रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने संसद को बतायी गलवान की पूरी कहानी, जानें उनके बयान की हर अहम बात

रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने संसद को बतायी गलवान की पूरी कहानी, जानें उनके बयान की हर अहम बात

 Defance Minister Rajnath Singh Statement in the Lok Sabha

नयी दिल्ली : रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को लोकसभा में गलवान घाटी झड़प और चीन की चुनौतियों पर बयान दिया। राजनाथ सिंह ने कहा कि सदन इस बात से अवगत है कि भारत और चीन की सीमा का प्रश्न अभी तक अनसुलझा है. चीन यह मानता भी है कि बाउंड्री अभी भी औपचारिक रूप से आधारित नहीं है. चीन यह भी मानता है कि जो कस्मरी लाइन है, उसके बारे में दोनों देशों की अलग-अलग व्याख्या है. 1950 व 60 के दशक में दोनों देश इस पर बात कर रहे थे, लेकिन इसका समाधान नहीं निकला.

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राजनाथ सिंह ने कहा कि सदन इस बात से अवगत है कि भारत की लगभग 38 हजार क्वायर किलोमीटर भूमि का अनधिकृत कब्जा लद्दाख में किए हुए हैं. रक्षामंत्री ने कहा कि 1963 में एक बाउंड्री एग्रीमेंट के तहत पाकिस्तान ने पीओके की 5180 वर्ग किलोमीटर जमीन अवैध रूप से चीन को सौंप दी है.

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राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत तथा चीन दोनों ने औपचारिक तौर पर यह माना है कि सीमा का प्रश्न एक जटिल मुद्दा है जिसके समाधान के लिए पेंटेंस की आवश्यकता है तथा इस इश्यू का फेयर, रिसपांसिलब और म्युटिअली एक्सेप्लेबल समाधान शांतिपूर्ण बातचीत के द्वारा निकाला जाए.

इसलिए शांति बहाल रखने के लिए दोनों देशों के बीच कई तरह के एग्रीमेंट और प्रोटोकाॅल हैं. इन समझौतों के तहत यह माना गया है कि एलएसी पर शांति बहाल रखी जाएगी, जिस पर एलएसी की अपनी-अपनी रिसपेक्टिव पोजिशन और बाउंड्री क्वेशचन का कोई असर नहीं माना जाएगा.

राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत का मानना है कि द्विपक्षीय संबंध को विकसित किया जा सकता है तथा साथ ही साथ बाउंड्री मुद्दे के समाधान के बारे में चर्चा की जा सकती है। परंतु एलएसी पर शांति और ट्रैंगक्विलिटी में किसी भी प्रकार की गंभीर स्थिति का द्विपक्षीय संबंधों पर निश्चित रूप से असर पड़ेगा.

अप्रैल में पूर्वी लद्दाख में चीन की सेना की सक्रियता बढी

रक्षामंत्री ने कहा कि इस साल की परिस्थितियों का जिक्र करते हुए सदन को बताया कि अप्रैल माह में पूर्वी लद्दाख की सीमा पर चीन की सेनाओं की संख्या तथा उनके साजो सामान में वृद्धि देखी गयी. मई महीने में चीन ने गलवान घाटी क्षेत्र में हमारे सैनिकों को सामान्य व परंपरागत पेट्रोलिंग में व्यवधान शुरू किया जिससे फेस आॅफ की स्थिति उत्पन्न हुई.

राजनाथ ने कहा कि हमने चीन को डिप्लोमेटिक व मिलिट्री चैनल के माध्यम से यह अवगत करा दिया है कि इस प्रकार की गतिविधियां स्टेटस को एकपक्षीय ढंग से बदलने का प्रयास है. यह भी साफ कर दिया गया कि ये प्रयास हमें किसी सूरत में मंजूर नहीं हैं.

एलएसी पर गतिरोध बढता हुआ देख कर दोनों ओर के सैन्य कमांडरों की छह जून 2020 को मीटिंग हुई. इस बात पर सहमति बनी कि दोनों पक्ष एलएसी को मानेंगे और कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी.

इस सहमति के उल्लंघन में चीन द्वारा वायलेंट फेट आफ की स्थिति 15 जून को गलवान में क्रिएट की गयी. हमारे बहादुर सिपाहियों ने अपनी जान का बलिदान दिया पर साथ ही चीनी पक्ष को भारी क्षति पहुंचायी और अपनी सीमा की सुरक्षा मे कामयाब रहे.


रक्षा मंत्री ने कहा कि इस पूरी अवधि के दौरान हमारी बहादुर जवानों ने जहां संयम की जरूरत थी वहां संयम का प्रदर्शन किया और जहां शौर्य की जरूरत थी वहां शौर्य प्रदर्शित किया. उन्होंने कहा कि सीमा क्षेत्रों में शांति व सदभाव के लिए एलएसी का सम्मान करना व उसका पालन करना शांति व सदभाव का आधार है और इसे 1993 व 1996 के समझौतों में स्पष्ट रूप से स्वीकार किया गया है. जबकि हमारी आम्र्ड फोर्स इसका पालन करती है, लेकिन चीनी पक्ष द्वारा इसका पालन नहीं हुआ है.

हमारी सेना ने भी उपयुक्त संख्या में काउंटर तैनाती की है

रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि चीन की कार्रवाई के जवाब में हमारे आम्र्ड फोर्स ने भी इन क्षेत्रों में उपयुक्त काउंटर तैनाती की है, ताकि भारत के सुरक्षा हित पूरी तरह सुरक्षित रहें. सदन को आश्वस्त रहना चाहिए कि हमारी सेना इस चुनौती का सफलता से सामना करेंगी और इसके लिए हमें उन पर गर्व है. अभी जो स्थिति बनी हुई है उसमें संवेदनशील मुद्दे शामिल है. इसलिए में इस बारे में ज्यादा ब्यौरा का खुलासा नहीं करना चाहूंगा.

रक्षामंत्री ने कहा कि भारत बार्डर एरिया में मौजूदा मुद्दों का हल, शांतिपूर्ण बातचीत और कंसल्टेशन के जरिए किए जाने के प्रति संकल्पित है. इस उद्देश्य को पाने के लिए मैंने अपने चीनी समकक्ष के साथ मास्को में गहराई से चर्चा की है.

रक्षामंत्री ने कहा कि मैंने स्पष्ट तौर पर हमारी चिंताओं को चीनी पक्ष के सामने रखा जो उनकी बड़ी संख्या में सैनिकों की तैनाती, आक्रामक व्यवहार, एकपक्षीय ढंग से यथास्थिति को बदलने का प्रयास से संबंधित है. उन्होंने कहा कि हमने स्पष्ट किया है कि हम शांतिपूर्ण ढंग से मुद्दों को हल करना चाहते हैं और भारत की संप्रभुता और सीमा की अखंडता की रक्षा के लिए पूरी तरह से दृढ हैं. राजनाथ सिंह ने कहा कि हालांकि इस वर्ष की स्थिति, वह पहले से बहुत अलग है, फिर भी हम मौजूदा स्थिति के शांतिपूर्ण समाधान के लिए प्रतिबद्ध हैं. उन्होंने सदन को आश्वस्त किया कि देश किसी भी स्थिति से निबटने के लिए तैयार है और आम्र्ड फोर्स के लिए हर आवश्यक चीज का प्रबंध किया गया है.

 

Edited By: Samridh Jharkhand

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