मर्चेंट शिपिंग बिल 2024: पास होने के बाद क्या होगा? जानें कब से लागू होंगे नए नियम
अब कानून बनने के लिए राष्ट्रपति की मुहर का इंतजार
नई दिल्ली: भारतीय नौवहन क्षेत्र के लिए मर्चेंट शिपिंग बिल 2024 एक ऐतिहासिक कदम है, जो दशकों पुराने मर्चेंट शिपिंग एक्ट, 1958 को प्रतिस्थापित करने के लिए लाया गया है। यह बिल न केवल पुराने कानूनों को आधुनिक बनाता है, बल्कि यह भारतीय समुद्री उद्योग को वैश्विक मानकों के अनुरूप लाने, व्यापार को सुगम बनाने और भारत को एक प्रमुख समुद्री राष्ट्र के रूप में स्थापित करने का भी मार्ग प्रशस्त करता है। यह विधेयक भारत के लिए समुद्री व्यापार, सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण के दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है।

- यह बिल दशकों पुराने मर्चेंट शिपिंग एक्ट, 1958 की जगह लेगा
- समुद्री प्रदूषण को रोकने के लिए कड़े नियम और भारी जुर्माना का प्रावधान है।
- समुद्री विवादों के त्वरित समाधान के लिए भारतीय समुद्री न्यायाधिकरण
इस विधेयक को गहराई से समझने के लिए, हम इसके विभिन्न पहलुओं, उद्देश्यों और प्रमुख प्रावधानों को विस्तार से देखेंगे।
पृष्ठभूमि और आवश्यकता
मर्चेंट शिपिंग एक्ट, 1958, अपनी स्थापना के समय एक महत्वपूर्ण कानून था, लेकिन यह 21वीं सदी की चुनौतियों और वैश्विक परिवर्तनों के लिए अपर्याप्त हो चुका था। डिजिटल युग, बदलती भू-राजनीतिक परिस्थितियाँ, और पर्यावरण संबंधी चिंताओं ने एक ऐसे नए कानून की आवश्यकता पैदा कर दी थी जो इन सभी पहलुओं को संबोधित कर सके।
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पुराने कानून की सीमाएं: 1958 का कानून कई अंतरराष्ट्रीय समुद्री सम्मेलनों और प्रोटोकॉल के साथ मेल नहीं खाता था, जिसके कारण भारतीय जहाजों को वैश्विक स्तर पर मान्यता प्राप्त करने में दिक्कत होती थी।
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प्रौद्योगिकी का अभाव: पुराने कानून में डिजिटल लेनदेन, ऑनलाइन प्रक्रियाओं और प्रौद्योगिकी-आधारित समाधानों के लिए कोई प्रावधान नहीं था, जिससे नौकरशाही और कागजी कार्रवाई का बोझ बहुत अधिक था।
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वैश्विक प्रतिस्पर्धा: सिंगापुर, दुबई और यूरोप के बंदरगाहों के साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिए भारत को एक ऐसा कानूनी ढाँचा चाहिए था जो जहाजों के पंजीकरण और संचालन को तेज और कुशल बना सके।
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पर्यावरण संबंधी चिंताएं: पुराने कानून में समुद्री प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन जैसी गंभीर समस्याओं से निपटने के लिए पर्याप्त प्रावधान नहीं थे।
विधेयक के प्रमुख उद्देश्य
मर्चेंट शिपिंग बिल 2024 को कई महत्वपूर्ण उद्देश्यों को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है।
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कानूनी ढाँचे का आधुनिकीकरण: इसका प्राथमिक उद्देश्य समुद्री कानूनों को सरल, पारदर्शी और आधुनिक बनाना है ताकि व्यापार करना आसान हो सके
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अंतर्राष्ट्रीय मानकों का अनुपालन: यह विधेयक भारत को अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन (IMO) द्वारा निर्धारित सभी प्रमुख सम्मेलनों और प्रोटोकॉल के अनुरूप लाता है, जिससे भारतीय जहाजों की वैश्विक विश्वसनीयता बढ़ेगी।
