही है, सारे संभावित प्रत्याशियों की ओर से आजसू भाजपा के बीच टिकट वितरण के अंतिम खांचे का सामने आने का इंतजार किया जा रहा है. जैसी ही सूची सामने आती है और उनकी सीट भाजपा के खाते में जाने का एलान होता है, तमाम नाराज कार्यकर्ता अपने अपने लिए विकल्प की तलाश कर सकते हैं.
रांची: सूबे झारखंड में हर गुजरते दिन के साथ सियासी गतिविधियां तेज होती जा रही है, माना जा रहा है कि दुर्गा पूजा के दौरान ही आजसू भाजपा के बीच सीटों का एलान हो सकता है. आजसू के हिस्से में करीबन नौ सीट जाने का दावा किया जा रहा है,आजसू हो या भाजपा हर किसी की ओर से सब कुछ कुशल क्षेम होने की बात कही जा रही है, लेकिन इन दावों के विपरीत जमीनी सच्चाई कुछ और बयां करती हुई दिखलायी पड़ रही है. सबसे अधिक विरोध के स्वर आजसू से उठते दिखलायी पड़ रहे हैं, और उसका कारण है आजसू की मजबूत सीटों पर भाजपा की दावेदारी. बताया जा रहा है कि ऐसी करीबन पांच सीटें हैं, जिस पर आजसू कार्यकर्ताओं की ओर से चुनावी अखाड़े में उतरने की पूरी तैयारी है, लेकिन ये सभी सीटें भाजपा कोटे में जाना तय माना जा रहा है, जैसे -जैसे यह खबर फैल रही है, आजसू कार्यकर्ताओं की बेचैनी भी तेज होती जा रही है. इस हालत में यह सवाल खड़ा होता है कि वह कौन-कौन सीटें है, जिसके कारण आजसू भाजपा के बीच कांटा फंस सकता है या फिर आजसू के अंदर से बगावत का झंडा बुलंद हो सकता है. आज हम क्रमवार इन्ही सीटों पर विचार करेंगे.
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चंदनकियारी में झामुमो का दामन थाम सकते है उमकांत रजक
दूसरी सीट चंदनकियारी की है. इस सीट पर आजसू की ओर से उमाकांत रजक हैं, टिकट के मजबूत दावेदार हैं. उमाकांत रजक वर्ष 2009 में इस सीट से आजसू के टिकट पर जीत दर्ज करते हुए मंत्री पद की शोभा भी बढ़ा चुके हैं, लेकिन वर्ष 2014 मौजूदा नेता विपक्ष अमर बाउरी बाबूलाल की पार्टी के टिकट पर विधानसभा पहुंचने में सफल रहे, हालांकि वर्ष 2019 में अमर बाउरी ने भाजपा के टिकट चुनाव लड़ा और भाजपा में नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी तक पहुंचने में सफल रहें, इस हालत में भाजपा यह सीट अपने हिस्से का मानती है, लेकिन उमाकांत रजत किसी भी सूरत में चंदनकियारी के अखाड़ा छोड़ने को तैयार नहीं है. सियासी गलियारों में इस बात की चर्चा तेज है कि यदि यह सीट भाजपा के खाते में जाती है तो उमाकांत रजक झामुमो के टिकट पर अखाड़े में कूदने का एलान कर सकते हैं. वैसे भी यह झामुमो की पुरानी सीट रही है, हारु राजवार कभी यहां से झामुमो का बड़ा चेहरा हुआ करते थें, पिछले विधानसभा चुनाव में भी झामुमो के टिकट पर विजय राजवार ने 36 हजार वोट प्राप्त कर झामुमो की जमीनी ताकत का संदेश दिया था, जबकि उमाकांत रजक को 58,528 वोट लाकर दूसरे स्थान पर संतोष करना पड़ा था, इस हालत में यदि उमाकांत रजक झामुमो की सवारी करते हैं, तो यह अमर बाउरी के लिए सियासी जीवन का बड़ा झटका होगा. एक खबर यह भी है कि अमर बाउरी को चंदनकियारी के अखाड़े से बाहर कर हटिया के जंग में उतारा जाये और हटिया के मौजूदा विधायक नवीन जायसवाल को सीपी सिंह के बदले रांची से मैदान में तैनात किया जाय. लेकिन मुश्किल यह है कि क्या इस प्रस्ताव को नवीन जायसवाल स्वीकार कर पायेंगे. और यदि ऐसा नहीं होता है, अमर बाउरी चंदनकियारी में जमे रहते हैं तो उमाकांत रजक का झामुमो में जाना तय माना जा रहा है. खबर यह भी है कि झामुमो के अंदर भी उमाकांत रजक को लेकर सरगर्मी तेज हो चुकी है. सिर्फ उमाकांत रजक की ओर से हरि झंडी का इंतजार है.
जुगसुलाई में रामचन्द्र सहिस ले सकते हैं बड़ा फैसला
तीसरी सीट जुगसलगाई की है. कभी इस सीट की पहचान झामुमो का बड़ा चेहरा माने जाने वाले दुलाल भुइंया के कारण थी, दुलाल भुईयां यहां से 2000 और 2005 में जीत दर्ज कर चुके हैं, वर्ष 2009 और 2014 आजसू के टिकट पर रामचन्द्र सहिस को विजय मिली, रघुवर सरकार में मंत्री भी बने, लेकिन वर्ष 2019 में झामुमो के मंगल कालिंदी के हाथों हार मिली. वर्ष 2019 के मुकाबले में रामचन्द्र सहिस 46,779 वोट के साथ तीसरे स्थान पर रहें, जबकि 66,647 के साथ भाजपा को मुची राम को दूसरा स्थान मिला. इसी आधार पर इस बार भाजपा इस सीट पर अपना दावा ढोक रही है. इस सीट से टिकट कटने की सूरत में रामचन्द्र सहिस का अखाड़े में उतरना तय माना जा रहा है. इसके साथ ही टुंडी, सिन्दरी के साथ ही कई दूसरी सीटों पर भी आजसू कार्यकर्ताओं के अंदर आग की ज्वाला धधक रही है, सारे संभावित प्रत्याशियों की ओर से आजसू भाजपा के बीच टिकट वितरण के अंतिम खांचे का इंतजार किया जा रहा है.
