झारखंड : जैविक खेती के नाम पर ओफाज सीइओ राजीव कुमार, सुनील अग्रवाल और आर्या कंपनी ने फैलाया घोटाला वायरस
ज्योति चौहान

पूरी दुनिया में जिस कोरोना के प्रकोप ने त्राहिमाम मचा रखा है। ठीक वैसा ही प्रकोप कृषि विभाग के आर्गेनिक फार्मिंग आथोरिटी ऑफ झारखंड, ओएफएजे में फैला हुआ है। जहाँ राज्य के किसानों को सिर्फ ठगा नहीं जा रहा बल्कि जनता के पैसों का बंदरबांट होता आ रहा है।
जी हां, झारखंड राज्य में किसानों की खुशहाली के लिए हर सरकार ने योजनाएं बनायी, किसानों को लाभ देने के लिए. केंद्र सरकार ने भी किसानों के हित में एक कदम आगे बढ़ाया और जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए आगे आयी. वर्ष 2016 में तत्कालीन झारखंड सरकार ने 22000 हेक्टेयर जमीन को चिह्नित कर खेती कराने का एक ऐसा कदम उठाया, जिसमें 22 करोड़ की राशि का प्रावधान झारखंड सरकार द्वारा किया गया। इसमें इनपुट बायो बूस्ट पाउडर, न्यूट्रोफिल, सील्ड फॉर फंगस और कीटनाशक किसानों को अनुदान पर मुहैया करवाया गया था।
ज्ञातव्य हो कि वित्तीय वर्ष 2016-17 से लेकर 2018-19 तक झारखंड राज्य में 17,500 जैविक किसानों का चयन किया गया, जिसमें 16,156 जैविक किसानों का कार्ड बनाया गया और कार्य योजना को मूर्त रूप देने के लिए कंपनियों का भी चयन कर लिया गया। इन तीन कंपनियों में आर्या बायो टेक्नोलॉजी एवम अन्य हैं।
आर्या बायोटेक्नोलॉजी महाराष्ट्र की कंपनी है। इस कंपनी को कृषि विभाग के आर्गेनिक फार्मिंग आथिरिटी ऑफ झारखंड में ऑर्गेनिक इनपुट का कार्य सौंपा गया। 2016-17, 2017-18 और 2018-19 में झारखंड कृषि विभाग ने 22 करोड़ रुपये ऑर्गेनिक इनपुट में लगाए। आर्या बायो टेक्नोलॉजी कंपनी ने झारखंड के लगभग 14 जिलों में जैविक कृषि के नाम पर पैसों की बंदरबांट की। राजधानी रांची समेत गुमला, लातेहार, रामगढ़, गिरिडीह, हजारीबाग, बोकारो, देवघर, पाकुड़, सरायकेला खरसावां, पूर्वी सिंहभूम, धनबाद, लोहरदगा और उपराजधानी दुमका जैसे जिले शामिल रहे हैं।
कृषि विभाग के ओएफएजे में सुनील अग्रवाल की है चलती
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री के करीबी रहे सुनील अग्रवाल के इशारों पर जैविक खेती से संबंधित आथोरिटी यानी ओएफएजे को पूरी तरह लूटा गया, इसमें कृषि विभाग के ओएफएजे के सीइओ राजीव कुमार के साथ-साथ आर्या बायो टेक्नॉलोजी के डायरेक्टर मुकुंद कुलकर्णी और कंपनी के झारखण्ड के प्रभारी उदय भुवंकर की भी मिलीभगत रही है।
ऐसे हुआ 22 करोड़ का घोटाला
झारखंड के 14 जिलों में जैविक खेती के तहत आर्या बायो टेक्नोलॉज़ी ने काम शुरू किया। 50 हज़ार से लेकर 5,5000 हेक्टेयर पर 5 हज़ार से 55 सौ किसानों पर एक आईसीएस यानी कलेक्टर होने चाहिए, जो नहीं थे। किसानों की ट्रेनिंग के लिए कोई कंपनी आयी ही नहीं। और किसानों को बिना ट्रेनिंग के ही सामान वितरित किया गया। यानी आर्या बायो टेक्नोलॉज़ी ने इनपुट वितरण कर दिया। साथ ही आर्या बायो टेक्नोलॉज़ी ने किसानों के बीच इनपुट बांटे। आर्या बायो टेक्नोलॉजी कंपनी ने एचडीएफसी की स्वैप मशीन पर किसानों द्वारा एटीएम कार्ड स्वैप करवाया। कंपनी ने अपने प्रोडक्ट के दाम किसानों से ले लिए, लेकिन सवाल यह है कि आखिर कौन-सी वज़ह है जो एक प्राइवेट बैंक में ही किसानों का खाता खोला गया। जबकि देशभर में दर्जनों सरकारी बैंक मौज़ूद हैं। इधर ओएफएजे कार्यालय के विश्वासनीय सूत्रों की मानें तो कार्यालय में ही स्वैप मशीन पर दर्जनों एटीएम कार्ड स्वैप किए गए। इससे स्पष्ट है कि आर्या बायो टेक्नोलॉजी से मिलने वाले इनपुट किसानों के बीच बांटे नहीं गए बल्कि खानापूर्ति के लिए दिए गए हैं।
आर्या बायो टेक्नोलॉजी कंपनी के साइट से नंबर 9850065955, 2402357849 निकालकर बात करने की कोशिश की, लेकिन किसी भी नंबर पर फोन नहीं लगा। दोनों ही नंबर मुकुंद कुलकर्णी के नाम से हैं। वहीं, ओएफएजे कार्यालय से आर्या बायो टेक्नोलॉजी के झारखंड प्रभारी उदय भुवंकर का नाम और मोबाइल नंबर प्राप्त हुआ। उदय भुवंकर से कई बार जानकारी लेने को फोन लगाया, उन्होंने कहा कि मैं झारखण्ड नहीं देखता। मुझे इसकी कोई जानकारी नहीं है। कुछ देर बाद उन्होंने फोन कर एक नंबर देकर कहा, सारी जानकारी इनसे ले लें। जिस नंबर को उदय भुवंकर ने दिया उस पर बात करने पर सामने वाले शख्स ने कहा कि मैं कंपनी में कार्य करने वाला हूँ, मुझे इस तरह की कोई जानकारी नहीं। दूसरी बार भुवंकर से बात हुई तो उन्होंने बचते हुए कहा कि वही बताएगा।
