अर्जुन मुंडा को मोदी कैबिनेट में मिली जगह
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मोदी सरकार – 2
स्टेट ब्यूरो: खूंटी से लोकसभा चुनाव जीतने वाले अर्जुन मुंडा को मोदी कैबिनेट में हिस्सा मिल गया है। उन्हें पूवार्हन में ही दिल्ली पीएमओ से फोन आया था, इसके बाद ये दिल्ली में शपथ ग्रहण से पूर्व होनेवाली पीएम के साथ अहम बैठक में शिरकत करने पहुँच गये थे। 35 वर्ष की उम्र में पहली बार मुख्यमंत्री बनने का इन्होंने रिकार्ड बनाया है, जो अब तक इन्हीं के नाम है। 2003, 2005 व 2010 में सीएम का पद संभालने के बाद केंद्रीय कैबिनेट मंत्री के रुप में नई जवाबदेही का क्रियान्वयन करेंगे।
1445 वोटों से जीते हैं लोस चुनाव
जब अर्जुन मुंडा खूंटी सीट से चुनाव लड़े तो ये खुद-ब-खुद ही हाईप्रोफाइल सीट के रुप में तब्दील हो गया। इनके विरोध में कांग्रेस से खड़े हुये थे, रघुवर सरकार के कैबिनेट मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा के बड़े भाईचरण मुंडा। अंत तक यहाँ से मुकाबला वन डे क्रिकेट की रोमांच से परिपूर्ण रहा। आखिरी ईवीएम के खुलने के बाद अर्जुन से आखिरकार बाजी महज 1445 वोट से मार ली। खास बात ये रही कि 16वें राउंड में जब ये आगे निकले तो कांग्रेस समर्थकों ने जमकर हंगामा करते हुये फिर से गिनती करने की मांग की, लेकिन इसे दरकिनार करते हुये पूर्व सीएम को आधिकारिक तौर पर विजेता घोषित कर दिया गया।
मुख्यमंत्री पर तीन बार रहे आसीन
दूसरी बार अर्जुन मुंडा संसद जाएंगे। इन्हें यहां से आठ बार सांसद रहे कड़िया मुंडा के जगह पर चुनावी समर में उतारा गया था। ये तीन टर्म क्रमश: 2003, 2005 व 2010 मेें झारखंड की कमान बतौर सीएम थामी है। 27 साल की उम्र में पहली बार 1995 में खरसांवा विधानसभा सीट से ये झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायक बने थे, लेकिन 2000 में भाजपा का दामन थाम लिया। 35 साल की उम्र में पहली बार मुख्यमंत्री बने। पहली बार ये बतौर सांसद 2009 में जमशेदपुर से चुने गये थे, इसके अलावे भाजपा के राष्ट्रीय सचिव के पद को भी संभाला। पारिवारिक बैकग्राउंड की बात करें तो इनका जन्म 3 मई 1968 को घोड़ाबांधा, खरंगाझार जमशेदपुर में हुआ था। पिता का नाम गणेश व माता का नाम साइरा मुंडा है। इनके एक भाई व तीन बहनें हैं, जबकि अर्जुन पांचवे व सबसे छोटे। जमशेदपुर से ही हाईस्कूल की पढ़ाई करने के बाद मुंडा ने रांची विवि से स्नातक पास की व फिर इग्नू यानि इंदिरा गांधी राष्ट्रीय ओपन विश्वविद्यालय से सोशल साइंस में पीजी डिप्लोमा किया। इनकी शादी मीरा मुंडा से हुई व तीन बेटे हैं।
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जेएमएम से राजनैतिक जीवन की शुरुआत
झारखंड मुक्ति मोर्चा से 1980 में अपने राजनैतिक जीवन का आगाज करनेवाले अर्जुन ने झारखंड आंदोलन के कार्यकाल को भी महसूस कर चुके हैं। 1995 में जेएमएम से विधायक बने व फिर 2000 में भाजपाई होने के बाद दो टर्म विधायक रहे। झारखंड अलग प्रदेश होने के बाद इन्हें बाबूलाल मरांडी के कैबिनेट में समाज कल्याण मंत्री बनाया गया। 2003 में विरोध के कारण बाबूलाल मरांडी को मुख्यमंत्री पद से हाथ धोना पड़ा। इसकी समय इनके राजनैतिक जीवन में बदलाव आया व आदिवासी नेता होने के कारण 18 मार्च 2003 को इन्होंने प्रदेश में मुख्यमंत्री के तौर पर कमान संभाली। 12 मार्च 2005 को दोबारा सीएम पद की शपथ ली, लेकिन उम्मीद के मुताबिक निर्दलीयों से समर्थन नहीं जुटा सके। 14 मार्च 2006 को इन्हे पद छोड़ना पड़ा। 2009 के लोस चुनाव में इन्होंने जमशेदपुर से जीत हासिल की व सांसद बने। 11 सितंबर 2010 को वे तीसरी बार प्रदेश के सीएम बने। वे 2014 के विस चुनाव में जेएमएम के दशरथ गागराई से चुनाव हार गये।
Edited By: Samridh Jharkhand