Climate Change
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Read More... climate कहानी : अब भी बचाया जा सकता है 1.5°c का लक्ष्य, नई रिपोर्ट ने दिखाई उम्मीद की राह
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By Samridh Desk
क्लाइमेट एनालिटिक्स की नई रिपोर्ट “Rescuing 1.5°C” ने उम्मीद जताई है कि दुनिया अब भी वैश्विक तापमान वृद्धि को 1.5°C के भीतर सीमित कर सकती है, यदि तुरंत निर्णायक कदम उठाए जाएँ। रिपोर्ट के अनुसार, 2045 तक CO₂ उत्सर्जन को नेट-ज़ीरो पर लाना और 2050 तक दो-तिहाई ऊर्जा मांग को बिजली से पूरा करना जरूरी है। विशेषज्ञों का कहना है कि अभी भी हालात पलटने की संभावना है, बशर्ते वैश्विक स्तर पर त्वरित कार्रवाई हो। Climate कहानी: क्लाइमेट चेंज की मार, हेल्थ पर वार, रिपोर्ट ने दिखाया फंडिंग का भार
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By Samridh Desk
गर्मी बढ़ रही है, बिमारियाँ भी। adelphi की नई रिपोर्ट बताती है कि जिस वक्त जलवायु संकट हमारी सांसें, हमारी धड़कनें और हमारे शरीरों पर असर डाल रहा है, उसी वक्त दुनिया की हेल्थ फंडिंग अब भी ‘क्लाइमेट ब्लाइंड’ बनी हुई है।2050 तक क्लाइमेट चेंज से 1.56 करोड़ लोगों की जान जा सकती है, लेकिन अब तक वैश्विक क्लाइमेट फाइनेंस का सिर्फ 0.5% हिस्सा ही हेल्थ सेक्टर तक पहुँचा है। Climate कहानी: 57 कम गर्म दिन, पेरिस समझौते की वो उम्मीद, जो अब भी ज़िंदा है
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By Climate कहानी
नई रिपोर्ट बताती है कि अगर देश पेरिस समझौते के तहत अपने वादों को पूरा करते हैं और तापमान वृद्धि को 2.6°C तक सीमित रखते हैं, तो दुनिया हर साल 57 कम गर्म दिन अनुभव कर सकती है। वहीं, 4°C गर्मी पर हीटवेव और अत्यधिक गर्मी की घटनाएँ कई गुना बढ़ जाएंगी। हीटवेव अब सबसे घातक आपदा बन चुकी है, गरीब देश सबसे अधिक प्रभावित हैं। सुरक्षित जलवायु के लिए उत्सर्जन कटौती, क्लाइमेट जस्टिस और प्रभावी नीति जरूरी हैं। Climate कहानी: वॉशिंगटन में दुनिया के भविष्य पर मंथन: कर्ज़, क्लाइमेट, और राजनीति एक मेज़ पर
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By Mohit Sinha
वॉशिंगटन डी.सी. में 13-18 अक्टूबर के बीच होने वाली वर्ल्ड बैंक और IMF की सालाना बैठकें सिर्फ़ वित्तीय फैसलों तक सीमित नहीं हैं। इस बार क्लाइमेट फाइनेंस, कर्ज़ राहत और वैश्विक साउथ की आवाज़ मुख्य मुद्दे हैं। 1.3 ट्रिलियन डॉलर के जलवायु वादों की हकीकत, अमीर और गरीब देशों के बीच भरोसा, और राजनीतिक दबावों के बीच बहुपक्षीय विकास बैंकों की भूमिका तय करेगी कि वैश्विक आर्थिक प्रणाली कितनी तेजी से “बदलाव की अर्थव्यवस्था” की ओर बढ़ सकती है। Climate कहानी: भारत में ग्लोबल वार्मिंग अब दूर की चिंता नहीं, बल्कि ज़मीनी हक़ीक़त
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By Mohit Sinha
भारत में किए गए एक राष्ट्रीय सर्वे में सामने आया है कि 89% लोगों ने ग्लोबल वार्मिंग के असर को खुद महसूस किया. हीटवेव, बाढ़ और तूफ़ान ने जीवन को प्रभावित किया है. लोग अब सरकार और समाज से ठोस कार्रवाई की उम्मीद कर रहे हैं. Climate कहानी: अदालतें बन रही हैं जलवायु की रणभूमि
