कोरोना संकट में सीमित संसाधन के बीच अच्छा काम कर रही है मोदी सरकार : राजकुमार राज
गिरिडीह : नीति कहती है कि आपदा के समय में शासन के साथ खड़े रहना चाहिए. जब सीमित संसाधनों के बावजूद कोरोना के विरुद्ध लड़ाई में मोदी सरकार पूरी ईमानदारी से जुटी है तो विरोधियों को भी संकट के समय सरकार के साथ खड़े रहना चाहिए.

राज कुमार राज ने आगे कहा कि देश ने कई बार महामारी और आपदा झेली है. हरेक बार चपरासी, क्लर्क, अधिकारी या असंगठित क्षेत्र के कर्मी ही एक दो दिन का वेतन राहत कोष में देते रहे. लीक से अलग हटकर चलने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को चौंकाते हुए सांसदों, मंत्रियों, प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति तक के दो साल के वेतन का 30 प्रतिशत राहत कोष में डलवाने का कार्य किया. देश में यह पहली बार हुआ है. सांसदों के क्षेत्र विकास निधि को भी दो साल तक बंद कर राहत कोष में डाइवर्ट कराने का अध्यादेश लाया गया. एक पार्टी ने इसका विरोध किया. जबकि, इसी पार्टी के नेता विरप्पा मोइली की अध्यक्षता में एक कमेटी ने 2011 में हमेशा के लिए सांसद क्षेत्र विकास निधि को खत्म करने की सिफारिश की थी.
अमेरिका के लिए भारत की छवि बदली है. अमेरिकी राष्ट्रपति कैनेडी के समय भारत को संपेरों और जादूगरों का देश कहा गया था. मोदी जी के आने के बाद भारत की छवि भी अमेरिका की नजर में बदली है. अमेरिका भारत और मोदी जी का तारीफ कर रहा है. दवाओं के लिए अमेरिका सहित यूरोपीय देश भी भारत पर आश्रित हैं.
भारत में कोरोना का कहर कैसा होगा कोई नहीं जानता, लेकिन कम संसाधनों वाले भारत में संसाधन बढ़े हैं. फिर भी सघन आबादी वाले अपने देश के लिए कोरोना एक चुनौती है. इससे लड़ने के लिए पक्ष-विपक्ष को राजनीति छोड़ एक मंच पर आना होगा.
