लॉकडाउन में गरीब व दिहाड़ी मजदूरों का किराया माफ करने व वेतन के संबंध में गृहमंत्री को लिखा पत्र

लॉकडाउन में गरीब व दिहाड़ी मजदूरों का किराया माफ करने व वेतन के संबंध में गृहमंत्री को लिखा पत्र

 

एनएचआरसीसीबी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने गृह मंत्री, प्रधानमंत्री, सुप्रीम कोर्ट आफ इंडिया, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को लिखा पत्र

रांची : राष्ट्रीय मानवाधिकार एवं अपराध नियंत्रण ब्यूरो के राष्ट्रीय अध्य्क्ष डॉ रणधीर कुमार ने गृहमंत्री, भारत सरकार को विगत 3 महीने में लॉकडाउन के कारण कर्मचारियों को वेतन नहीं दिए जाने एवं मजदूर लोगों का किराया माफ करने को लेकर पत्र लिखा. इसमें उल्लेख किया गया कि विगत तीन माह से संपूर्ण भारत में विश्वव्यापी कोरोना महामारी के कारण संपूर्ण लाकडाउन होने के कारण सभी व्यवसाय व्यापार उद्योग बंद रहे, जिसके कारण ऐसे मजदूर जो अन्य क्षेत्रों या अन्य राज्यों में मजदूरी के लिए गए थे और किराए से रह रहे थे वह 3 महीने तक बिना किसी रोजगार के किराए के मकान में रहे अब उनके सामने सबसे बड़ी समस्या मकान का किराया चुकाना है. कई जगह ऐसी घटनाएं सामने आईं कि मकान मालिक ने किराएदार को घर से निकाल दिया या उनके सामान जप्त कर लिए.

डाॅ रणधीर कुमार ने अपने पत्र में उल्लेख किया कि केंद्र सरकार द्वारा आह्वान किया गया था कि इन तीन महीनों का वेतन सभी शासकीय और प्राइवेट संस्थाएं अपने कर्मचारियों को दें. परंतु अलग-अलग स्थानों से कर्मचारियों की शिकायत आ रही है कि उनके संस्थान द्वारा उन्हें उक्त तीन महीने का कोई वेतन नहीं दिया गया और नौकरी से निकाल दिया गया. इस स्थिति में राष्ट्रीय मानवाधिकार एवं अपराध नियंत्रण ब्यूरो जो मानवाधिकार के क्षेत्र में एक संगठन है, जो शोषित वंचितों और पीड़ितों को न्याय दिलाने का कार्य करता है वह गृह मंत्रालय, सुप्रीम कोर्ट, मानवधिकार आयोग का ध्यान इस विषय की ओर दिलाना चाहता है।

संस्था के अध्य्क्ष डॉ रणधीर कुमार का कहना है कि हमें संपूर्ण भारत में अलग-अलग क्षेत्रों से लोगों ने लिखित में आवेदन देकर इन समस्याओं से अवगत कराया है. इसलिए हमारा कर्तव्य है कि हम इस समस्या को गृह मंत्रालय, भारत सरकार, माननीय सुप्रीम कोर्ट एवं सभी प्रदेशों के मुख्यमंत्री को अवगत कराएं क्योंकि यह एक कृत्रिम आपदा है जो मानव द्वारा उत्पन्न है. इसमें गरीब, वंचित एवं बेसहारा लोगों को उनके मान सम्मान की परवाह ना करते हुए उनके साथ गलत व्यवहार किया गया. उन्हें मारा पीटा गया. उनका रोजगार छीन लिया गया एवं अब उनके सामने उक्त तीन महीने के वेतन की समस्या है. यह मानव अधिकारों का सीधा उल्लंघन है.

संस्था ने निम्न सुझाव दिए हैं :

मकान मालिकों को उक्त 90 दिन में से 45 दिन का किराया माफ करने के आदेश दिए जाए.
या फिर केंद्र या राज्य सरकार द्वारा ऐसे किरायेदारों को एक विशेष पैकेज के माध्यम से राहत देनी चाहिए.
या जो सक्षम मकान मालिक हैं जो केवल मकान के किराए पर निर्भर नहीं हैं, उनके लिए भारत सरकार या राज्य सरकार को एक आदेश जारी करना चाहिए, जिन्हें उक्त तीन महीने का किराया माफ करने संबंधी निर्देश दिए जाने चाहिए और बाकी मकान मालिकों को 45 दिन का किराया माफ करने का आदेश जारी किया जाना चाहिए.
ऐसे कर्मचारी जिनको तीन महीने का वेतन नहीं दिया गया तत्काल प्रभाव से भारत सरकार या राज्य सरकार को आदेश निकालना चाहिए कि ऐसी सभी शासकीय प्राइवेट संस्थाएं अपने कर्मचारियों को तीन माह का वेतन जारी करें.

साथ ही ब्यूरो द्वारा यह भी बात रखी गई है कि अगर केंद्र सरकार या राज्य सरकार द्वारा कोई आदेश दिया जाता है एवं संबंधित लोग उसका पालन नहीं करते हैं तो उन्हें एक निश्चित आर्थिक दंड का प्रावधान कर दंडित किया जाना चाहिए।

Edited By: Samridh Jharkhand

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