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भारतीय शिपिंग में निवेश को बढ़ावा देना: एक सरल और स्पष्ट कानूनी ढाँचा निवेशकों को भारत के समुद्री क्षेत्र में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित करेगा।
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नाविकों के अधिकारों की सुरक्षा: यह बिल नाविकों के काम करने की स्थितियों, कल्याण और वेतन से संबंधित नियमों को मजबूत करता है।
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समुद्री सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देना: यह समुद्री सुरक्षा को मजबूत करने और समुद्री प्रदूषण को रोकने के लिए कठोर प्रावधान प्रदान करता है।
जहाजों का पंजीकरण और स्वामित्व
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सरल और डिजिटल प्रक्रिया: अब जहाजों का पंजीकरण पूरी तरह से ऑनलाइन और डिजिटल तरीके से किया जाएगा, जिससे समय और कागजी कार्रवाई की बचत होगी। यह प्रक्रिया पहले बेहद जटिल और धीमी थी।
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विदेशी स्वामित्व वाले जहाजों का पंजीकरण: यह विधेयक कुछ शर्तों के तहत विदेशी कंपनियों को भी भारत में अपने जहाजों को पंजीकृत करने की अनुमति देता है। इससे भारत के पंजीकरण ध्वज (Indian flag) के तहत जहाजों की संख्या बढ़ेगी और भारत के राजस्व में वृद्धि होगी।
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पंजीकरण प्रमाण पत्र: पंजीकरण प्रमाण पत्र को डिजिटल रूप में जारी किया जाएगा, जिसे वैश्विक स्तर पर मान्यता प्राप्त होगी।
नाविकों के कल्याण और प्रशिक्षण
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रोजगार और वेतन की सुरक्षा: यह विधेयक नाविकों के रोजगार अनुबंधों को मजबूत करता है और उनके वेतन के भुगतान को समय पर सुनिश्चित करता है। किसी भी विवाद की स्थिति में, एक स्पष्ट कानूनी प्रक्रिया का पालन किया जाएगा।
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काम करने की बेहतर स्थिति: यह बिल नाविकों के काम के घंटों, आराम के समय और स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए अंतर्राष्ट्रीय मानकों को अपनाता है।
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शिकायत निवारण तंत्र: नाविकों की शिकायतों के निवारण के लिए एक ऑनलाइन पोर्टल स्थापित किया जाएगा, जिससे वे बिना किसी डर के अपनी शिकायतें दर्ज करा सकेंगे। यह एक महत्वपूर्ण कदम है क्योंकि पहले नाविकों को अपनी समस्याओं को हल करने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता था।
समुद्री सुरक्षा और पर्यावरण
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कड़े सुरक्षा मानक: यह बिल जहाजों की सुरक्षा, चालक दल की योग्यता और आपातकालीन प्रक्रियाओं के लिए सख्त मानक निर्धारित करता है। यह अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप है।
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समुद्री प्रदूषण नियंत्रण: बिल में समुद्री प्रदूषण फैलाने वाले जहाजों पर भारी जुर्माना और दंड का प्रावधान है। यह भारत की पर्यावरणीय जिम्मेदारियों को पूरा करने में मदद करेगा।
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जहाजों का पुनर्चक्रण (Recycling): विधेयक में जहाजों के सुरक्षित और पर्यावरण-अनुकूल तरीके से पुनर्चक्रण के लिए भी प्रावधान शामिल हैं, जो "हांगकांग इंटरनेशनल कन्वेंशन फॉर द सेफ एंड एनवायर्नमेंटली साउंड रीसाइक्लिंग ऑफ शिप्स" के अनुरूप है।
विवाद समाधान और विनियमन
