Bahujan Samaj Party
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Read More... Opinion: माया की नजर दलित-ओबीसी-ब्राह्मण त्रिकोण पर
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By Mohit Sinha
बसपा सुप्रीमो मायावती ने लखनऊ में कांशीराम जयंती पर बड़ी जनसभा कर 2027 विधानसभा चुनावों के लिए नई राजनीतिक रणनीति के संकेत दिए। इस बार वह मुस्लिम वोट बैंक पर निर्भर रहने के बजाय दलित, गैर-यादव ओबीसी और ब्राह्मण समुदाय पर फोकस कर ‘बहुजातीय गठबंधन’ बनाने की कोशिश में हैं। मायावती भाजपा से औपचारिक दूरी रखते हुए भी संतुलित बयानबाज़ी कर रही हैं और पुराने बसपा नेताओं को वापस लाने की तैयारी में हैं। उनका लक्ष्य 2007 की तरह सामाजिक समीकरण साधकर तीसरी ताकत के रूप में उभरना है। Opinion: जेल से बाहर आये आजम की चुप्पी ने बढ़ाया सियासी पारा
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By अजय कुमार, लखनऊ
कद्दावर नेता आजम खान 23 माह के बाद जेल से रिहा हो गए हैं। रिहाई के बाद उन्होंने कोई बयान नहीं दिया, लेकिन राजनीतिक गलियारों में उनके भविष्य को लेकर चर्चाएं तेज हैं। समाजवादी पार्टी ने फिलहाल उनसे दूरी बनाई है, जबकि आजम के पास बहुजन समाज पार्टी या ओवैसी के साथ नए राजनीतिक विकल्प तलाशने के रास्ते खुले हैं। उनकी कट्टर मुस्लिम छवि सपा के लिए चुनौती बनी हुई है। Opinion: अखिलेश का 2027 के लिये सोशल इंजीनियरिंग फार्मूला
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By अजय कुमार, लखनऊ
दलित वोट बैंक को आकर्षित करना अखिलेश की रणनीति का एक और महत्वपूर्ण हिस्सा है. समाजवादी पार्टी ने परंपरागत रूप से बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के दलित वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश की है. Opinion: मायावती ले सकती हैं आजम-ओवैसी का साथ
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By अजय कुमार, लखनऊ
मायावती ने 2024 के लोकसभा चुनावों में बसपा की कमजोर स्थिति को देखते हुए अपनी रणनीति बदली है. उनकी पार्टी, जो कभी दलितों की एकमात्र आवाज थी, अब केवल एक विधायक तक सिमट गई है. ऐसे में, मुस्लिम वोटरों को लुभाने के लिए मायावती पुराने गठजोड़ को फिर से तलाश रही हैं Opinion: नीतीश के जातीय गढ़ में बसपा की घुसपैठ क्या कुर्मी-कोइरी संग बन पाएगा नया समीकरण?
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By Sujit Sinha
बिहार की राजनीति में ‘लव-कुश समीकरण’ शब्द पहली बार नीतीश कुमार के राजनीतिक अभियान में प्रमुखता से सामने आया था. लव यानी कुशवाहा (कोइरी) और कुश यानी कुर्मी जाति का गठबंधन. नीतीश खुद कुर्मी जाति से आते हैं 