संसद में पारित हुआ कृषि कानून निरसन विधेयक 2021, विपक्ष ने चर्चा नहीं कराने पर उठाया सवाल

संसद में पारित हुआ कृषि कानून निरसन विधेयक 2021, विपक्ष ने चर्चा नहीं कराने पर उठाया सवाल

नयी दिल्ली : राज्यसभा में सोमवार को कृषि कानून निरसन विधेयक 2021 पारित हो गया। उपसभापति हरिवंश इस दौरान आसान पर मौजूद थे। विपक्ष के हंगामे के बीच विधेयक को पारित कराया गया। मालूम हो कि पिछले साल नरेंद्र मोदी सरकार ने तीन कृषि कानून पारित करवाया था, जिसको लेकर एक साल से किसान आंदोलन कर रहे थे। इसके बाद आखिरकार इस महीने 19 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों कृषि कानून वापस लेने का ऐलान किया।


वहीं, लोकसभा में भी कृषि कानून निरसन विधेयक पारित किया गया। संसद के दोनों सदनों में यह विधेयक पारित होने के साथ ही मोदी सरकार द्वारा पिछले साल कृषि से संबंधित लाए गए तीनों कानून निष्प्रभावी हो गए।


कांग्रेस सांसद मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, आज कृषि क़ानून निरसन विधेयक बिना चर्चा के लोकसभा में पास किया गया, हम उसे सपोर्ट करते हैं लेकिन हम ये चाहते थे कि उस पर चर्चा हो कि क्यों इतनी देर हुई और दूसरे मुद्दे भी हैं जिन पर चर्चा हो, लेकिन उन्होंने टालने की कोशिश की।


वहीं, लोकसभा मे ंविपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा, एमएसपी लीगल गारंटी के साथ लागू की जाए। 35,000 किसानों को झूठे केसों में फंसाया गया उन्हें मुक्त कराने की मांग और आंदोलन के दौरान मृतक 700 किसानों को मुआवज़ा देने की मांग पर सदन में चर्चा के लिए मौका दिया जाना चाहिए था, लेकिन हमें सदन में बोलने नहीं दिया गया।

कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा,हमने कहा था कि 3 काले क़ानूनों का वापस लेना पड़ेगा। हमें पता था कि 3-4 बड़े पूंजीपतियों की शक्ति हिन्दुस्तान के किसानों के सामने खड़ी नहीं हो सकती। और वही हुआ काले क़ानूनों को रद्द करना पड़ा। ये किसानों की सफलता है, देश की सफलता है। ये तीन क़ानून किसानों और मज़दूरों पर आक्रमण था। परन्तु किसानों और मज़दूरों की कठिनाइयां, एमएसपी कर्ज़ माफी आदि लंबी लिस्ट है। वे अभी भी उनकी मांगें हैं, हम उनका समर्थन करते हैं।


राहुल गांधी ने कहा, जिस तरह से संसद में बिना किसी चर्चा के क़ानून रद्द किए गए, ये दिखाता है कि सरकार चर्चा से डरती है। सरकार जानती है कि उन्होंने ग़लत काम किया है। 700 किसानों की मृत्यु, क़ानूनों को लागू करने के पीछे किसकी शक्ति थी इस पर चर्चा होनी थी पर सरकार ने नहीं होने दी।

कांग्रेस सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा, जो लोग किसान को नकली बताते थे आज उनको एहसास हुआ कि इनकी वोट असली है इसलिए उन्होंने अपने कदम पीछे हटाए। आज लोकतंत्र की फिर से हत्या हुई है। इस ;कृषि क़ानूनद्ध पर चर्चा न पारित कराते समय हुई न वापस लेते समय हुई। यह लोकतंत्र नहीं ठोकतंत्र है।


कांग्रेस सांसद गुरजीत सिंह औजला ने कहा, संसद में कोई भी बिल रद्द होती है तो उस पर चर्चा होती है लेकिन जब चर्चा की बात आई तो सरकार उससे भाग रही थी। सरकार पूरी तरह से किसानों के मुद्दों से भाग रहीं। उनके पास किसानों की मौत और एमएसपी पर कोई जवाब नहीं है।

एमआइएम नेता असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, उन्हें आने वाले विधानसभा चुनाव में राजनीतिक नुकसान दिख रहा था इसलिए उन्होंने मज़बूरी में तीनों कृषि कानूनों को रद्द करना पड़ा।

किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा, ये काला क़ानून एक बीमारी थी, जितना जल्दी कट गई उतनी जल्दी ठीक है। अब इस बिल पर राष्ट्रपति की मोहर लग जाएगी तो यह ख़त्म हो जाएगा। सरकार जहां बुलाएगी हम वहां बात करने जाएंगे।

Edited By: Samridh Jharkhand

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