एनएसए अजीत डोभाल ने चीन के विदेश मंत्री से ‘स्थायी शांति’ लाने पर की बात

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लद्दाख दौरे के अगले दिन हुई वार्ता
नयी दिल्ली : इस साल 15 जून को लद्दाख के गलवान घाटी में भारत और चीन के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद एक ओर जहां देशों देशो के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया, वहीं दूसरी और सैन्य व कूटनीतिक स्तर की वार्ता का भी अंदरखाने सिलसिला जारी रही. इस क्रम में अब भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने चीन के विदेश मंत्री वांग यी से बात की है. दोनों की वार्ता को गलवान घाटी तनाव के बाद भारत-चीन के रिश्तों का सबसे अहम मोड़ माना जा रहा है.

NSA Ajit Doval and Chinese State Councillor and Minister of Foreign Affairs Wang Yi had a telephone conversation yesterday. They had a frank & in-depth exchange of views on the recent developments in the Western Sector of the India-China border areas: MEA pic.twitter.com/l71Tkf4bYo
— ANI (@ANI) July 6, 2020
भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस संबंध में एक बयान जारी कर कहा है कि एनएसए डोभाल व चीनी विदेश मंत्री के बीच टेलीफोनिक वार्ता हुई है और दोनों में द्विपक्षीय समझौते व प्रोटोकाॅल के अनुसार, भारत चीन सीमा क्षेत्रों में शांति व स्थायित्व बहाल करने को लेकर बातचीत जारी रखने पर सहमति बनी है.
राष्ट्रीय सुरक्षा सलहकार डोभाल व चीनी विदेश मंत्री वांग के बीच वीडियो काॅल के जरिए यह बातचीत रविवार, पांच जुलाई 2020 को हुई. सूत्रों का कहना है कि बातचीत सौहार्दपूर्ण और दूरदर्शी तरीके से हुई.
The focus of the conversation between NSA Ajit Doval & Chinese FM Wang Yi was the full and enduring restoration of peace and tranquillity and to work together to avoid such incidents in future: Sources https://t.co/pPhvCqGEwh
— ANI (@ANI) July 6, 2020
प्रधानमंत्री मोदी के लद्दाख दौरे के ठीक अगले दिन हुई इस वार्ता को अहम माना जा रहा है. लद्दाख से पीएम मोदी ने चीन को संदेश दिया था कि विस्तारवाद का दिन अब लद चुका है. चीन अपने आक्रामक रुख की वजह से वैश्विक राजनीति व कूटनीति में भी अलग-थलग पड़ता दिख रहा है और वह बार-बार भारत से अनुकूल रिश्तों की बात करता हैं, हालांकि वह वास्तविक नियंत्रण रेखा पर लगातार अपनी सैन्य उपस्थिति बनाए हुए है.
15 जून चीन के अवैध निर्माण का भारतीय सैनिकों ने विरोध किया था और उसे नष्ट कर दिया था जिसके बाद दोनों पक्षों में झड़प हो गयी थी और 20 वीर भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे. इस झड़प में चीन के कई सैनिक भी हताहत हुए हालांकि उसने इनकी आधिकारिक संख्या नहीं बतायी.
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