Chhath Puja Vrat: छठी मैया की कथा, पूजा विधि, पढ़ें पूरी कहानी और जानें छठ पूजा का महत्व
समृद्ध डेस्क: छठ पूजा व्रत कथा का महत्व और पूरी कहानी भारतीय संस्कृति में छठ पूजा एक अत्यंत पावन पर्व है, जिसे विशेष रूप से उत्तर भारत, बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में भक्ति भाव से मनाया जाता है। इस पावन अवसर पर व्रत एवं पूजा से जुड़ी कथा का पाठ करना छठी मैया को अत्यंत प्रिय है और इससे व्रती को व्रत का पूर्ण फल प्राप्त होता है। यहां छठ पूजा की महाकथा व इसके धार्मिक महत्व को विस्तार से प्रस्तुत किया गया है.
छठ पूजा व्रत कथा

सुकन्या-च्यवन ऋषि प्रसंग
सत्ययुग में राजा शर्याति की पुत्री सुकन्या ने अज्ञानवश महान तपस्वी च्यवन मुनि की आंखें फोड़ दीं जिससे पूरे राज्य के लोग संकट में पड़ गए। राजा ने मुनि का क्रोध शांत करने के लिए सुकन्या का पाणिग्रहण ऋषि से करवा दिया। सुकन्या पूरी श्रद्धा से च्यवन मुनि की सेवा करती थीं। एक दिन, सुकन्या ने नागकन्या को सूर्य पूजन करते देखा और छठ व्रत का महत्व तथा विधि पूछी। नागकन्या ने छठ व्रत की महिमा बताते हुए विधि भी बताई: कार्तिक शुक्ल षष्ठी को मंडप सजा कर सूर्य भगवान की पूजा, रात्रि जागरण, अर्घ्य व दण्डवत प्रणाम, सात बार सूर्य के नामों के उच्चारण के साथ अर्घ्य देना, और सप्तमी को सूर्योदय के समय फिर अर्घ्य देना.
छठ पूजा करने की विधि और प्राप्ति
इस व्रत के प्रभाव से च्यवन ऋषि के नेत्र फिर से ठीक हो गए और उन्हें सुख-समृद्धि प्राप्त हुई। यही मार्गदर्शन द्रौपदी ने भी अपने दुखी पांडव-पतियों की समस्याओं के निवारण के लिए धौम्य के आदेश पर अपनाया। व्रत के प्रभाव से पांडवों को पुनः राज्य प्राप्त हुआ, उनके दुख दूर हुए, और उन्हें ऐश्वर्य व सम्मान प्राप्त हुआ। इस कथा को श्रद्धा एवं विधिपूर्वक सुनने या पाठ करने से व्रती को भी मनोवांछित फल, सुख-समृद्धि, विवाह, संतान, पुण्य और कल्याण मिलता है.
छठ पूजा व्रत कथा का धार्मिक संदेश
इस पौराणिक कथा का संदेश है कि संकट के समय भी श्रद्धा व विश्वास से किए गए छठ व्रत एवं पूजा से सभी बाधाएं दूर होती हैं, परिवार का कल्याण होता है और सप्तमी को दिए गए अर्घ्य से पुण्य की प्राप्ति होती है। हर वर्ष छठ कथा का पाठ, पूजा व व्रत विधिपूर्वक करने से छठी मैया प्रसन्न होती हैं और व्रती व उसके परिवार की कृपा से सभी कष्ट समाप्त होते हैं.
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