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By Samridh Desk
रिपोर्ट के मुताबिक, 2015 से 2024 के अंत तक दुनिया भर में 276 जलवायु मामले उच्चतम न्यायालयों (जैसे सुप्रीम कोर्ट या संविधानिक अदालतों) तक पहुंचे हैं. ये आंकड़े केवल संख्या नहीं हैं—ये एक नई चेतना का संकेत हैं Climate कहानी: जलवायु नीति पर बहस में भारतीय कंपनियाँ खामोश
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By Samridh Desk
भारतीय व्यापार जगत सरकार की जलवायु नीतियों में किस प्रकार से भाग ले रही हैं, इस बारे में इस नये इस विश्लेषण से पता चलता है की भारतीय कंपनियां और उद्योग संगठन वैश्विक स्तर पर अपने समकक्षों की तुलना में विज्ञान-आधारित जलवायु नीतियों के प्रति अधिक समर्थन दिखा रहे हैं. Opinion: शहर, जलवायु परिवर्तन और डॉ. अंजल प्रकाश का नज़रिया
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By Climate कहानी
डॉ. अंजल प्रकाश की बातों में न सिर्फ तथ्यों की गहराई है, बल्कि एक उम्मीद भी है। उनका मानना है कि अगर हम समय रहते सही कदम उठाएं, तो हमारे शहर जलवायु परिवर्तन की इस लड़ाई में विजयी हो सकते हैं। उनके शब्दों में, “शहर सपनों का केंद्र हैं, और अगर हम इन्हें जलवायु संकट से बचा सके, तो यही सपने हमारी अगली पीढ़ियों को एक बेहतर भविष्य देंगे।” Climate कहानी: जैव विविधता, जलवायु परिवर्तन और स्वास्थ्य को जोड़ने वाला IPBES का 'नेक्सस असेसमेंट': भारत के लिए एक सबक
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By Climate कहानी
भारत जैसे देश, जहां कृषि अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और जनसंख्या का बड़ा हिस्सा प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भर है, इस रिपोर्ट में सुझाए गए उपाय बेहद प्रासंगिक हैं. जल संकट, प्रदूषण, वनों की कटाई और अनियमित शहरीकरण जैसे मुद्दे यहां न केवल जैव विविधता को प्रभावित कर रहे हैं, बल्कि स्वास्थ्य और खाद्य सुरक्षा पर भी गंभीर प्रभाव डाल रहे हैं. Climate कहानी: खुशहाली के बीज, कैसे वनीकरण भारत में कर सकता है गरीबी मिटाने में मदद
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By Climate कहानी
अब वक्त आ गया है कि हम इस अवसर को पहचानें। पेड़ों के बगीचे केवल लकड़ी का स्रोत नहीं हैं—ये गरिमा, सुरक्षा और लचीलेपन के प्रतीक हैं। ये भारत के ग्रामीण गरीबों को गरीबी के चक्र से बाहर निकालने का मौका देते हैं, जबकि वनों की कटाई और जलवायु परिवर्तन से हुए घावों को भी भरते हैं Bokaro news: कोयला और धुलाई से हो रही प्रदूषण से ग्रामीण आक्रोशित, कल करेंगे विरोध प्रदर्शन
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By Manoj Garg
जबतक इस प्रदूषण की रोकथाम को लेकर कोई बड़ा निर्णय नहीं किया जाता तबतक ग्रामीण आंदोलन जारी रखेंगे। ग्लोबल वॉर्मिंग के कारण भीषण गर्मी से जूझ रहे दो अरब लोग: रिपोर्ट
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By Climate कहानी
ये आंकड़े यह स्पष्ट करते हैं कि यदि हम वैश्विक तापन (ग्लोबल वॉर्मिंग) के प्रभावों को कम करने के लिए तत्काल कदम नहीं उठाते हैं, तो दुनिया भर में लोगों को और अधिक गंभीर स्वास्थ्य और पर्यावरणीय खतरों का सामना करना पड़ेगा। 