
आदिवासी छात्रा निर्मला झाबुआ कलेक्टर कार्यालय के समक्ष प्रदर्शन के दौरान।
भोपाल : इसी सप्ताह सोमवार को मध्यप्रदेश के झाबुआ जिले में कलेक्टर कार्यालय के समक्ष प्रदर्शन के दौरान अपनी दमदार आवाज व अपील की वजह से एक आदिवासी लड़की चर्चित हो गयी। 18 वर्षीया छात्रा निर्मला आलीराजपुर जिले के खंडाला खुशाल गांव की रहने वाली हैं और जब वे कलेक्टर के कार्यालय के समक्ष प्रदर्शन करने पहुंचंीं तो अन्य प्रदर्शनकारियों के बीच उनकी आवाज की गूंज सबसे अधिक और अपील सबसे ठोस थी।
निर्मला ने इस दौरान कहा…नहीं तो हमको कलेक्टर बना दो सर, हम बनने के लिए तैयार हैं, सबकी मांगें पूरी कर देंगे सर, आप कर नहीं पाते तो किसके लिए बनी है सरकार। जैसे कि हम भीख मांगने के लिए यहां आए हैं। हमारे गरीब के लिए कुछ व्यवस्था करो सरकार, हम इतनी दूर से आते हैं, आदिवासी लोग। पैसे कितना किराया देकर आते हैं।
क्या माननीय @ChouhanShivraj झाबुआ की इस आदिवासी छात्रा को 2 दिन के लिए @collectorjhabua बनाएंगे ताकि जो मुद्दे उसने उठाये थे उनसे सम्बंधित आदेश जारी हो सके #छात्राओं को मुफ्त परिवहन #छात्रवृत्ति #होस्टल में अच्छा खाना #lलड़कीहूँलड़सकतीहूं @CMMadhyaPradesh @priyankagandhi pic.twitter.com/uJme8Vzk08
— Office Of Dr Anand Rai (@anandrai177) December 22, 2021
निर्मला कांग्रेस की छात्र इकाई एनएसयूआइ के प्रदर्शन के दौरान वहां उपस्थित हुई थीं। एनएसयूआइ के सदस्य आवास गृह राशि, छात्रवृत्ति और बसों में छात्र-छात्राओं के लिए किराया कम करने सहित कई दूसरी मांगों को लेकर ज्ञापन देने कलेक्टर कार्यालय पहुंचे थे।
निर्मला के इस वीडियो को मध्यप्रदेश सहित कई दूसरे प्रदेशों के कांग्रेस नेता व अन्य लोगों ने सोशल मीडिया पर शेयर किया जिससे वह चर्चित हो गयीं। निर्मला की प्रभावशाली अपील ने सबका ध्यान खींच लिया।
निर्मला एक गरीब किसान पिता की बेटी हैं, यहां तक की उनके पास एक साधारण मोबाइल भी नहीं है। इस साल बीए फर्स्ट इयर में झाबुआ के गर्ल्स कॉलेज में उनका नामांकन हुआ है।
गलत का विरोध खुलकर करे, चाहे राजनीति हो या समाज, इतिहास आवाज उठानें वालों का लिखा जाता हैं, तलवें चाटनें वालो का नहीं..
🙏क्रांतिकारी जोहार @Nirmalachouhan_ pic.twitter.com/VFXmoWsTX9— Nirmala Chouhan – विद्रोही निर्मला चौहान 🏹 (@Nirmalachouhan_) December 24, 2021
निर्मला ने कहा है कि वो हमेशा गरीबों-वंचितों का आवाज उठाना चाहती हैं। उनके दिमाग में व्यवस्था को लेकर गुस्सा है जो अब और बढ गया है। उन्होंने कहा कि कलेक्टर के रवैया से उन्हें गुस्सा आ गया। न आवास राशि मिल रही है और न छात्रवृत्ति सहित दूसरी सुविधाएं। वे अपने कॉलेज में एनएसयूआइ की महासचिव हैं।
उन्होंने कहा कि जब तक वे जीवित रहेंगी आवाज उठाती रहेंगी। उन्होंने राजनीति में जाने की इच्छा प्रकट की है। उनके अनुसार, उनके रूम से कॉलेज तीन किलोमीटर की दूरी पर है और वे वहां रोज पैदल ही जाती हैं। उन्होंने कहा है कि उन्हें पैदल चलने में दिक्कत नहीं है, लेकिन उन्होंने दूसरों के लिए आवाज उठायी।
निर्मला का अनुसार, उनकी बात कोई सुन नहीं रहा था, इसलिए गुस्से में उन्होंने वह बात बोली। उन्होंने कहा कि वे धूप में दो-तीन घंटे से बाहर खड़ी थीं और बड़े अधिकारी होकर भी उनकी बात नहीं सुन रहे थे। उन्होंने कहा कि अगर उन्हें कलेक्टर बना देंगे तो गरीबों व छात्रों के लिए काम करेंगी।
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