विश्व स्वास्थ्य संकट में कोरोना बनी समस्या और होमियोपैथी चिकित्सा द्वारा उसका समाधान

विश्व स्वास्थ्य संकट में कोरोना बनी समस्या और होमियोपैथी चिकित्सा द्वारा उसका समाधान

डाॅ एसएन झा
होमियोपैथ चिकित्सक

वर्तमान समय में विश्व की जनसंख्या का विस्फोट, जैविक सुख की ओर लोगों का चाह और उसके मुताबिक बेजरूरत उपभोक्ता के सामानों की उत्पत्ति करना प्रमुख समस्या है. साथ ही मानव समुदाय ने बुनियादी स्वास्थ्य से दूर हटते हुए इतनी आवश्यकताएं बढा ली हैं, जिसके कारण जनस्वास्थ्य की चुनौतियां सामने आ रही हैं. इसका समाधान असंभव सा हो रहा है. वर्तमान युग में इन समस्याओं से जूझते हुए स्वास्थ्य समस्याओं के समाधान के लिए कई ढंग की चिकित्सा पद्धति का उपयोग किया जा रहा है. लेकिन, मुख्य रूप से आयुष चिकित्सा पद्धति के अंतर्गत आयुर्वेद, यूनानी, प्राकृतिक चिकित्सा, योग और होमियोपैथी मुख्य रूप से प्रमाणित चिकित्सा मानी जाती है.

लेकिन, वर्तमान में कई ढंग की चिकित्सा पद्धति प्रचलित हैं जो पूर्ण रूप से प्रमाणित चिकित्सा पद्धति नहीं मानी गयी है. फिर भी उस चिकित्सा प्रचार-प्रसार पर इतना खर्च किया जा रहा है और कई ढंग के कैमिकल का इस्तेमाल किया जा रहा है जिसके कारण मानव जैव जंतु एवं मनुष्य के हार्माेनल बैलेंस पर दुष्प्रभाव पड़ रहा है और इसके कारण कैंसर, सिपलिटिक मियाद, साइकोटिक, मियाद और सोरिक मियाद की बढोतरी हो रही है. इसके कारण शारीरिक मानसिक रोगों की उत्पत्ति अधिक हो रही है.

मानव समुदाय में तरह-तरह के आविष्कार के अंतर्गत बैक्टिरिया, बैसिलाई, वायरस, इन्फेक्शन एवं अन्य घातक रोगों की उत्पत्ति हो रही है. विश्व समुदाय के लिए यह बहुत बड़ी समस्या बनी हुई है. वर्तमान समय में भारतीय संस्कृति के अनुसार नमस्कार करना, बाहर से आने के बाद हाथ पैर धोना, मलमूत्र का खुली जगह में त्याग करना इत्यादि समस्याएं हैं.

अभी वर्तमान समय में कोरोना वायरस की उत्पत्ति कर उसे विश्व में फैलाया गया है जिसका समाधान मिलना मुश्किल हो रहा है. ऐसी परिस्थिति में प्रकृति के अंदर आयुष चिकित्सा के अंतर्गत होमियोपैथ चिकित्सा पद्धति आण्विक आधार पर आधारित है. जब वैज्ञानिक विनाश के लिए आविष्कार कर रहे हैं, वैसी अवस्था में होमियोपैथी चिकित्सा पद्धति सोरिक और नोसोर्थ दवाएं रोग को मुक्त करने में बहुत बड़ी सहायक हैं.

जब-जब भारत के अंदर संक्रामक रोगों का विस्फोट हुआ है, जैसे चेचक, खसरा, प्लेग, डेंगू, इन्सेफलेटाइटिस, कोलरा, मम्स, इन्फ्लुएंजा आदि का फैलाव हुआ है. ऐसी परिस्थिति में होमियोपैथी दवाएं रोग प्रतिरोधक के रूप में और चिकित्सा के रूप में रोगमुक्त करने में सहायक हैं. वर्तमान समय में कोरेाना वायरस के अंतर्गत आर्सेनिक अलबम, यूफ्रेशिया, यूपिटोरियम, इन्फ्लुंजियम, आर्सेनिक आयोड, रसटस्क, एकोनाअठ इत्यादि दवाएं सिमटम्स के अनुकूल कोरोना वायरस की चिकित्सा में सहायक हैं.

ऐसी अवस्था में सरकार को होमियोपैथी चिकित्सा पद्धति के चिकित्सकों का जो भारत सरकार के स्वस्थ्य मंत्रालय मापदंड के अंतर्गत आते हैं – डीएमएस, डीएचएमएस और बीएचएमएस – इन चिकित्सकों की सूची तैयार कर इन लोगों से सहायता लेने की आवश्यकता है. ये जन स्वास्थ्य की चुनौतियों का समाधान करने में समर्थ हैं और कम खर्च में कम समय में और अधिक उपयोगी चिकित्सा पद्धति है. अन्य चिकित्सा पद्धतियों के अलावा भारत सरकार ने इस चिकित्सा पद्धति को पूर्ण मान्यता दी है. लेकिन, धरातल पर उतारने की आवश्यकता है तो जनहित में वर्तमान रोगों पर नियंत्रण किया जा सकता है.

महाभारत, रामायण अन्य युद्ध में अपराधी प्रवृत्ति और क्रोध, अभिमान सारे कारण का जड़ शराब, नशायुक्त दवा रही है, जो रोग एवं नाश का कारण बनी है और विश्व में विनाश का कारण है. इसलिए वर्तमान समसय में शराब व नशाखोरी पर आवश्यक रूप से स्थायी प्रतिबंध लगाना चाहिए. इसे आर्थिक आय का रास्ता बनाने की प्रवृत्ति का परित्याग करना चाहिए.

नोट : होमियोपैथी चिकित्सा नशामुक्त करने में, अपराध प्रवृत्ति को रोकने में, मानसिक संतुलन को बनाए रखने में और पूर्ण रूप से रोगमुक्त करने में बहुत बड़ा सहायक है. इसका उदाहरण विश्व के सारे स्वास्थ्य विभाग व सरकार इसके अवरोधक बने आज वही लोग मानव समुदाय के हित में जन-जन तक होमियोपैथी चिकित्सा का प्रचार प्रसार और सहायक बन गए हैं.

(डाॅ एसएन झा होमियोपैथी फिजिशियन हैं और देवघर के तिवारी चौक पर इनका क्लिनिक है. डाॅ झा देवघर काॅलेज के मेडिकल ऑफिसर व देवघर रेडक्राॅस सोसाइटी के कार्यकारी सदस्य भी हैं.)

Edited By: Samridh Jharkhand

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