जनजातीय मामलों के मंत्री बने अर्जुन, साधेंगे विधानसभा चुनाव का लक्ष्य

जनजातीय मामलों के मंत्री बने अर्जुन, साधेंगे विधानसभा चुनाव का लक्ष्य

झारखंड से राज्यसभा सदस्य नकवी भी बने हैं मंत्री
आलोक कुमार
लोकसभा चुनाव में प्रचंड सफलता हासिल करने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ऑपरेशन राज्य मिशन पर अमलीजामा पहनाने की कोशिशों में जुट गये हैं। अपनी सरकार: 2 में जहां एक ओर देश को चलाने में युवा व अनुभवी मिश्रित चेहरों को तरजीह दी है, वहीं दूसरी ओर उनका निशाना वैसे राज्य हैं, जहां विधानसभा चुनाव होना है। जनजातीय बहुल प्रदेश की आदिवासी सीट खूंटी से सांसद बने पूर्व सीएम अर्जुन मुंडा को जनजातीय मंत्रालय सौंपकर उन्होंने एक साथ कई मोर्चों पर निशाना साधा है। झारखंड में आगामी चार-पांच महीनों बाद विधानसभा चुनाव होना है, इसी लिहाज से यहां के सर्वाधिक बड़े आदिवासी चेहरे अर्जुन मुंडा बतौर कैबिनेट मंत्री भाजपा की नैइया पार करने में तुरुप का पत्ता साबित हो सकते हैं। खास बात ये है कि यहां से राज्यसभा सांसद मुख्तार अब्बास नकवी को अल्पसंख्यक मंत्रालय का प्रभार मिला है, ऐसे में ये झारखंड के अलावे बिहार के अल्पसंख्यकों को भी एकीकृत करने में बड़ी कड़ी साबित हो सकते हैं।
2014 के विधानसभा चुनाव में खरसावां सीट से अप्रत्याशित रूप से चुनाव हारने के बाद अर्जुन मुंडा को करीब साढ़े चार साल का राजनीतिक वनवास झेलना पड़ा, लेकिन इस बार के लोकसभा चुनाव में उनका सितारा फिर से चमका है। खूंटी संसदीय सीट से 23 मई को मतगणना के कई राउंड में पिछड़ने के बाद अंत में 1445 वोट से चुनाव जीतने में सफल रहे अर्जुन मुंडा पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भरोसा जताया व उन्हें अपनी टीम में शामिल किया है। इधर लोकसभा चुनाव में भाजपा को झारखंड से मिली प्रचंड सफलता के बाद प्रदेश के मुख्यमंत्री रघुवर दास का कद भी बढ़ गया है। अर्जुन मुंडा व रघुवर दास के आपसी राजनीतिक द्वंद की बातें भी कई बार सतही तौर पर सामने आती रहीं हैं, मुंडा झारखंड के तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके है, 2014 में यदि वे खरसावां विधानसभा क्षेत्र से चुनाव नहीं हारते थे, तो वे संभवतः फिर से मुख्यमंत्री की दौड़ में शामिल होते। पिछले कुछ वर्षां में राज्य सरकार द्वारा सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन की कोशिश, स्थानीयता नीति, विस्थापन, भूमि अधिग्रहण समेत कई मुद्दों पर आदिवासी और मूलवासी समाज में नाराजगी उत्पन्न हुई थी, भाजपा नेतृत्व की ओर से उस नाराजगी को दूर करने की हरसंभव कोशिश की गयी है। इसके बावजूद जनजातीय समाज का एक तबका अब भी भाजपा से नाराज है, यही कारण है कि अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सिंहभूम और राजमहल सीट पर भाजपा की हार हुई, वहीं लोहरदगा व खूंटी सहित दुमका जैसे जनजातीय बाहुल्य इलाके में भी भाजपा की जीत का अंतर काफी कम रहा है। ऐसे में पार्टी नेताओं को उम्मीद है कि जनजातीय क्षेत्रों में अर्जुन मुंडा काफी हद तक लोगों को समझाने में सफल होंगे। आदिवासियों के मुद्दों पर पिछले दिनों मुंडा सरकार के खिलाफ मुखर भी हुये थे, जिसके फलस्वरुप झामुमो ने इनपर डोरा डालने का प्रयास भी किया था। लेकिन इसके बाद केंद्रीय कैबिनेट में मुंडा को स्थान मिलने के बाद ऐसा माना जा रहा है सीएम के साथ मिलकर अब ये प्रदेश की राजनीति को पुरजोर तरीके से गति देने का काम करेंगे।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व अमित शाह की जोड़ी द्वारा इन तमाम तथ्यों को बारीकी से गौर किया जा रहा था। अब केंद्र में दूसरी बार सरकार बनने के फौरन बाद न सिर्फ इन विवादों का अंत करने का प्रयास किया गया है, बल्कि इनके भाजपा को मजबूत करने का इरादा भी साफ झलक रहा है। आदिवासी मंत्रालय देकर आदिवासियों को विकास के माध्यम से अपने खेमे में करने का भी श्री गणेश किया है। जाहिर है, कि पीएम ने झारखंड से कैबिनेट मंत्री तो मात्र एक बनाया है, लेकिन निशाना कई खानों में सामूहिक रुप से साधा है। इसमें कोई शक नही, कि अर्जुन मुंडा लोकप्रिय व प्रभावशाली ऐसे नेता हैं, जो जनजातीय समाज का तो वे प्रतिनिधित्व करते ही हैं। ऐसे में भाजपा आगामी विधानसभा चुनाव में मुंडा की लोकप्रियता को भुनाने का भरपूर प्रयास करेगी। अर्जुन मुंडा खुद भी कह रहे हैं, कि मेरे लिए सौभाग्य की बात है कि मुझे देश की सेवा का अवसर मिला। प्रधानमंत्री जी ने मुझ पर जो भरोसा जताया है, मैं उस पर खरा उतरने का प्रयास करुंगा। गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव में जनजातीय सीटों पर एनडीए व महागठबंधन में कांटे की लड़ाई हुई थी। पांच जनजातीय सीटों में तीन भाजपा के कोटे में गई, तो दो महागठबंधन के। अब अगली सीढ़ी में विधानसभा चुनाव है। ऐसे में मुंडा को जनजातीय मंत्री बनाने के बाद आदिवासी समाज के बीच बड़ा संदेश गया है, जो विस चुनाव के दौरान 28 जनजातीय क्षेत्रों में बड़ी उलटफेर कर सकता है। दूसरी ओर झारखंड से चुनकर राज्यसभा गए मुख्तार अब्बास नकवी को भी अल्‍पसंख्‍यक मंत्रालय दिया गया है, जिसके कारण राज्य के अल्पसंख्यक समुदाय के बीच भी अच्छा पैगाम पहुंचा है।
Edited By: Samridh Jharkhand

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