झारखंड: भाजपा को भीतरघात का खतरा !
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सुमित कुमार
रांची: वैसे सांसद जिन्होंने सरकारी कार्यशैली को कटघरे में खड़ा किया था, उन्हें केंद्रीय भाजपा चुनाव कमेटी ने बाहर का रास्ता दिखाकर भविष्य में उठाये जानेवाले कठोर कदम के संकेत दे दिये हैं। लाख टके की बात ये है कि वैसे सांसदों को बाहर का रास्ता दिखाया गया है, जिन्होंने 2014 के लोकसभा चुनाव में जीत हासिल की है। हांलाकि इय मसले को पार्टी दूसरे तर्क से विश्लेषित कर रही है। एक ओर तो इस कदम के बाद प्रदेश के मुखिया रघुवर दास को आलाकमान के सामने रिजल्ट देने की चुनौती है तो दूसरी ओर टिकट कटने से नाराज सांसद भाजपा की जीत पर रोड़े डाल सकते हैं।
खूंटी से आठ बार सांसद रहे कड़िया मुंडा और रांची से पांच बार सांसद रहे रामटहल चौधरी को 75 पार का हवाला देकर दरकिनार कर दिया गया है। जबकि गिरिडीह के सिटिंग सांसद को बैठाते हुये भाजपा ने अंतिम समय पर यह सीट अपने सहयोगी दल आजसू पार्टी को दे दिया। राजद से भाजपा का दामन थामने वाली अन्नपूर्णा देवी को भी पार्टी ने कोडरमा का प्रत्याशी बनाया है। सूत्रों के मुताबिक इस बार यहां से मौजूदा सांसद डॉ. रवींद्र राय का रिपोर्ट कार्ड सही नही है।
बताया जाता है कि भाजपा से यहां भीतरी तौर पर सर्वे भी कराया है। राजनीतिक जानकारों की मानें तो भाजपा ने सैद्धांतिक रूप से इस बार 75 वर्ष से अधिक उम्र के नेताओं को टिकट नहीं दिया है। भले टिकट कटने के बाद प्रभावित सांसद कुछ नही बोल रहे हैं, लेकिन इतना तय है कि चुनाव के वोटिंग प्रतिशत में इसका खामियाजा भाजपा को उठाना पड़ सकता है। गौरतलब हो कि इनके द्वारा रघुवर दास के नेतृत्व वाली चल रही एनडीए सरकार के कार्यकलाप पर सवाल खड़े किये थे।
पांच हजार से अधिक स्कूलों का विलय, पारा शिक्षकों की मांगों, सीएनटी- एसपीटी एक्ट, गैर मजरूआ भूमि की बंदोबस्ती रद्द करने समेत कई अन्य अवसरों पर इन सांसदों ने अपनी ही सरकार के कामकाज पर सवाल उठाया। नीतियों पर सवाल खड़ा करने में कोडरमा सांसद डॉ. रवींद्र राय मुखर थे, वहीं स्कूलों के विलय पर रोक लगाने को लेकर राज्य से निर्वाचित भाजपा के कई अन्य सांसदों ने भी पत्र लिखा था, इस कारण कुछ मौकों पर सरकार की किरकिरी भी हुई, वहीं कुछ मामले में दबाव में आकर सरकार को अपने कदम वापस भी खिंचने पड़े।
अब जब लोकसभा चुनाव में टिकट वितरण का वक्त आया, तो राज्य सरकार के कामकाज पर सवाल उठाने वाले पार्टी के ही कुछ वरिष्ठ नेताओं को तरीके से बाहर का रास्ता दिखा गया है, ताकि सांप भी मर जाय व लाठी भी न टूटे। पार्टी के इस कदम से बौखलाये रांची सांसद रामटहल चौधरी अब बागी हो चुके हैं व निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। ऐसे में इस बाबत भाजपा को इसका परिणात्मक नुकसान होने के कयास लगाये जा रहे हैं।
इस बार भाजपा की टिकट पर रांची से संजय सेठ चुनाव लड़ रहे हैं। बड़ी बात ये है कि भीतर ही भीतर पार्टी हालात को भांपते हुए चौधरी को मनाने की कवायद में जुटी हुई है। टिकट कटने के दर्द से अन्य सांसद भी दुखित हैं, लेकिन अनुशासनिकता के भय से कुछ बोलने की स्थिति में नही है। ऐसे में यदि पार्टी को भीतरघात का सामना करना पड़े तो इसे कोई अतिषयोक्ति नही कहा जा सकती।
Edited By: Samridh Jharkhand