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Read More... दीपावली कल, वृष लग्न शाम 6.51 से रात 8.48 बजे तक मां लक्ष्मी की सर्वश्रेष्ठ पूजा
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By Samridh Desk
कार्तिक कृष्ण पक्ष त्रयोदशी 18 अक्टूबर को धनतेरस का त्योहार मनाया गया और इसके साथ ही दीपोत्सव की शुरुआत हुई। इस वर्ष दीपावली 20 अक्टूबर को मनाई जाएगी, जो रात्रि व्यापिनी अमावस्या के दिन पड़ेगी। ज्योतिष आचार्य प्रणव मिश्रा के अनुसार, माता लक्ष्मी की पूजा के लिए वृष लग्न सबसे शुभ माना गया है। घरों और मंदिरों में विधिवत पूजा-अर्चना की जाएगी, जिसमें गणेशजी और लक्ष्मीजी की प्रतिमा स्थापित कर पंचामृत और गंगाजल से अभिषेक, शृंगार, भोग और आरती शामिल है। पूजा के दौरान शुभ मुहूर्त और चौघड़िया का पालन किया जाएगा। यह पर्व जीवन में समृद्धि, सौभाग्य, यश और प्रेम बढ़ाने का संदेश देता है। धनतेरस 2025: छह दिन तक चलेगा दीप पर्व, विशेष पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र-संयोग
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By Samridh Desk
इस वर्ष दीपावली का पर्व पांच नहीं बल्कि छह दिनों तक चलेगा। दीपोत्सव की शुरुआत आज धनतेरस से होगी। इस बार पितृ कार्य की अमावस्या 21 नवंबर को पड़ने से पर्वों का क्रम एक दिन आगे बढ़ गया है। इसके चलते दीपावली का मुख्य पर्व 20 नवंबर, गोवर्धन पूजा 22 नवंबर और भाई दूज 23 नवंबर को मनाई जाएगी। ज्योतिषाचार्य पं. चंदन व्यास के अनुसार, त्रयोदशी तिथि शनिवार को दोपहर 12 बजकर 20 मिनट के बाद प्रारंभ होगी। इस दिन पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र और ब्रह्म योग का मिलन इस पर्व को और अधिक मंगलमय बना देगा। धनतेरस के दिन खरीदारी को शुभ माना गया है। ज्योतिषाचार्य व्यास का कहना है, इस दिन सोना-चांदी, बर्तन, वाहन, कुबेर यंत्र, गोमती चक्र और देवी-देवताओं की प्रतिमाएं खरीदना विशेष लाभकारी रहता है। दीपों का त्योहार दीवाली 20 को मनाया जाएगा : आचार्य प्रणव मिश्रा
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By Mohit Sinha
हिंदू पंचांग में साल का सबसे बड़ा पांच दिवसिय महापर्व दीपोत्सव उमंग और उल्लास के साथ मनाने के लिए शहरवासी तैयारियों में जुटे हैं। उत्तम स्वास्थ्य, बुराइयों का अंत, धन का आगमन, सद्भाव और परिवार की रक्षा का संदेश देने... आज और कल शरद पूर्णिमा, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि एवं खीर का महत्व
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By Subodh Kumar
शरद पूर्णिमा पर चांद पृथ्वी के सबसे नजदीक रहता है और अपनी समस्त 16 कलाओं से युक्त होता है. हिंदू पंचांग के अनुसार हर वर्ष शरद पूर्णिमा का पर्व आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि के बाद मनाया जाता है. शरद पूर्णिमा को कोजोगार और रास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. 