किसान आंदोलन पर पहली बार बोला संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार, अधिकतम संयम की अपील

नयी दिल्ली : पिछले ढाई महीने से जारी किसान आंदोलन पर पहली बार संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार ने बयान दिया है। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार ने किसान आंदोलन को लेकर प्रशासन व प्रदर्शनकारियों दोनों से अधिकतम संयम बरतने की अपील की है।

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार ने ट्वीट कर कहा है कि शांतिपूर्वक तरीके से इकट्ठा होने और अभिव्यक्ति के अधिकारों की ऑफ़लाइन और ऑनलाइन दोनों जगह सुरक्षा होनी चाहिए। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार ने कहा है कि हम अधिकारियों और प्रदर्शनकारियों से अपील करते हैं कि भारत में चल रहे किसान आंदोलन में अधिकतम संयम बरतें।
संस्था ने कहा है कि यह जरूरी है कि सभी के मानवाधिकारों का सम्मान करते हुए न्यायसंगत समाधान निकाला जाए। यह पहला मौका है जब संयुक्त राष्ट्र की किसी इकाई ने दो महीने से चल रहे किसान आंदोलन पर कोई प्रतिक्रिया दी है।
#India: We call on the authorities and protesters to exercise maximum restraint in ongoing #FarmersProtests. The rights to peaceful assembly & expression should be protected both offline & online. It’s crucial to find equitable solutions with due respect to #HumanRights for all.
यह भी पढ़ें Hazaribagh News: इस्कॉन द्वारा मनाया गया गौर पूर्णिमा महोत्सव, भाजपा नेत्री शेफाली गुप्ता हुई शामिल— UN Human Rights (@UNHumanRights) February 5, 2021
इससे पहले कई अंतरराष्ट्रीय हस्तियों ने इस पर प्रतिक्रिया दी, जिसमें मशहूर पाॅप स्टार रिहाना और पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थमबर्ग का नाम शामिल हैं। इन दोनों ने किसान आंदोलन का समर्थन किया। ग्रेटा पर गूगल डाॅक्यूमंेंट शेयर करने को लेकर इस मामले में दिल्ली पुलिस ने मुकदमा भी दर्ज किया है।
अमेरिका की उप राष्ट्रपति कमला हैरिस की भांजी मीना हैरिस ने किसान आंदोलन पर ट्वीट कर कहा था कि हम सभी को भारत में इंटरनेट शटडाउन और किसान प्रदर्शनकारियों पर सुरक्षाबलों की हिंसा को लेकर नाराजगी जतानी चाहिए। वहीं, पूर्व पाॅन स्टार मिया खलीफा ने किसान आंदोलन पर ट्वीट किया था।
रिहाना के ट्वीट के बाद गृहमंत्री अमित शाह की ओर से इस पर प्रतिक्रिया आयी थी कि कोई अंतरराष्ट्रीय प्रोपेगंडा भारत की एकजुटता को प्रभावित नहीं कर सकती है। विदेश मंत्रालय ने भी कहा था कि मशहूर हस्तियों को जिम्मेवाराना व्यवहार करना चाहिए।
विदेश मंत्रालय ने कहा था कि ऐसे मामलों में टिप्पणी करने से पहले हम आग्रह करेंगे कि तथ्यों का पता लगाया जाए और मुद्दों की उचित समझ पैदा की जाए।