बाबूलाल मरांडी ने गरीबों को अनाज उपलब्ध करवाने के लिए सीएम हेमंत सोरेन को लिखा पत्र
रांची : विपक्ष के नेता बाबूलाल मरांडी ने एक बार फिर झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिख कर अपनी बात कही है. उन्होंने कहा है कि लाॅकडाउन में सरकार ने गरीबों को 10-10 किलो अनाज देने का एलान किया था, लेकिन एक महीना बाद भी हर जरूरतमंद को अनाज नहीं मिला है. राज्य में ऐसे लोगों की संख्या 06 लाख 97 हजार 443 बताई जा रही है, जिनका आवेदन देने के बाद भी कार्ड नहीं बन पाया है. भारत सरकार के द्वारा अनाज मुहैया कराने के बाद भी इन वंचितों तक अनाज अब तक नहीं पहुंचना दुखद है.

आज भी राजधानी रांची के कई इलाके की इससे संबंधित अखबारों में प्रमुखता से प्रकाशित खबरें देखी जा सकती हैं. जब राजधानी का यह हाल है तो सुदूरवर्ती इलाकों की भयावहता खुद समझी जा सकती है. अभी कोई सामान्य वक्त नहीं है. जिस सरकार के लिए भोजन व राशन प्राथमिकता सूची में होनी चाहिए थी उसी सरकार के द्वारा ऐसी घोर लापरवाही अनुचित और असंवदेनशील है. झारखंड उच्च न्यायालय ने भी चार दिन पूर्व इस मामले पर सरकार को नसीहत देते हुए कहा था कि घोषणाओं व योजनाओं को सिर्फ कागज तक ही नहीं रखें, इसका लाभ भी जरूरतमंदों तक पहुंचनी चाहिए.
बाबूलाल मरांडी ने पत्र में कहा है कि मुख्यमंत्री से यही विनम्र आग्रह है कि इस दिशा में अविलंब कदम उठाएं. मेरा एक सुझाव यह भी है कि इन गरीबों की हालत समझते हुए उपायुक्तों और डीलरों के नाम सरकार को एक सार्वजनिक निर्देश जारी करनी चाहिए कि कार्ड के लिए अप्लाई किए गए आवेदन की छायाप्रति, सूची देखकर इन वंचितों को अनाज मुहैया कराए जाएं. कहीं परेशानी हो तो जनप्रतिनिधि, मुखिया, प्रमुख, पंचायत समिति, वार्ड सदस्य आदि की भूमिका तय कर अनाज वितरण सुनिश्चित हो. कोरोना संकट में लोगों के लिए एक.एक दिन भारी पड़ रहा है और लाॅकडाउन लगने की समय-सीमा महीने भर से अधिक हो चली है. ऐसे में जब लोग भूख से मर ही जाएंगे तब यह अनाज उनके किस काम का होगा.