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भारतीय समुद्री न्यायाधिकरण (Indian Maritime Tribunal): विधेयक में भारतीय समुद्री न्यायाधिकरण की स्थापना का प्रस्ताव है। यह एक विशेष संस्था होगी जो समुद्री विवादों, जैसे कि जहाज दुर्घटनाओं, नाविकों के वेतन संबंधी मामलों और समुद्री बीमा दावों का तेजी से निपटारा करेगी।
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समुद्री प्रशासक (Maritime Administrator): बिल एक समुद्री प्रशासक की नियुक्ति का प्रावधान करता है, जिसके पास नौवहन क्षेत्र को नियंत्रित करने और नियमों को लागू करने की व्यापक शक्तियाँ होंगी।
विधेयक का भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
मर्चेंट शिपिंग बिल 2024 का भारतीय अर्थव्यवस्था पर बहुआयामी प्रभाव पड़ने की उम्मीद है।
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राजस्व में वृद्धि: भारतीय ध्वज के तहत जहाजों की संख्या बढ़ने से, बंदरगाहों पर लगने वाले शुल्कों और अन्य करों से सरकार का राजस्व बढ़ेगा।
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रोजगार सृजन: नौवहन उद्योग में निवेश बढ़ने से जहाज निर्माण, मरम्मत, और समुद्री सेवाओं में लाखों नए रोजगार के अवसर पैदा होंगे।
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व्यापार में सुगमता: जहाजों के पंजीकरण और संचालन की सरल प्रक्रिया से व्यापार करना आसान होगा, जिससे विदेशी कंपनियों को भारत के साथ व्यापार करने में रुचि बढ़ेगी।
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आत्मनिर्भर भारत: यह बिल "आत्मनिर्भर भारत" के लक्ष्य को भी मजबूत करता है, क्योंकि यह भारत को समुद्री परिवहन के लिए विदेशी जहाजों पर अपनी निर्भरता कम करने में मदद करेगा।
चुनौतियाँ और आगे का रास्ता
मर्चेंट शिपिंग बिल 2024 कई सकारात्मक बदलाव ला रहा है, लेकिन इसके कार्यान्वयन में कुछ चुनौतियाँ भी हो सकती हैं।
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प्रौद्योगिकी और प्रशिक्षण: बिल के प्रावधानों को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए एक मजबूत डिजिटल बुनियादी ढाँचे और अधिकारियों के प्रशिक्षण की आवश्यकता होगी।
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अंतर-एजेंसी समन्वय: विभिन्न सरकारी एजेंसियों के बीच प्रभावी समन्वय सुनिश्चित करना एक चुनौती हो सकती है।
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जागरूकता: जहाज मालिकों, नाविकों और अन्य हितधारकों के बीच नए कानूनों के बारे में जागरूकता पैदा करना भी आवश्यक होगा।
इन चुनौतियों के बावजूद, मर्चेंट शिपिंग बिल 2024 भारत के समुद्री क्षेत्र के लिए एक मील का पत्थर साबित हो सकता है। यह न केवल पुराने कानूनों को आधुनिक बनाता है, बल्कि यह भारत को वैश्विक समुद्री व्यापार में एक अग्रणी शक्ति के रूप में स्थापित करने के लिए एक मजबूत आधार भी प्रदान करता है। यह बिल भारत के समुद्री इतिहास में एक नए अध्याय की शुरुआत है, जो सुरक्षा, स्थिरता और विकास पर आधारित है।
सुजीत सिन्हा, 'समृद्ध झारखंड' की संपादकीय टीम के एक महत्वपूर्ण सदस्य हैं, जहाँ वे "सीनियर टेक्निकल एडिटर" और "न्यूज़ सब-एडिटर" के रूप में कार्यरत हैं। सुजीत झारखण्ड के गिरिडीह के रहने वालें हैं।
'समृद्ध झारखंड' के लिए वे मुख्य रूप से राजनीतिक और वैज्ञानिक हलचलों पर अपनी पैनी नजर रखते हैं और इन विषयों पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करते हैं।
